जमीयत ने कहा- 'सर तन से जुदा' मुस्लिमों का नारा नहीं, मॉब लिंचिंग पर जताई चिंता
मुजफ्फरनगर। दिल्ली में 13 नवंबर को होने वाली इगलास के लिए मुजफ्फरनगर में जमीयत उलेमा ए हिन्द के कार्यकर्ताओं ने एक बैठक की है। इस मीटिंग में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में जमीयत उलेमा ए हिन्द के राष्ट्रीय महासचिव हजरत मौलाना हकीमुद्दीन ने शिरकत की। उमर खां मस्जिद में अपने विचार रखते हकीमुद्दीन ने कहा कि सरकार ने वक्फ बोर्ड और मदरसों का सर्वे करवा लिया है। इसमें क्या निकलता है, इसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है। मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आप लोगों को सजग होने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि 'सर तन से जुदा' मुस्लिम समाज का नारा नहीं है।
इस दौरान मौलाना हकीमुद्दीन ने कहा कि हिन्दुस्तान मॉब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ रही हैं। अभी कुछ समय पहले गुजरात के खेड़ा में एक शख्स को खंभे से बांधकर 3 पुलिसकर्मियों ने किस तरह बर्बरता के साथ जमकर डंडे बरसाए। इस कृत्य पर आसपास के लोग तमाशबीन बनकर तालियां बजा रहे थे। हिन्दुस्तान के लिए यह घटना बेहद शर्मनाक और बर्बरतापूर्ण है। अपराधी को सजा देने के लिए कानून है।
उन्होंने कहा कि आगामी 13 नवंबर को दिल्ली में जमीयत उलेमा ए हिंद एक बड़ा इगलास करने जा रहा है, इसी संदर्भ में आज यह बैठक मुजफ्फरनगर में आयोजित हुई है। मौलाना ने कहा सरकार ने वफ्फ संपत्ति और मदरसों की जांच तो करवा ली है, जांच का रिजल्ट आने से पहले कुछ भी बोलना उचित नही होगा। सरकार ने पीएफआई पर बैन लगा दिया है, हमारे बोलने से बैन नहीं हटने वाला है।
मौलाना हकीमुद्दीन ने कहा कि इस समय जमीयत उलेमा ए हिन्द सद्भावना संसद के लिए कार्य कर रहा हैं। इस नाते आज वे कार्यकर्ताओं से बातचीत कर रहे हैं। भारत हमारा है, इस मुल्क पर हमारा भी हक है, यह शहर हमारा है, इसलिए हमें किसी से डर नहीं है। जो लोग हमारे मुल्क पर हकुमत कर रहे हैं वे जितने और लोगों के लिए जिम्मेदारी रखते हैं उतनी ही जिम्मेदारी हमारे लिए बनती है उनकी। इसलिए हमें कोई भय किसी से नहीं है। बस यदि आप लोग शिक्षित होने के साथ अपनी जिम्मेदारी को समझो। यदि बाजार में चल रहे हो, बस या रेल में सफर करते हो तो यह ध्यान रखो कि हमारे आचरण से किसी को कोई तकलीफ न हो। शिक्षा के रास्ते को अपनाते हुए तरक्की करो और मुल्क की शान बनो।
मौलाना ने कहा कि इस समय सर तन से जुदा करने की बात चर्चाओं में है, यह हमारा (मुस्लिम समाज) नारा नहीं है, न हमें मालूम है। हम (मुस्लिम) तो हमेशा अमनप्रिय है और इस मुल्क के साथ खड़े रहने वाले हैं। हम इंसानियत पसंद लोग हैं, जमीयत उलेमा ए हिन्द ने आजादी के समय बड़ी कुर्बानी दी है।