सूर्य कर्क संक्रांति कब रहेगी, क्या है इसका महत्व?
karka sankranti 2025: सूर्य की संक्रांतियों में मकर संक्रांति के बाद कर्क संक्रांति का महत्व ज्यादा है। हिंदू पंचांग के अनुसार इसे छह महीने के उत्तरायण काल का अंत भी माना जाता है। साथ ही इस दिन से दक्षिणायन की शुरुआत होती है, जो मकर संक्रांति पर समाप्त होती है। इस बार कर्क संक्रांति 16 जुलाई 2025 बुधवार को रहेगी।
कर्क संक्रांति पुण्य काल- प्रात: 05:40 से 05:40 तक।
कर्क संक्राति महा पुण्य काल- दोपहर 03:22 से शाम 05:40 तक।
पूजा मुहूर्त:
सुबह: प्रात: 04:12 से 05:34 तक।
शाम: 07:19 से 08:22 तक।
कर्क संक्रांति का फल: महंगाई बढ़ेगी। देश और दुनिया में तनाव और संघर्ष बढ़ेगा। शांति वार्ताएं होंगी। बारी वर्षा होगी। अनाज के भंडारण में बढ़ोतरी होगी। विद्वान और शिक्षित लोगों को लाभ होगा।
कर्क संक्रांति का महत्व: इस समय किए जाने वाले कार्यों में देवों का आशीर्वाद नहीं प्राप्त होता है। इस दिन सूर्यदेव को जल अर्पित करें। संक्रांति में की गई सूर्य उपासना से दोषों का शमन होता है। सूर्यदेव से सदा स्वस्थ रहने से कामना करें। आदित्य स्तोत्र एवं सूर्य मंत्र का पाठ करें। इस समय में शहद का प्रयोग लाभकारी माना जाता है।
कर्क संक्रांति पर वस्त्र एवं खाने की चीजों और विशेषकर तेल के दान का विशेष महत्व है। सुहागन बुजुर्ग महिला को वस्त्र, किसी बुजुर्ग को पूजा में पहनने वाला धोती वस्त्र, किसी बालिका को नारंगी रंग का परिधान, किसी बालक को हरे फल और किसी नवविवाहित दम्पत्ति को भोजन कराएं।