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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 28 जुलाई 2025 (15:27 IST)

नाग पंचमी पर क्यों नहीं बनती रोटी, क्यों नहीं चढ़ाया जाता चूल्हे पर तवा?, जानिए कारण

nag panchami ke din roti kyon nahi banai jaati hai
nag panchami par roti kyon nahin banai jaati: भारतीय संस्कृति में त्योहारों और परंपराओं का एक गहरा महत्व है, और हर परंपरा के पीछे कोई न कोई धार्मिक, ज्योतिषीय या वैज्ञानिक कारण छिपा होता है। सावन मास की शुक्ल पंचमी को मनाया जाने वाला नाग पंचमी का पर्व भी इन्हीं में से एक है। इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है और सर्प दोष से मुक्ति के लिए विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। लेकिन, इस पावन अवसर पर एक अनोखी परंपरा भी है, जिसके तहत कई घरों में रोटी नहीं बनाई जाती और चूल्हे पर तवा नहीं चढ़ाया जाता। यह सुनकर कई लोग आश्चर्यचकित हो जाते हैं कि आखिर इसके पीछे क्या कारण है? आइए, इस रहस्य को समझते हैं।

नाग पंचमी तिथि और सर्प योग का महत्व
श्रावण शुक्ल पंचमी को ज्योतिष शास्त्र में "नाग तिथि" कहा गया है। यह वह दिन है जब सर्प योग, विशेषकर राहु और केतु जैसे छाया ग्रहों से संबंधित योग, अत्यंत सक्रिय और शक्तिशाली हो जाते हैं। ज्योतिष में राहु और केतु को सर्प का प्रतीक माना जाता है – राहु को सर्प का मुख और केतु को उसकी पूंछ। जब कुंडली में ये दोनों ग्रह अशुभ स्थिति में होते हैं, तो काल सर्प दोष जैसे योग बनते हैं, जो जीवन में बाधाएं और परेशानियां ला सकते हैं। नाग पंचमी का दिन इन दोषों के निवारण और नाग देवताओं को प्रसन्न करने के लिए समर्पित है।

तवा और राहु का संबंध
नाग पंचमी पर रोटी न बनाने और तवे का प्रयोग न करने के पीछे मुख्य रूप से ज्योतिषीय और धार्मिक मान्यताएं हैं:
1. तवा राहु का प्रतीक: ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, तवे को राहु का प्रतीक माना जाता है। राहु एक छाया ग्रह है, जिसका प्रभाव अक्सर नकारात्मक होता है और यह जीवन में आकस्मिक बाधाएं, भ्रम और परेशानियां उत्पन्न कर सकता है। नाग पंचमी के दिन, जब सर्प योग और राहु-केतु के प्रभाव शक्तिशाली होते हैं, तो तवे का प्रयोग करने से राहु के नकारात्मक प्रभाव और बढ़ सकते हैं। इससे व्यक्ति के जीवन में अनावश्यक बाधाएं और चुनौतियां आ सकती हैं।
2. तवा नाग देवता का फन: एक अन्य धार्मिक मान्यता के अनुसार, तवे को नाग देवता का फन (हुड) माना जाता है। नाग पंचमी का दिन नाग देवताओं को समर्पित है, और इस दिन उनके फन का अपमान करना या उसे गर्म करना अशुभ माना जाता है। रोटी बनाने के लिए तवे को आग पर चढ़ाया जाता है, जो एक तरह से नाग देवता के फन को तपाने जैसा है। ऐसा करने से नाग देवता अप्रसन्न हो सकते हैं और जीवन में दुर्भाग्य आ सकता है।
3. न काटने और न पीसने की परंपरा: नाग पंचमी पर केवल रोटी और तवा ही नहीं, बल्कि कई घरों में अनाज को काटने या पीसने से भी बचा जाता है। इसका कारण यह है कि नाग पंचमी के दिन धरती को खोदना या किसी भी प्रकार से उसे नुकसान पहुंचाना वर्जित माना जाता है, क्योंकि नाग धरती के भीतर रहते हैं। अनाज को पीसने या काटने की प्रक्रिया भी एक प्रकार से सूक्ष्म हिंसा मानी जाती है, जिससे बचा जाता है। इसलिए, इस दिन लोग अक्सर उबले हुए या तले हुए खाद्य पदार्थ बनाते हैं, जिनमें काटने या पीसने की आवश्यकता नहीं होती, जैसे पूड़ी, खीर, या हलवा।

ज्योतिषीय और आध्यात्मिक प्रभाव
नाग पंचमी पर इन नियमों का पालन करने से व्यक्ति को राहु-केतु के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है। नाग देवता प्रसन्न होते हैं और सर्प दोष का निवारण होता है। यह परंपरा हमें प्रकृति और जीवों के प्रति सम्मान सिखाती है, विशेषकर उन जीवों के प्रति जिन्हें अक्सर भय की दृष्टि से देखा जाता है। यह हमें यह भी याद दिलाता है कि ब्रह्मांड में ऐसी शक्तियां हैं जो हमारी समझ से परे हैं, और उनके साथ सामंजस्य बिठाना हमारे जीवन के लिए लाभकारी हो सकता है।

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