शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
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Written By ND

दिल ही नहीं दिमाग से भी काम लें

चमचमाती धूप के बाद बादल के लिए भी रहें तैयार

Love and depression Romance love quotes | दिल ही नहीं दिमाग से भी काम लें
मानस

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हेलो दोस्तो! हमें परेशान रहने की आदत सी पड़ गई है। जब बारिश नहीं हो रही थी तब हम गर्मी से परेशान थे। जिसे देखो वही बरसात के लिए दुआएं मांगता दिखता था। सभी यही कहते फिरते थे बस धुआँधार बारिश हो जाए फिर हमें मौसम से कोई शिकायत नहीं रहेगी। पर जैसे ही एक दिन अच्छी बारिश हुई हमारी भवें तन गईं। देखते ही देखते चेहरे पर आई खुशी छू हो गई। जुमलों का लहजा ही बदल गया। इतनी ज्यादा बारिश भी ठीक नहीं है। काम पर आना-जाना कितना मुश्किल होगा। ऐसा ही चलता रहा तो बच्चे स्कूल कैसे जाएँगे। मच्छरों की तो जैसे पूरी फौज तैयार हो जाएगी। कपड़ों को सुखाने में बड़ी दिक्कत आने वाली है, वगैरह, वगैरह।

कहने का मतलब यह है कि हमें किसी भी स्थिति में ज्यादा खुशी नहीं मिलती। हर कुछ नपे-तुले अंदाज में चाहिए। अगर वैसा नहीं हुआ तो हम परेशान हो जाते हैं। दरअसल, हम अपने मन में उन हालात के लिए भी ऐसी अपेक्षाएँ पाल लेते हैं जो अभी आई नहीं है। जब हम उस स्थिति में सचमुच आते हैं और हमारे द्वारा बुनी गई खयाली तस्वीर हू-ब-हू साकार होती नहीं दिखती तो हम तिलमिला उठते हैं। इतने परेशान हो जाते हैं कि कोई विश्लेषण कोई तर्क नहीं सुनना चाहते हैं। जब हम किसी भी हालात को तार्किक ढंग से नहीं देखना चाहेंगे तो उसका कोई उपयुक्त जवाब मिलना भी मुश्किल है। ऐसी हालत में परेशान होकर अवसाद में चले जाना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है।

दोस्तो, लव-मंत्र में इस विषय को इसलिए लिखना पड़ रहा है कि अनेक पत्र आए हैं अवसाद यानी डिप्रेशन में चले जाने के। 24-25 वर्ष की उम्र में इस प्रकार निराशा और अवसाद महसूस करने पर आपके प्रति सहानुभूति तो महसूस होती है पर केवल सहानुभूति जताकर किसी को अवसाद से नहीं निकाला जा सकता है। आप जितनी जल्दी सच्चाई कबूल कर लेंगे उतनी जल्दी आप इस अवस्था से निकल पाएँगे। अब प्रकाश (बदला हुआ नाम) ने लिखा है। उसे कभी कोई लड़की पसंद नहीं आई फिर एक दिन एक लड़की उसे मिली और उसे महसूस हुआ, वह उसे चाहने लगा है।

आमना-सामना होने पर वह उसे बोल बैठा कि वह उसे प्यार करता है। उस लड़की का जवाब नकारात्मक था। न कभी बातचीत, न दोस्ती, न समय बिताना उसके बावजूद प्रकाश ने मुलाकात होने पर अपने सवाल का जवाब पूछ ही लिया। इस पर उस लड़की ने जवाब दिया कि प्रेम में उसकी कोई रुचि नहीं है। प्रकाश काम के सिलसिले में कहीं और चला गया। एक वर्ष बाद लौटने पर फिर दोनों कहीं मिले तो प्रकाश ने अपना वही प्रश्न दुहराया।

लड़की का यह कहना कि इतने दिनों बाद याद आई, उसे न जाने कितनी उम्मीदों से भर गया। एक दिन जब वे अचानक मेट्रो में मिले, प्रकाश ने कह दिया कि वह पहले से मोटी हो गई है। लड़की नाराज हो गई। उसने बात करना बंद कर दिया। लड़की ने बातचीत में इतना जरूर कहा था कि वे दोस्त बन सकते हैं पर दोस्ती शुरू भी नहीं हुई थी कि खत्म हो गई। अब प्रकाश जी अवसाद में हैं।

कभी ढंग से संवाद बना ही नहीं और जब बना तो अलगाव ही हो गया। इसका सीधा सा मतलब है दोनों के सोचने, भावनाओं को आत्मसात करने की क्षमता अलग है। ऐसे रिश्ते में नहीं पड़ना चाहिए जहाँ दोनों व्यक्तियों को एक-दूसरे में समान रूप से रुचि नहीं हो।
प्रकाश जैसे प्रेमी आँखें बंद कर खुद ही सपनों का महल खड़ा कर लेते हैं और जब कोई उन्हें जगा देता है तो वह महल न पाकर वे नाराज हो जाते हैं या अवसाद में चले जाते हैं। जिस शख्स से कभी जी भरकर बातें नहीं कीं, साथ समय नहीं बिताया, उसके बारे में यह दावा कि प्यार है, उचित नहीं लगता है। आप इसे आकर्षण का नाम दे सकते हैं।

कभी ढंग से संवाद बना ही नहीं और जब बना तो अलगाव ही हो गया। इसका सीधा सा मतलब है दोनों के सोचने, भावनाओं को आत्मसात करने की क्षमता अलग है। ऐसे रिश्ते में नहीं पड़ना चाहिए जहाँ दोनों व्यक्तियों को एक-दूसरे में समान रूप से रुचि नहीं हो।

प्रकाश जी को उस लड़की का धन्यवाद करना चाहिए कि इतनी जल्दी उसने अपने व्यक्तित्व का परिचय दे दिया। वह यूँ भी आदर के लायक है क्योंकि उसने हमेशा दूरी बनाए रखी। यदि उसने अच्छी-खासी दोस्ती के बाद ऐसा किया होता तो प्रकाश अब तक न जाने क्या कर गुजरते। ऐसे रिश्तों के बारे में सोचकर न तो दुख करना चाहिए और न ही अपना समय और सेहत खराब करना चाहिए। वह इस बात पर नहीं तो किसी और बात पर नाराज हो जाती। जब एक दूसरे को जानते और समझते ही नहीं तो प्यार कैसा और अवसाद कैसा। प्यार के लिए जरूरी है संवाद और समय।