नई दिल्ली,''भारत में 290 कम्युनिटी रेडियो स्टेशन हैं, जिनकी पहुंच देश की लगभग 9 करोड़ आबादी तक है। ये रेडियो स्टेशन समुदायों द्वारा उनकी स्थानीय भाषा एवं बोली में चलाए जाते हैं। इस तरह भारतीय भाषाओं के माध्यम से कम्युनिटी रेडियो देश को जोड़ने का काम करता है।'' यह विचार भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने सोमवार को सरदार वल्लभभाई पटेल की 145वीं जयंती प्रसंग के मौके पर, 'कम्युनिटी रेडियो-सबका साथ सबका विकास' विषय पर आयोजित वेबिनार में व्यक्त किए।
प्रो. द्विवेदी ने कहा कि सामुदायिक रेडियो स्टेशन लोगों से उनकी भाषा में संचार करते हैं, जिससे न सिर्फ भाषा के बचाव में योगदान होता है, बल्कि अगली पीढ़ी तक उसका विस्तार भी होता है। एक समुदाय को सशक्त करना हो, लोगों और सरकार के बीच माध्यम बनना हो, समाज में पारदर्शिता लानी हो, निरंतर जानकारी पहुंचानी हो या छोटी अथवा बड़ी समस्या का हल निकालना हो, इन सभी में कम्युनिटी रेडियो अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में कम्युनिटी रेडियो पर विज्ञापन का अनुपात 7 मिनट प्रति घंटा है, जिसे बढ़ाकर 12 मिनट प्रति घंटा किये जाने की तैयारी शुरू हो चुकी है। इस बढ़े हुए समय से कम्युनिटी रेडियो को आर्थिक लाभ होगा और अपने लिए वित्तीय संसाधन जुटाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा भारत सरकार ने देश में कम्युनिटी रेडियो समर्थन अभियान चला रखा है। प्रो. द्विवेदी के मुताबिक सामुदायिक रेडियो सिर्फ रेडियो नहीं, बल्कि लोगों की एकीकृत आवाज़ है।
राजीव टिक्कू ने कहा कि कम्युनिटी रेडियो सिर्फ समस्याओं की और ध्यान ही नहीं दिलाता, बल्कि उनका समाधान करने का भी प्रयास करता है। टिक्कू ने बताया कि आज के दौर में हम सूचनाओं के विस्फोट से जूझ रहे हैं, ऐसी स्थिति में इन सूचनाओं को कम्युनिटी रेडियो सबसे बेहतर तरीके से नियंत्रित करते हैं।
टिक्कू ने कहा कि कोरोना महामारी के दौर में कम्युनिटी रेडियो ने भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उत्तराखंड में 6 स्टेशनों ने मिलकर एक उम्मीद नेटवर्क बनाया है, जिसके द्वारा कोरोना से बचाव के उपाय लोगों को बताये जा रहे हैं। उनके मुताबिक कम्युनिटी रेडियो की भूमिका पर अब लोगों को जागरुक करने की जरुरत है।
कम्युनिटी मीडिया कंसल्टेंट डॉ. डी. रुक्मिणी वेमराजू ने अपने संबोधन में कहा कि कम्युनिटी रेडियो में भाषा का नहीं, बल्कि संचार का महत्व है। और इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि क्षेत्रीय स्तर पर लोगों से क्षेत्रीय भाषा में ही संचार किया जाता है। उन्होंने कहा कि समुदाय एवं उसमें रहने वाले लोगों को जोड़कर ही 'सबका साथ सबका विकास' संभव हो सकता है।
कोरोना महामारी के दौर में कम्युनिटी रेडियो की भूमिका पर बोलते हुए वेमराजू ने कहा कि किसी भी चुनौती के समय सामुदायिक रेडियो ने अपने आप को सिद्ध किया है। उन्होंने कहा कि संकट के समय लोगों को सशक्त बनाने की जिम्मेदारी कम्युनिटी रेडियो की है। महामारी के इस दौर में कम्युनिटी रेडियो की डिमांड बढ़ी है। पहली बार प्रशासन को ये एहसास हुआ कि लोगों तक जानकारी पहुंचाने में कम्युनिटी रेडियो की महत्वपूर्ण भूमिका है।
इस मौके पर रेडियो अल्फ़ाज़-ए-मेवात की प्रमुख पूजा ओबेरॉय मुरादा ने बताया कि जब रेडियो मेवात का प्रसारण शुरू किया गया, तो वहां रहने वाले समुदाय के लोगों ने पहले इसका विरोध किया, लेकिन आज वही लोग इसके संचालन में हमारी मदद करते हैं। लॉकडाउन के दौरान वहां रहने वाले इंजीनियर ने तकनीकी समस्याओं को दूर करने में हमारी मदद की।
रेडियो बनस्थली राजस्थान के स्टेशन मैनेजर लोकेश शर्मा ने कहा कि हमारी टैगलाइन है 'आपणो रेडियो बनस्थली' यानी ये आपका अपना रेडिया स्टेशन है। यही कम्युनिटी रेडियो की भावना है। उन्होंने कहा कि यह राजस्थान का पहला कम्युनिटी रेडियो स्टेशन है और इसके माध्यम से हम क्षेत्रीय भाषाओं में लोगों के साथ संवाद कर रहे हैं।