रविवार, 28 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. अंतरराष्ट्रीय
  4. What are the Secrets of Alexei Navalny death
Last Updated : शुक्रवार, 23 फ़रवरी 2024 (16:49 IST)

कहां है अलेक्सेई नवाल्नी का शव, क्‍या हैं इस मौत के रहस्‍य?

कहां है अलेक्सेई नवाल्नी का शव, क्‍या हैं इस मौत के रहस्‍य? - What are the Secrets of Alexei Navalny death
Secrets of Alexei Navalny's death: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन के प्रखर आलोचक अलेक्सेई नवाल्नी की 16 फ़रवरी को साइबेरिया के एक बंदी शिविर में हुई संदिग्‍ध मृत्यु के बाद से उनका शव उनके परिजनों को अभी तक न तो मिला है और न बताया जा रहा है कि शव कहां है और कब मिलेगा।

केवल इतना ही बताया गया है कि नवाल्नी की मृत्यु साइबेरिया के एक बंदी शिविर में हुई है। वे शिविर के अहाते में दोपहर 2 बजे के क़रीब अकस्मात बोहोश हो कर गिर पड़े। उनकी हृदयगति पुनः चालू करने के प्रयास निष्फल रहे।
स्थानीय समय के अनुसार सवा 2 बजे डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। नवाल्नी को पिछले दिसंबर महीने से इस क़ैदी शिविर की एक काल कोठरी में अकेले रहना पड़ रहा था।

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एलेक्सी नवाल्नी का शव साइबेरिया के सुदूर उत्तर में स्थित सलेख़ार्द नामक शहर के जिला अस्पताल में है। अस्पताल ने शुरू में कहा कि नवाल्नी का शव उसके पास नहीं है। तब भी संकेत यही हैं कि उनका शव इसी अस्पताल के शवकक्ष में है।

रूस के सरकार आलोचक अख़बार 'नोवाया गजेता यूरोपा' ने अपने स्रोतों का हवाला देते हुए बताया कि कम से कम शनिवार, 17 फ़रवरी तक कोई शव-परीक्षण (पोस्टमार्टम) नहीं हुआ था। इस जानकारी की हालांकि कोई आधिकारिक पुष्टि उपलब्ध नहीं है।

शरीर पर नीले धब्बे थेः 'नोवाया गजेता यूरोपा' ने आपातकालीन सेवा (मेडिकल इमर्जेंसी) के एक कर्मचारी से बात की है, पर उसका नाम नहीं बताया है। उस कर्मचारी के अनुसार, नवाल्नी के शरीर पर नीले धब्बों के निशान थे। इन धब्बों से यही संकेत मिलता है कि मृत्यु से पहले शरीर में शायद अकड़न आ गई थी और बंदी शिविर के कर्मचारियों ने उन्हें पकड़ रखा था। छाती पर छरछराए हुए खून के निशान भी थे, जो इस बात का संकेत माने जाते हैं कि उनको पुनर्जीवित करने के प्रयास भी हुए थे।

अखबार की रिपोर्ट से किंतु यह भी संकेत मिलता है कि आपातकालीन सेवा के जिस कर्मचारी ने उसे ये बातें बताई हैं, उसने खुद नवाल्नी को नहीं देखा था, बल्कि उसके सहकर्मियों ने बाद में उसे ये बातें बतायीं।

अलेक्सेई नवाल्नी का शव अंतिम संस्कार के लिए दिए जाने की मांग कर रहीं उनकी मां, ल्युदमिला नवालीना की गुहार अब तक अनसुनी है। शव न तो उन्हें क़ैदी शिविर में मिला और न ही सलेखार्द के अस्पताल में उन्हें दिखाया गया। सलेखार्द रूस में उत्तरी साइबेरिया के एक स्वायत्तशासी ज़िले का मुख्यालय है। "पोलर वोल्फ" (ध्रुवीय भेड़िया) कहलाने वाला वह बंदी शिविर इसी स्वायत्तशासी ज़िले में है, जहां नवाल्नी की मृत्यु हुई है।

OWD-Info नाम की एक नागरिक संघर्ष समिति का कहना है कि नवाल्नी की मृत्यु के एक दिन बाद उसके आवाह्वान पर, शनिवार 17 फ़रवरी की शाम तक, 12,000 से अधिक लोग उनका शव उनके परिजनों को सौंपे जाने की मांग का समर्थन कर चुके थे।
सोची-समझी राजनीतिक हत्याः रूस के भीतर और बाहर के वे सभी लोग, जो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के कटु आलोचक हैं, अलेक्सेई नवाल्नी की मृत्यु को एक सोची-समझी राजनीतिक हत्या बताते हैं। उनकी मृत्यु का सामाचर सुनते ही जर्मनी के चांसलर (प्रधानमंत्री) ओलाफ शोल्त्स ने कहा, ''हम तो पहले ही भलीभांति जानते थे कि वहां (रूस में) किस तरह की सरकार है।'' अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पहले ही दिन रूसी राष्ट्रपति पुतिन को नवाल्नी की मृत्यु के लिए ज़िम्मेदार ठहरा दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें नवाल्नी की मृत्यु के समचार पर कोई आश्चर्य नहीं हो रहा है, बल्कि गुस्सा आ रहा है।

क्‍यों हुई 400 लोगों की गिरफ्तारी : रूस के मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि नवाल्नी की मृत्यु होने के दूसरे ही दिन तक 400 से अधिक ऐसे लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी थी, जो खुलेआम अपना रोष प्रकट कर रहे थे। अदालतों ने शनिवार वाले उसी दिन से ऐसे लोगों को सज़ाएं सुनाना भी शुरू कर दिया था।

रासायनिक जांच होनी हैः रूसी अधिकारियों ने इस बीच अलेक्सेई नवाल्नी की मां ल्युदमिला नवालीना को सूचित किया है कि उनके बटे का शव उन्हें 14 दिन बाद मिलेगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि शव की रासायनिक जांच होनी है। नवाल्नी के संगी-साथी और परिजन, सरकार और उसके अधिकारियों की किसी भी बात विश्वास नहीं करना चाहते। ‘रासायनिक जांच’ को वे सरासर झूठ और धोखाधड़ी मानते हैं। उनका कहना है कि 'हत्या के निशानों को छिपाने के लिए नवाल्नी के शव को छिपा दिया जाएगा’

अपने एक वीडियो संदेश में अलेक्सेई नवाल्नी की पत्नी यूलिया नवालीना का कहना है कि 'पुतिन ने मेरे पति की हत्या की है। उन्हें मरने तक सताया-तड़पाया है’ नवाल्नी के वकील लेओनिद सोलोव्योव ने अख़बार 'नोवाया गजेता यूरोपा' से कहा कि 47 साल के उनके एक सहयोगी ने अलेक्सेई नवाल्नी की मृत्यु से दो ही दिन पहले उन्हें देखा था— 'उस दिन सब कुछ सामान्य था’

वकील सोलोव्योव ने अख़बार को यह भी बताया कि एक वीडियो रिकॉर्डिंग में, जिसमें नवाल्नी को अपनी मृत्यु से एक दिन पहले, वीडियो लिंक के माध्यम से अदालत की सुनवाई में भाग लेते हुए दिखाया गया है, वे जज के बारे में हंसी-मज़ाक करते दिखते हैं।
क़ैदी शिविर में आपा-धापीः अख़बार 'नोवाया गजेता यूरोपा' ने उसी बंदी शिविर के एक क़ैदी से भी बात की है, जिसमें अलेक्सेई नवाल्नी को ऱखा गया था। इस क़ैदी ने बताया कि 15 फ़रवरी वाली शाम को, यानी नवाल्नी की मृत्यु से पहले वाली शाम को, वहां 'कुछ अजीब-सी अफ़रा-तफ़री मची हुई थी', क़ैदियों की संध्याकालीन जांच बहुत जल्दी और आपा-धापी में हुई।

जांच के बाद कैदियों को उनके कमरों में बंद कर दिया गया, पहरा बढ़ा दिया गया। 16 फ़रवरी वाली सुबह सभी कमरों की कड़ी तलाशी हुई। इस क़ैदी के कहने के अनुसार, अलेक्सेई नवाल्नी की मृत्यु की ख़बर उस दिन सुबह 10 बजे ही फैल गई थी। इस क़ैदी का अनुमान था कि हो सकता है कि उनकी मृत्यु 15 फ़रवरी की शाम को ही हो गई हो, शायद इसलिए उस शाम अफ़रा-तफ़री मची हुई थी।

हड्डियां चटखा देने वाली ठंडः क़ैदी शिविर में नवाल्नी का कमरा केवल 2X3 मीटर बड़ा था। उत्तरी ध्रुव वृत्त वाले साइबेरिया में हड्डियां चटखा देने वाली कड़ाके की ठंड पड़ती है। तापमान शून्य से 30-35 डिग्री तक नीचे गिर सकता है। यह क़ैदी शिविर ऐसे लोगों के लिए बना है, जिन्हें बहुत ही असामान्य अपराधी मना जाता है। उन्हें दिन में अपना बिस्तर उठाकर कमरे की दीवार से बांध देना पड़ता है, ताकि पूरे दिन वे बिस्तर पर लेट न सकें।
नवाल्नी को सुबह साढ़े 6 बजे ही उठ जाना पड़ता था, जबकि बाक़ी कैदी देर से उठते थे। नवाल्नी की तरह जिन्हें अकेले रहने की सज़ा मिली हो, वे किसी से मिल-जुल या टेलीफ़ोन तक नहीं कर सकते। क़ैदियों के लिए शिविर के भीतर बनी दुकान से वे कुछ ख़रीद भी नहीं सकते। 2021 से नवाल्नी को 27 बार में कुल मिलाकर 308 दिन एकांतवास में रहना पड़ा है। साइबेरिया वाले इस शिविर में उन्हें तीन बार में दो महीने बिताने पड़े थे। इतना प्रबल संकल्पबल जिसमें हो, उसे मृत्य के सिवाय भला और कौन झुका सकता था!   
Edited By Navin Rangiyal
ये भी पढ़ें
परिवारवादी पार्टियों को दलित आदिवासियों का बड़े पदों पर बैठना बर्दाश्त नहीं होता : PM मोदी