गुरुवार, 19 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. एनआरआई
  3. आपकी कलम
  4. Pravasi Kavita Holi

होली के त्योहार पर प्रवासी कविता : कान्हा होली खेले राधा संग

होली के त्योहार पर प्रवासी कविता : कान्हा होली खेले राधा संग - Pravasi Kavita Holi
ऋतु राज वसंत और महीना हुआ फागुन
 
टेसुओं का बरसे रंग और बृज में खेलें कान्हा होली राधा के संग
 
मन मयूर नाचे छम छम जब,
राधा, होरी खेले कान्हा संग
 
होली की इस पावन बेला में रंग उड़े हजार
रंगों के रमझट में अब तो राधा हुई निहाल
 
बरसे गुलाल, बरसे टेसू रंग, 
पीला पीतांबर पहने कान्हा रम गए राधा संग
 
निश्चल अमर प्रेम जिनका दोनों के एक स्वरूप,
कभी राधा, दिखे कान्हा और कभी दिखे कान्हा राधे, 
ऐसी उनकी प्रीत जो भिगोए होली के रंग।

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)
ये भी पढ़ें
टैटू बनवाने का शौक बन सकता है कैंसर का कारण