केदारनाथ यात्रा से पहले क्यों गौरी कुंड में स्नान करना माना जाता है विशेष, जानिए पौराणिक मान्यता
gaurikund to kedarnath: केदारनाथ की दिव्य यात्रा शुरू करने से पहले गौरी कुंड में स्नान करना एक ऐसी परंपरा है, जिसका अपना एक गहरा आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व है। यह सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि यात्रा की शुद्धि, तैयारी और गौरी देवी के आशीर्वाद को प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण चरण है। आइए, जानते हैं क्या है गौरी कुंड की महिमा और क्यों है यहां का स्नान इतना खास।
गौरी कुंड की महिमा
गौरी कुंड, उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित, केदारनाथ धाम के प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाता है। यह एक प्राकृतिक गर्म पानी का स्रोत है, जहां का पानी आश्चर्यजनक रूप से 53 डिग्री सेल्सियस तक गर्म रहता है। कड़कड़ाती ठंड में भी यह गर्म पानी यात्रियों को एक अनूठा अनुभव प्रदान करता है। माना जाता है कि इस पवित्र कुंड का संबंध देवी पार्वती से है, जिन्हें गौरी के नाम से भी जाना जाता है।
पौराणिक महत्व: देवी गौरी की तपस्या का स्थान
पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए इसी स्थान पर कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और उनसे विवाह किया। इसी कारण यह स्थान गौरी कुंड के नाम से प्रसिद्ध हुआ। ऐसी मान्यता है कि यहां स्नान करने से भक्तों को देवी गौरी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनके सभी पाप धुल जाते हैं। अविवाहित कन्याएं यहां स्नान कर अच्छे वर की कामना करती हैं, जबकि विवाहित महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं।
केदारनाथ यात्रा से पहले स्नान का महत्व
केदारनाथ यात्रा एक कठिन और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण यात्रा है। गौरी कुंड में स्नान को इस यात्रा का एक अभिन्न अंग माना जाता है। इसके कई कारण हैं:
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केदारनाथ यात्रा शुरू करने से पहले गौरी कुंड के गर्म पानी में स्नान करने से शरीर की थकान दूर होती है और मांसपेशियां शिथिल होती हैं। यह शरीर को आगे की चुनौतीपूर्ण चढ़ाई के लिए तैयार करता है।
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पवित्र जल में स्नान करने से मन शांत होता है और नकारात्मक ऊर्जाएं दूर होती हैं। यह यात्रा को एक शुद्ध और सकारात्मक शुरुआत प्रदान करता है, जिससे यात्री मानसिक रूप से भगवान शिव के दर्शन के लिए तैयार हो सकें।
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, गौरी कुंड में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है। यह एक तरह से आत्मा को शुद्ध करने का कार्य करता है, जिससे यात्री पवित्र भाव से केदारनाथ के दर्शन कर सकें।
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चूंकि यह कुंड देवी पार्वती के तपस्या स्थल से जुड़ा है, इसलिए यहां स्नान करने से भक्तों को देवी गौरी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह आशीर्वाद यात्रा को सफल और सुरक्षित बनाने में सहायक माना जाता है।
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गौरी कुंड का गर्म पानी सल्फर से भरपूर होता है, जिसमें औषधीय गुण होते हैं। यह त्वचा रोगों और जोड़ों के दर्द में राहत देने में सहायक माना जाता है, जो लंबी पैदल यात्रा से पहले विशेष रूप से फायदेमंद हो सकता है।
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इसलिए, जब आप केदारनाथ यात्रा की योजना बनाएं, तो गौरी कुंड में डुबकी लगाना न भूलें। यह सिर्फ एक स्नान नहीं, बल्कि एक पवित्र परंपरा है जो आपकी यात्रा को एक दिव्य अनुभव में बदल देती है।
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