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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 9 जून 2025 (15:32 IST)

वट सावित्री पूर्णिमा की व्रत कथा, इसे पढ़ने से मिलेगा अखंड सुहाग का वरदान

Vat Savitri Puja katha 2025
Vat Savitri Vrat Katha: वर्ष 2025 में वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत 10 जून, मंगलवार को रखा जा रहा है। हर साल यह व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या और पूर्णिमा को रखा जाता है। वट सावित्री व्रत महिलाओं को अखंड सौभाग्य और संतान की प्राप्ति देने वाला होता है। यहां आपके लिए इस अवसर पर प्रस्तुत हैं सत्यवान-सावित्री की पौराणिक व्रत कथा...ALSO READ: आप पहली बार कर रहीं हैं वट सावित्री व्रत? तो जानिए पूजा सामग्री और विधि
 
कथा- : सत्यवान और सावित्री की पौराणिक कथा के अनुसार सावित्री के पति अल्पायु थे, उसी समय देव ऋषि नारद आए और सावित्री से कहने लगे की तुम्हारा पति अल्पायु है। आप कोई दूसरा वर मांग लें। पर सावित्री ने कहा- मैं एक हिन्दू नारी हूं, पति को एक ही बार चुनती हूं। 
 
इसी समय सत्यवान के सिर में अत्यधिक पीड़ा होने लगी। सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे अपने गोद में पति के सिर को रख उसे लेटा दिया। उसी समय सावित्री ने देखा अनेक यमदूतों के साथ यमराज आ पहुंचे है। सत्यवान के जीव को दक्षिण दिशा की ओर लेकर जा रहे हैं। यह देख सावित्री भी यमराज के पीछे-पीछे चल देती हैं। उन्हें आता देख यमराज ने कहा कि- हे पतिव्रता नारी! पत्नी अपने पति का साथ पृथ्वी तक ही देती है। अब तुम वापस लौट जाओ। 
उनकी इस बात पर सावित्री ने कहा- जहां मेरे पति रहेंगे मुझे उनके साथ रहना है। यही मेरा पत्नी धर्म है। सावित्री के मुख से यह उत्तर सुन कर यमराज बड़े प्रसन्न हुए। उन्होंने सावित्री को वर मांगने को कहा और बोले- मैं तुम्हें तीन वर देता हूं। बोलो तुम कौन-कौन से तीन वर लोगी।
 
तब सावित्री ने सास-ससुर के लिए नेत्र ज्योति, ससुर का खोया राज्य और अपने पति सत्यवान के सौ पुत्रों की मां बनने का वर मांगा। सावित्री के यह तीनों वरदान सुनने के बाद यमराज ने उसे आशीर्वाद दिया और कहा- तथास्तु! ऐसा ही होगा। सावित्री पुन: उसी वट वृक्ष के पास लौट आई। जहां सत्यवान मृत पड़ा था। सत्यवान के मृत शरीर में फिर से संचार हुआ। और वो जाग उठे।
 
इस प्रकार सावित्री ने अपने पतिव्रता व्रत के प्रभाव से न केवल अपने पति को पुन: जीवित करवाया बल्कि सास-ससुर को नेत्र ज्योति प्रदान करते हुए उनके ससुर को खोया राज्य पुन: दिलवाया। तभी से वट सावित्री अमावस्या और वट सावित्री पूर्णिमा के दिन वट वृक्ष का पूजन-अर्चन करने का विधान है। भारतीय धर्म में इस व्रत का बहुत महत्व है तथा यह व्रत करने से सौभाग्यवतियों का सौभाग्य अखंड रहता है और हर मनोकामना पूर्ण होती है। 
 
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