नाग पंचमी की पौराणिक कथाएं और मान्यताएं
नाग पंचमी मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं और मान्यताएं प्रचलित हैं:
• जनमेजय का सर्प यज्ञ और आस्तिक मुनि: सबसे प्रमुख कथा महाभारत काल से जुड़ी है। राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नाग के काटने से हुई थी, जिसके बाद उनके पुत्र राजा जनमेजय ने सभी नागों का नाश करने के लिए एक विशाल 'सर्प दाह यज्ञ' का आयोजन किया। इस यज्ञ में बड़े-बड़े और भयंकर नाग अग्निकुंड में जलने लगे। तब आस्तिक मुनि नामक एक ब्राह्मण ने हस्तक्षेप किया और राजा जनमेजय को समझाया, जिससे यज्ञ रुक गया और नागों की रक्षा हुई। यह घटना श्रावण मास की शुक्ल पंचमी तिथि को हुई थी। तभी से इस दिन को नागों की रक्षा और सम्मान के लिए समर्पित माना जाता है। यज्ञ की आग को शांत करने के लिए आस्तिक मुनि ने उसमें दूध डाला था, इसी वजह से नाग पंचमी पर नाग देव को दूध चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई है।
• भगवान श्री कृष्ण और कालिया नाग: एक अन्य पौराणिक कथा भगवान श्री कृष्ण और कालिया नाग से संबंधित है। कथा के अनुसार, श्रावण शुक्ल पक्ष पंचमी के दिन भगवान श्री कृष्ण ने वृंदावन के लोगों की जान यमुना नदी में रहने वाले कालिया नाग से बचाई थी। भगवान ने सांप के फन पर नृत्य किया और बांसुरी भी बजाई, जिससे कालिया नाग को सबक मिला और उसने यमुना को छोड़ दिया। तभी से नागों की पूजा की परंपरा चली आ रही है।
• समुद्र मंथन का संबंध: कुछ मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान वासुकी नाग ने रस्सी बनकर देवताओं और राक्षसों के बीच हुए समुद्र मंथन में सहयोग दिया था। नागों के इस योगदान के लिए भी उन्हें सम्मान दिया जाता है।
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हिंदू धर्म में नाग पंचमी का महत्व
नाग पंचमी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है, क्योंकि नागों को कई रूपों में पूजनीय माना जाता है:
• भगवान शिव के आभूषण: नाग भगवान शिव के गले का हार हैं, और भगवान विष्णु की शैय्या (शेषनाग) हैं। पृथ्वी का पूरा भार शेषनाग ने उठा रखा है।
• कालसर्प दोष का निवारण: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन नागों की पूजा करने से कुंडली में मौजूद कालसर्प दोष के प्रभाव समाप्त हो जाते हैं। राहु और केतु को सर्प का प्रतीक माना जाता है, और नाग पंचमी पर इनकी पूजा से इनके दुष्प्रभाव कम होते हैं।
• सर्प भय से मुक्ति: मान्यता है कि इस दिन नाग देवता की आराधना करने से व्यक्ति को सर्पदंश का भय नहीं रहता और सांपों से संबंधित हर तरह का डर खत्म हो जाता है।
• सुख-शांति और समृद्धि: नाग देवता को शक्ति, रक्षा और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक माना जाता है। उनकी आराधना से न केवल शारीरिक और मानसिक भय दूर होता है, बल्कि घर में सुख-शांति और समृद्धि भी बनी रहती है।
• पितरों की शांति और वंश वृद्धि: गरुड़ पुराण में भी नागों की पूजा को पितरों की शांति और वंश वृद्धि से जोड़ा गया है।