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हास्य-कविता : कारवां गुजर गया
शनिवार,फ़रवरी 18, 2023
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जनता पूछती सरकार से, सरकार पूछती जनता से, विपक्ष पूछता सत्ता से, कहता सरकारी फ़ैसले ग़लत, जनता का फ़ैसला भी ग़लत, देश किससे पूछे यह सवाल, यह कैसा देशप्रेम है तुम्हारा,देश पूछ रहा है....... नेता खींचा-तानी में व्यस्त हैं, आतंकवाद ने कमर तोड़ दी, युद्धों ...
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कविता : एक कंपन सी हो जाती है, एक लहरी सी उठ जाती है, जब-जब देखूं मां भारती तेरी तस्वीर, हृदय वीणा झंकृत सी हो जाती है, उठा है तूफान जहां में तेरे प्रेम या भक्ति का, या जब-जब करूं मातृभूमि माई भक्ति तेरी
एक खुमारी सी मन में छा जाती है...
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वॉशिंगटन। वॉशिंगटन स्टेट डेमोक्रेटिक पार्टी की नई अध्यक्ष के रूप में भारतीय-अमेरिकी राजनीतिक सलाहकार शास्ती कॉनराड को चुना गया है। इसके साथ ही वे अमेरिका में स्टेट पार्टी चेयरपर्सन के रूप में यह पद संभालने वाली सबसे कम उम्र की और पहली भारतीय-अमेरिकी ...
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आ री सखी ! तू क्यों उदास है किस बात का ग़म है, क्या हम-तुम किसी से कम हैं जीवन में सर्दी से घबरा रही है, देख सखी री, महसूस कर महकती ऋतुएं आती-जाती, शीत की सिरहन क्या सिखलाती, समर्पण पत्तियों का, रंग बदलता, ख़ामोशी से विदा होकर, नए जीवन को जीवन दान ...
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प्यासी थी धरती और प्यासा अंबर, पीली धूप में, पीली धरती पीला अंबर
हमदम, हमसफ़र ऋतु की सखी पत्तियां, करें काम दिन-रात, न ग़म, न लें दम, कैलिफोर्निया का दिल नमी को रोता, देख समर्पण पत्तियों का ऋतु फ़िदा है चुराकर रंग धूप से ओढ़ाया पत्तियों को, लाल, पिली, ...
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हम सभी जानते हैं कि देश के विकास में भारतवंशियों के योगदान को रेखांकित करने के लिए हर साल जनवरी में प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है, इस बार यह 17वां सम्मेलन है जो इंदौर में होना है। दुनियाभर में बसे भारतीयों को वतन बुलाया जाता है और वतन की याद में ...
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शुक्रवार,अक्टूबर 28, 2022
इस दौरान केन्द्रीय हिन्दी संस्थान दिल्ली के सेवानिवृत निदेशक प्रोफेसर महावीर सरन जैन ने कहा कि भारत 22 परिगणित भाषाओं का देश हैं। लेकिन हिन्दी की एकतरफा बोधगम्य उपभाषाओं के माध्यम से भारत के नागरिक हिन्दी में संवाद करते हैं।
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महात्मा गांधी जब दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में वकालत कर रहे थे तब उन्होंने सत्याग्रह की शुरुआत की थी और उन दिनों 'टॉलस्टॉय फार्म' सत्याग्रह का मुख्यालय बन गया था। इस फार्म का नाम प्रख्यात रूसी लेखक टॉलस्टॉय के नाम पर रखा गया है जिनके प्रशंसक ...
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3 Laghu kathayen Hindi Me : जिस घर में बड़े-बुजुर्ग होते हैं, उस घर की खुशहाली अलग ही होती है। लेकिन जिन घरों में बड़ों की उपेक्षा की जाती हैं, वहां का माहौल ठीक नहीं रहता है, यहां पढ़ें बुजुर्गों की व्यथा पर तीन मर्मस्पर्शी लघु कथाएं-bujurgon kee ...
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न्यूयॉर्क शहर आज एक यादगार शाम का गवाह बन गया। वह इसलिए क्योंकि यहां भारत से आने वाले दो ऐसे लोगों ने वैश्विक नेताओं के सामने बाल मजदूरों की पीड़ा को लेकर अपनी बात रखी, जो खुद कभी बाल मजदूर थे। यह ऐतिहासिक मौका था संयुक्त राष्ट्र की ...
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जैसे लहरें बातें करते आईं हैं किनारों से आज तक, दिवा स्वप्न था बैठे थे पास पास और मूंदी (बंद) आंखों से, सपने संजोने लग गए हम जनम-जनम के साथ के, साथ न छूटेगा अपना और हम रहेंगे बन के आपके, झकझोर दी किसी आहट ने सपनो की वो दुनिया, टूटा सपना, जगे अचानक ...
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फैला बादल दल, गगन पर मस्ताना, सूखी धरती भीगकर मुस्काई।
मटमैले पैरों से हल जोत रहा, कृषक थका गाता पर उमंग भरा।
'मेघा बरसे, मोरा जियरा तरसे, आंगन देवा, घी का दीप जला जा।'
रुनझुन-रुनझुन बैलों की जोड़ी, जिनके संग-संग सावन गरजे। पवन चलाए बाण, बिजुरिया ...
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सनन-सनन हवा से तुम, भूमि पर अडिग मैं, कलकल बहते पानी तुम
किनारे से जुड़ी मैं, चंद्र कभी-कभी सूर्य तुम, आकाश सी स्थायी मैं
मौसम से बदलते तुम, वृक्ष सी खड़ी मैं, कल्पना से तरल तुम, सत्य सी अटल मैं
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Rain Poems पावस ऋतु नारी, नर सावन, रस रिमझिम संगीत सुहावन, सारस के जोड़े सरवर में, सुनते रहते बादल राग…सत रंग चूनर नव रंग पाग। उपवन-उपवन कांत कामिनी गगन गुंजाए मेघ दामिनी... पत्ते-पत्ते पर हरियाली, फूल-फूल पर प्रेम पराग… सत रंग चूनर नव रंग पाग। पवन ...
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वो सपने सुनहरे भविष्य के हमने, किस आस पर किस सहारे पे देखे। वो शक्ति वो प्रेरणा आपकी थी, एक हारे हुए मन का बल आपसे था। ओ कान्हा! जब-जब मानव मन हारा, तब-तब तुमने भरा जोश व दिया सहारा।
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क्या भारत मेरा देश नहीं है? क्या मैं भारत का लाल नहीं हूं? क्यों तन पर चिथड़े हैं मेरे? क्यों मन मेरा रीता उदास है? क्यों ईश्वर मुझसे छिपा हुआ है? क्यों जीवन बोझ बना हुआ है? Desh Bhakti Kavita in Hindi
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Poem on 15 August कहते थे बरसों पहले तुम हैं हिन्दी-चीनी भाई-भाई, फिर सीमा पर चुपके-चुपके किसने थी आग लगाई। फेंगशुई का बहाना करके क्यों अंधविश्वास फैलाया, नकली और घटिया चीजों का भारत में जाल बिछाया। लड़ियां, घड़ियां और पटाखे, टीवी व एसी दे गए, सस्ती ...
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यह अनमोल जिंदगी, इसकी अपनी पहचान है, जब इसने जन्म लिया, पतन हुआ गुलामी का, यह एक गर्वित एहसास है आजादी का, इसका अपना ठोस अस्तित्व है संसार में, यह जिंदगी सफल है, बिंदास मुस्कुराती है,
चाय संग आलस में पांव पसार सुस्ताती है...
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वर्ष 2022 में भारत अपनी स्वाधीनता की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है, जो अमृत महोत्सव के नाम से जाना जा रहा है। इस अवसर पर विदेशों में बसे भारतीय कवियों द्वारा एक काव्य-संग्रह का प्रकाशन किया जा रहा है, जिसे राष्ट्र-वंदन के अनूठे दस्तावेज के रूप में 'भारत ...
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