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Written By Feature Desk

डिलीवरी बॉय से बने डिप्टी कलेक्टर, जानिए झारखंड के सूरज की सक्सेस स्टोरी

JPSC
Delivery Boy to Deputy Collector Suraj Yadav Success Story: कहते हैं कि अगर हौसले बुलंद हों तो कोई भी मंज़िल पाना नामुमकिन नहीं है। झारखंड के एक छोटे से गाँव के रहने वाले सूरज यादव ने इस बात को सच कर दिखाया है। एक समय था जब वे घर-घर जाकर फूड डिलीवरी करते थे और रापिडो बाइक टैक्सी चलाते थे, लेकिन आज उनकी पहचान एक डिप्टी कलेक्टर के तौर पर है। उनकी ये सफलता सिर्फ एक नौकरी नहीं, बल्कि दृढ़ निश्चय, कड़ी मेहनत और परिस्थितियों को हराने की एक मिसाल है। सूरज ने हाल ही में झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन (JPSC) की परीक्षा में 110वीं रैंक हासिल कर यह साबित कर दिया कि जुनून और लगन के आगे गरीबी और मुश्किलें बौनी हो जाती हैं।

मजदूर पिता की संतान का संघर्ष
गिरिडीह जिले की कपिलो पंचायत के निवासी सूरज यादव का सफर आसान नहीं था। उनके पिता एक मजदूर हैं और परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमज़ोर थी। ऐसे में, सूरज ने अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए कड़ी मेहनत करना शुरू किया। उन्होंने अपने खर्चों को पूरा करने और किताबों के लिए पैसे जुटाने के लिए एक डिलीवरी बॉय और रापिडो ड्राइवर के रूप में काम किया।

दोस्तों की मदद से खरीदी पुरानी बाइक
उनके दोस्त भी उनके इस सपने में साथ थे और उन्होंने ही सूरज को एक पुरानी बाइक खरीदने में मदद की, ताकि वे अपनी पढ़ाई और काम को एक साथ जारी रख सकें। उनका यह काम भी आसान नहीं था। पुरानी बाइक पर कई किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था, लेकिन उनके दिमाग में हमेशा एक ही लक्ष्य था - JPSC परीक्षा पास करना।

पत्नी का साथ ने दिलाई सफलता की रोशनी
सूरज की सफलता में उनकी पत्नी का योगदान अविस्मरणीय है। जब वे रात को काम से थककर घर लौटते थे, तो उनकी पत्नी उनका हौसला बढ़ाती थीं और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती थीं। सूरज खुद बताते हैं कि उनकी पत्नी ने उन्हें कभी निराश नहीं होने दिया और उनकी सफलता में सबसे बड़ा हाथ उन्हीं का है। यह उनके दूसरे प्रयास की कहानी है, जो दिखाती है कि असफलता सिर्फ एक अस्थायी पड़ाव है, मंजिल नहीं। अपनी पत्नी और दोस्तों के साथ के कारण ही सूरज ने पढ़ाई और नौकरी के बीच संतुलन बनाया और आखिरकार JPSC की परीक्षा में सफलता हासिल की।

आज, जब सूरज यादव को झारखंड सरकार में डिप्टी कलेक्टर का पद मिलेगा, तो यह सिर्फ एक व्यक्ति की जीत नहीं होगी, बल्कि यह उन लाखों युवाओं के लिए एक प्रेरणा होगी जो कठिन परिस्थितियों में भी अपने सपनों को पूरा करने का साहस रखते हैं। सूरज की कहानी हमें सिखाती है कि साधन की कमी कभी भी आपके सपनों को रोक नहीं सकती, अगर आपके पास सच्ची मेहनत और मजबूत इच्छाशक्ति है।
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