• Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. धर्म-दर्शन
  3. धार्मिक स्थल
  4. why ambubachi mela is celebrated
Written By WD Feature Desk
Last Updated : बुधवार, 25 जून 2025 (16:25 IST)

जब ब्रह्मपुत्र नदी का पानी तीन दिन के लिए हो जाता है लाल, जानिए कामाख्या मंदिर के ‘अम्बुबाची पर्व’ का रहस्य

अम्बुबाची 2025
why ambubachi mela is celebrated: असम के गुवाहाटी में स्थित कामाख्या देवी मंदिर, भारत के सबसे महत्वपूर्ण शक्तिपीठों में से एक है। यह मंदिर अपनी अनूठी परंपराओं और मान्यताओं के लिए जाना जाता है, जिनमें से एक प्रमुख है अम्बुबाची पर्व। यह पर्व हर साल जून के महीने में मनाया जाता है और इसे कामाख्या देवी के मासिक धर्म (रजस्वला) से जोड़कर देखा जाता है। इस साल 22 से 25 जून को यह पर्व मनाया जा रहा है।

क्या है अम्बुबाची पर्व?
अम्बुबाची शब्द 'अम्बु' (पानी) और 'बाची' (उतफूलन या प्रस्फुटन) से मिलकर बना है। यह पर्व स्त्रियों की शक्ति और उनकी जनन क्षमता का प्रतीक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान मां कामाख्या रजस्वला होती हैं, जिसे धरती की उर्वरता से भी जोड़ा जाता है।

पर्व के दौरान, मां भगवती के गर्भगृह के कपाट स्वतः बंद हो जाते हैं और उनके दर्शन निषेध हो जाते हैं। तीन दिनों तक मंदिर बंद रहता है, और इस अवधि को 'अम्बुबाची योग पर्व' कहा जाता है। इन तीन दिनों में मां भगवती की रजस्वला समाप्ति पर उनकी विशेष पूजा और साधना की जाती है। चौथे दिन ब्रह्म मुहूर्त में देवी को स्नान करवाकर श्रृंगार किया जाता है, जिसके बाद ही मंदिर श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोला जाता है।

पर्व की अनूठी परंपराएं
अम्बुबाची पर्व के दौरान कई अनूठी परंपराएं निभाई जाती हैं। यात्री पहले दिन कामेश्वरी देवी और कामेश्वर शिव के दर्शन करते हैं, और उसके बाद महामुद्रा के दर्शन करते हैं। देवी का योनिमुद्रापीठ एक गुफा में दस सीढ़ी नीचे स्थित है, जहां हमेशा अखंड दीपक जलता रहता है।

प्रसाद में मिलता है रजस्वला वस्त्र 
मेले के दौरान भक्तों को प्रसाद के रूप में एक गीला कपड़ा दिया जाता है, जिसे अम्बुबाची वस्त्र कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि देवी के रजस्वला होने से पहले गर्भगृह में स्थित महामुद्रा के आसपास सफेद वस्त्र बिछा दिए जाते हैं। तीन दिन बाद जब मंदिर के पट खोले जाते हैं, तो ये वस्त्र माता के रज से रक्तवर्ण हो जाते हैं। बाद में इन्हीं वस्त्रों को भक्तों में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। कहा जाता है कि इस वस्त्र को धारण करके उपासना करने से भक्त की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। यह भी मान्यता है कि इस समय ब्रह्मपुत्र नदी का पानी तीन दिन के लिए लाल हो जाता है, जो देवी के रजस्वला होने का प्राकृतिक संकेत माना जाता है।

अम्बुबाची पर्व का तांत्रिक महत्व
अम्बुबाची पर्व को 'महाकुंभ' के नाम से भी जाना जाता है, खासकर तांत्रिकों के लिए। इस मेले के दौरान तांत्रिक शक्तियों को काफी महत्व दिया जाता है। यहां सैंकड़ों तांत्रिक अपने एकांतवास से बाहर आते हैं और अपनी शक्तियों का प्रदर्शन करते हैं, जिससे यह पर्व और भी रहस्यमय और अद्भुत बन जाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह प्रकृति और स्त्री शक्ति के सम्मान का भी परिचायक है।

अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।