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Last Updated : शनिवार, 9 अक्टूबर 2021 (17:42 IST)

जब उस्‍ताद अमजद अली खान ने ‘राग शुभालक्ष्‍मी’ बनाकर पत्‍नी को दिया उपहार

जब उस्‍ताद अमजद अली खान ने ‘राग शुभालक्ष्‍मी’ बनाकर पत्‍नी को दिया उपहार - Ustad amzad ali khan, sarod wadan, shubalakshmi
सरोद सम्राट उस्ताद अमजद अली खान ने ताउम्र संघर्ष किया। लेकिन दूसरी तरफ उन्‍होंने पूरी दुनिया में अपनी कला के मार्फत नाम और शोहरत हासिल की। संगीत के दम पर उन्‍हें वो सबकुछ हासिल हुआ, जिसके वे हकदार थे, लेकिन उन्‍होंने कभी अपने उसूलों से समझौता नहीं किया। एक साधक के तौर पर वे तमाम उम्र संगीत की साधना करते रहे।

आज यानी 9 अक्‍टूबर को उनका जन्‍मदिन है। आइए जानते हैं उनके जीवन और कला के बारे में कुछ दिलचस्‍प किस्‍से।

उस्ताद अमजद अली खान की शादी 1976 में हुई थी। उनकी पत्‍नी प्रसिद्ध पत्नी शुभालक्ष्मी खुद एक भरतनाट्यम डांसर हैं। 70 के दशक में उस्‍ताद अपनी पत्‍नी से मिले थे। उन्‍होंने खुद एक इंटरव्‍यू में बताया था कि जब उन्‍होंने कलकत्ता में एक कला महोत्सव शुभालक्ष्‍मी को पहली बार देखा तो लगा था कि भगवान ने सिर्फ उन्‍हीं के लिए शुभालक्ष्‍मी को भेजा है। कुछ मुलाकातों का सिलसिला चला और फि‍र शादी हो गई।   

शादी के बाद दोनों अपने किराए के घर में रहने के चले गए। उस घर का किराया करीब 2500 रुपए था, जो उस दौर में बहुत ज्यादा था। उन्‍होंने सोचा कि बहुत से कलाकार सरकारी घरों में रहते हैं उन्‍हें भी सरकारी घर के लिए प्रयास करना चाहिए।

जब सरकारी घर के लिए कोशिश की गई तो सरकारी जवाब मिला कि कलाकारों को घर देने की ऐसी कोई योजना नहीं है।

इस बात से खि‍न्‍न होकर उन्‍होंने सोचा कि क्‍यों न एक प्रेस वार्ता कर के यह जानकारी दी जाए कि कितने तो कलाकार सरकारी घरों में रह रहे हैं, लेकिन बाद में उन्‍हें अहसास हुआ कि ऐसा करना ठीक नहीं रहेगा, क्‍योंकि ऐसे में कलाकारों का ही नुकसान होगा।

उस्‍ताद की पत्नी शुभालक्ष्मी खुद एक भरतनाट्यम डांसर हैं। वो असम के एक प्रतिष्ठित परिवार से ताल्‍लुक रखती हैं। पहले तो उन्‍होंने मणिपुरी डांस से शुरूआत की, लेकिन बाद में उन्होंने कलाकार रुक्मिणी देवी अरुंडेल से भरतनाट्यम का प्रशिक्षण लिया।

शुभालक्ष्मी के पिता का नाम परशुराम बरुआ था, वे असम फिल्मों के पहले हीरो माने जाते थे। उनके बड़े भाई थे पीसी बरुआ कांग्रेस में थे। उन लोगों का चाय का बड़ा व्यापार था।

1985 के दौर में उस्ताद अमजद अली खान देश के सबसे व्यस्त कलाकारों में से एक बन चुके थे। उन्‍होंने देश और दुनिया में कई आयोजन किए। सरोद वादन में आज भी उनके जैसा हुनर किसी के पास नहीं है।  

अमजद अली खान ने कई शास्त्रीय राग बनाए, जिसमें गणेश कल्याण, श्यामा गौरी, अमीरी तोड़ी, सरस्वती कल्याण, सुहाग भैरव जैसे नाम हैं, लेकिन 1995 में उन्होंने एक बेहद खास राग बनाया। इस राग के बारे में उस्‍ताद ने बताया था कि उन्‍होंने अपनी पत्‍नी के नाम पर राग शुभालक्ष्मी बनाया था।

वे कहते हैं कि उनके परिवार को बनाने में उनकी पत्‍नी का बेहद योगदान रहा। उनके दोनों बेटे अमान और अयान की प‍रवरिश में भी पत्‍नी ने बखूबी योगदान दिया। इसीलिए राग सुब्बालक्ष्मी बनाया जो मैंने चेन्नई में पहली बार बजाया था। वो राग मैंने उनके जन्मदिन पर उन्हें तोहफे के तौर पर दिया था। उन्होंने मुझे कितना कुछ दिया है, मैंने उन्हें एक राग दिया।
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