• Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. धर्म-दर्शन
  3. धार्मिक स्थल
  4. Why no one climbed Kailash mystery of kailash parvat
Written By WD Feature Desk
Last Modified: शनिवार, 5 जुलाई 2025 (13:41 IST)

कैलाश पर्वत के शिखर पर आज तक कोई क्यों नहीं चढ़ पाया?

Why no one climbed Kailash
mystery of kailash mountain in hindi: दुनिया में कई ऐसे पर्वत हैं जिन पर पर्वतारोहियों ने अपनी विजय पताका फहराई है, लेकिन हिमालय की गोद में स्थित एक ऐसा पर्वत भी है, जिसके शिखर तक पहुंचने की कल्पना करना भी एक रहस्य से कम नहीं। हम बात कर रहे हैं कैलाश पर्वत की, जिसे न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना जाता है, बल्कि वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी यह दुनिया का सबसे रहस्यमयी पर्वत है। यह पर्वत ना केवल भारत, बल्कि तिब्बत, नेपाल और अन्य कई देशों के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कैलाश पर्वत अलौकिक शक्तियों का केन्द्र है। ऐसा कहा जाता है कि यह स्थल अनेक देवी-देवताओं का निवास स्थान है, जिसके कारण इसे स्वर्ग का प्रवेश द्वार भी माना जाता है। श्रद्धालुओं का यह भी विश्वास है कि आज भी भगवान शिव यहां गहन तपस्या में लीन हैं। सवाल उठता है, कैलाश पर्वत के शिखर पर आज तक कोई क्यों नहीं चढ़ पाया?
 
धार्मिक और आध्यात्मिक पक्ष 
हिंदू, बौद्ध, जैन और बोन धर्म के अनुयायी कैलाश को दिव्यता और देवत्व का प्रतीक मानते हैं। हिंदू धर्म में यह भगवान शिव का धाम है, जहां वे अपने परिवार सहित विराजमान हैं और आज भी गहन तप में लीन हैं। बौद्ध मान्यता के अनुसार यह स्थान ध्यान के अधिपति बुद्ध डेमचोक का निवास है। वहीं जैन धर्म में इसे पहले तीर्थंकर ऋषभनाथ की मोक्षस्थली माना गया है। इन सभी धार्मिक मान्यताओं का एक साझा तत्व यह है कि कैलाश शिखर पर चढ़ना वर्जित है, क्योंकि यह कोई साधारण पर्वत नहीं, बल्कि देवताओं का घर है। ऐसे में इस पर चढ़ना ईश्वरीय व्यवस्था के विरुद्ध माना जाता है।
 
मिलारेपा की रहस्यमयी चढ़ाई
इतिहास में एक मात्र ऐसा उल्लेख मिलता है कि 11वीं सदी में तिब्बती योगी मिलारेपा ने कैलाश पर्वत पर चढ़ाई की थी। रूस के कुछ वैज्ञानिकों की रिपोर्ट, जो UN Special मैगजीन के जनवरी 2004 अंक में प्रकाशित हुई थी, इस बात की पुष्टि करती है कि मिलारेपा इस शिखर तक पहुंच चुके थे। लेकिन हैरानी की बात यह है कि मिलारेपा ने स्वयं कभी इस बारे में कोई उल्लेख नहीं किया, और न ही इसका कोई भौतिक प्रमाण मिला। इससे यह घटना रहस्य बनी हुई है, क्या वास्तव में कोई कैलाश शिखर तक पहुंच पाया था?
 
वैज्ञानिक दृष्टिकोण और कैलाश पर्वत का रहस्य
कैलाश पर्वत को धरती और ब्रह्मांड के बीच का आध्यात्मिक केंद्र माना जाता है। जहां एक ओर माउंट एवरेस्ट को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माना जाता है, वहीं वैज्ञानिकों का मानना है कि कैलाश पर्वत का पर्यावरण एवरेस्ट से भी अधिक चुनौतीपूर्ण और रहस्यमयी है। शोधों के अनुसार, कैलाश क्षेत्र में चुंबकीय क्षेत्र (मैग्नेटिक फील्ड) बहुत सक्रिय रहता है, जिसकी वजह से यहां का वातावरण सामान्य पर्वतीय क्षेत्रों से बिल्कुल अलग अनुभव होता है। यही कारण है कि कैलाश पर्वत की चढ़ाई अत्यंत कठिन मानी जाती है और अब तक कोई भी इसे पार नहीं कर पाया है।
 
वैज्ञानिकों ने भी कैलाश पर्वत को लेकर कई अध्ययनों और रिपोर्ट्स में इसे 'पृथ्वी का ऊर्जा केंद्र' माना है। कुछ रिपोर्ट्स कहती हैं कि कैलाश के चारों ओर चुंबकीय शक्ति की तीव्रता इतनी अधिक है कि आधुनिक टेक्नोलॉजी और कम्पास तक असहाय हो जाते हैं। इसके अलावा कैलाश की बनावट भी अद्भुत है, यह चार दिशाओं में बिलकुल सम परिशुद्ध आकार में है और इसके चारों ओर बहने वाली नदियों का स्रोत भी यही पर्वत है।
 
कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि कैलाश शिखर पर किसी भी मानवीय प्रयास का विफल होना यहां के चरम मौसमी बदलाव और ऊर्जात्मक हलचलों के कारण है। कहा जाता है कि जैसे-जैसे कोई पर्वतारोही शिखर के पास पहुंचता है, उसे मानसिक भ्रम, थकावट और शारीरिक असंतुलन होने लगता है, जिससे वह यात्रा अधूरी छोड़ने को मजबूर हो जाता है।
 
अनगिनत असफल प्रयास
बीते कुछ दशकों में कई पर्वतारोहियों ने कैलाश पर्वत पर चढ़ाई का मन बनाया, लेकिन कोई भी अपने अभियान को पूरा नहीं कर सका। तिब्बती प्रशासन और धार्मिक समुदाय भी इस पर चढ़ाई की अनुमति नहीं देते, क्योंकि यह उनकी आस्था और परंपराओं का उल्लंघन होगा। कई विदेशी पर्वतारोहियों ने भी यह अनुभव साझा किया है कि जब वे शिखर के पास पहुंचे, तो उन्हें ऐसा अनुभव हुआ जैसे कोई अदृश्य शक्ति उन्हें आगे बढ़ने से रोक रही हो। 


अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। 
ये भी पढ़ें
क्या है कैलाश पर्वत या मानसरोवर झील में शिव जी के डमरू और ओम की आवाज का रहस्य?