शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. उत्तर प्रदेश
  4. Petition filed in Supreme Court against Ashish Mishra's bail
Written By
Last Updated : सोमवार, 21 फ़रवरी 2022 (18:58 IST)

आशीष मिश्रा की जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल

आशीष मिश्रा की जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल - Petition filed in Supreme Court against Ashish Mishra's bail
नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश के लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए किसानों के परिवारों ने केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे और मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दिए जाने को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की है। लखीमपुर खीरी में पिछले साल 3 अक्टूबर को हुई हिंसा में चार किसानों सहित 8 लोगों की मौत हो गई थी।

 
मृत किसानों के परिवारों के 3 सदस्यों ने उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के 10 फरवरी के जमानत आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए कहा कि यह फैसला कानून की नजर में टिकने लायक नहीं है, क्योंकि इस मामले में राज्य द्वारा अदालत को कोई सार्थक और प्रभावी सहायता नहीं दी गई।

 
जगजीत सिंह, पवन कश्यप और सुखविंदर सिंह ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर की गई याचिका में कहा कि जमानत देने के लिए तय सिद्धांतों के संबंध में उच्च न्यायालय के आदेश में राज्य द्वारा ठोस दलीलों की कमी रही और आरोपी राज्य सरकार पर पर्याप्त प्रभाव रखता है, क्योंकि उसके पिता उसी राजनीतिक दल से केंद्रीय मंत्री हैं, जो राज्य की सत्ता में है।
 
याचिका में कहा गया कि उक्त आदेश कानून की नजर में टिकने योग्य नहीं है, क्योंकि सीआरपीसी, 1973 की धारा 439 के पहले प्रावधान के उद्देश्य के विपरीत मामले में राज्य द्वारा अदालत को कोई सार्थक और प्रभावी सहायता नहीं मिली जिसके तहत गंभीर अपराध से जुड़ी जमानत अर्जी के संबंध में आमतौर पर लोक अभियोजक को नोटिस दिया जाना चाहिए।
 
इसमें कहा गया है कि उच्च न्यायालय द्वारा इस मामले में स्थापित कानूनी मानदंडों के विपरीत एक 'अनुचित और मनमाना' निर्णय दिया गया जिसने अपराध की जघन्य प्रकृति पर विचार किए बिना जमानत प्रदान की। आरोपी के जमानत आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए याचिका में सबूतों का क्रमिक उल्लेख किया गया।
 
याचिका में कहा गया कि आरोपी के निर्देश पर शांतिपूर्वक लौट रहे किसानों को जान-बूझकर थार वाहन से कुचलने का कृत्य लापरवाही नहीं बल्कि एक पूर्व नियोजित साजिश थी, क्योंकि आरोपी उसके बाद खेतों से होते हुए शाम लगभग 4 बजे दंगल कार्यक्रम वाली जगह पर वापस आ गया और ऐसे पेश आया, जैसे कुछ हुआ ही नहीं था। याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय ने जमानत देते समय आरोपी के खिलाफ पुख्ता साक्ष्यों, पीड़ितों और गवाहों के संदर्भ में आरोपी की हैसियत, न्याय के दायरे से भागने और अपराध को दोहराने की संभावना पर विचार नहीं किया।
ये भी पढ़ें
2 रुपए के शेयर ने बनाया करोड़पति, इतने बढ़े दाम