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Written By WD Feature Desk
Last Modified: शुक्रवार, 4 जुलाई 2025 (17:28 IST)

क्या 12 ही महीने बर्फ से ढका रहता है बाबा अमरनाथ का शिवलिंग? जानिए हिम शिवलिंग के रहस्य

amarnath shivling story in hindi
amarnath shivling story in hindi: भारत एक ऐसा देश है जहां आध्यात्मिकता और प्रकृति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। हिमालय की ऊंचाइयों में स्थित अमरनाथ गुफा उन्हीं पवित्र स्थलों में से एक है, जहां हर वर्ष लाखों श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए कठिन और रोमांचक यात्रा पर निकलते हैं। अमरनाथ यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक अनुष्ठान है, जो भक्तों को आत्मिक शांति और मोक्ष की अनुभूति कराता है।
 
हर साल श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) में आयोजित होने वाली यह यात्रा हिम शिवलिंग के दर्शनों के लिए प्रसिद्ध है, जो प्राकृतिक रूप से बर्फ से बनता है। लेकिन अक्सर यह सवाल भक्तों के मन में आता है, क्या बाबा बर्फानी साल भर बर्फ से ढके रहते हैं? क्या शिवलिंग पूरे वर्ष गुफा में मौजूद रहता है? इन सवालों के उत्तर, और अमरनाथ यात्रा 2025 की तैयारियों, महत्व और रोमांचक यात्रा मार्ग की पूरी जानकारी इस लेख में विस्तार से दी गई है।
 
अमरनाथ गुफा का रहस्य 
जम्मू-कश्मीर के सुरम्य पहाड़ों में समुद्र तल से 3,888 मीटर (12,760 फीट) की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा को 5000 वर्षों से भी ज्यादा पुराना माना जाता है। कहा जाता है कि इसी गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व और ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रहस्यों की कथा सुनाई थी।
 
गुफा के अंदर प्राकृतिक रूप से बनने वाला हिम शिवलिंग हर वर्ष सावन पूर्णिमा को अपने पूर्ण आकार में पहुंचता है। यह शिवलिंग चंद्रमा के घटने-बढ़ने के साथ अपना आकार बदलता है। यही नहीं, गुफा में दो और हिम संरचनाएं भी बनती हैं, जिन्हें मां पार्वती और भगवान गणेश का स्वरूप माना जाता है।
 
क्या साल भर बर्फ से ढके रहते हैं बाबा बर्फानी?
यह एक रोचक और महत्वपूर्ण प्रश्न है। वास्तव में, हिम शिवलिंग साल भर नहीं बना रहता। अमरनाथ गुफा के भीतर पानी की बूंदें छत से धीरे-धीरे टपकती हैं और नीचे जमकर बर्फ का रूप लेती हैं। यह प्रक्रिया केवल सर्दियों के अंत और गर्मियों की शुरुआत (मार्च–जुलाई) के दौरान होती है। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है, शिवलिंग धीरे-धीरे बनता है और सावन पूर्णिमा पर अपने पूर्ण रूप में आता है।
 
अमरनाथ यात्रा 2025: यात्रा का मार्ग और विकल्प
अमरनाथ यात्रा दो प्रमुख मार्गों से होती है:
 
1. पहलगाम मार्ग (पारंपरिक और लोकप्रिय मार्ग – लगभग 46 किमी):
पहलगाम → चंदनवाड़ी → पिस्सु टॉप → शेषनाग → पंचतरणी → अमरनाथ गुफा
 
इस यात्रा को आमतौर पर 4-5 दिनों में पूरा किया जाता है।
यह मार्ग अपेक्षाकृत सरल और प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर है।
 
2. बालटाल मार्ग (कम दूरी, लेकिन कठिन चढ़ाई, लगभग 14 किमी):
बालटाल से सीधे अमरनाथ गुफा तक पैदल या घोड़े पर यात्रा की जाती है।
इसे एक ही दिन में पूरा किया जा सकता है, लेकिन मार्ग काफी खड़ी चढ़ाई वाला है।
 
हेलीकॉप्टर विकल्प:
पहलगाम से पंचतरणी तक हेलीकॉप्टर सेवाएं उपलब्ध हैं, जहां से केवल 6 किमी की पैदल यात्रा रह जाती है।
बुजुर्ग और शारीरिक रूप से असक्षम यात्रियों के लिए यह एक सुविधाजनक विकल्प है।
 
कैसे बनता है हिम शिवलिंग?
अमरनाथ गुफा की छत से निरंतर टपकने वाली पानी की बूंदें गुफा के ठंडे वातावरण में जमने लगती हैं। ये बर्फ की परतें धीरे-धीरे ऊंचाई में बढ़ती हैं और शिवलिंग का आकार ले लेती हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह पूरी तरह प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन श्रद्धालु इसे एक दिव्य चमत्कार मानते हैं। 


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