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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शनिवार, 19 जुलाई 2025 (18:07 IST)

मनोकामना पूरी होने पर कितनी बार करनी चाहिए कावड़ यात्रा?

Kawad Yatra 2025
kawad yatra ke niyam: सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति और आराधना का महापर्व है, और इस दौरान होने वाली कांवड़ यात्रा शिव भक्तों की असीम श्रद्धा और अटूट विश्वास का प्रतीक है। लाखों शिव भक्त पवित्र नदियों से जल भरकर, सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। अक्सर यह यात्रा किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए की जाती है। लेकिन, जब मनोकामना पूरी हो जाती है, तो यह सवाल उठता है कि क्या कांवड़ यात्रा को जारी रखना चाहिए और कितनी बार? आइए, इस विषय पर प्रचलित मान्यताओं और श्रद्धा के महत्व को समझते हैं।

कांवड़ यात्रा: संकल्प और समर्पण का प्रतीक
कांवड़ यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक कठिन तपस्या है, जिसमें भक्त अपनी शारीरिक और मानसिक सीमाओं को पार करते हुए भगवान शिव के प्रति अपना समर्पण व्यक्त करते हैं। यह यात्रा अक्सर किसी विशेष इच्छा या मन्नत के साथ शुरू की जाती है, जैसे संतान प्राप्ति, स्वास्थ्य लाभ, नौकरी या व्यवसाय में सफलता, या परिवार की खुशहाली। भक्त भोलेनाथ से प्रार्थना करते हैं और मन्नत पूरी होने पर कांवड़ यात्रा करने का संकल्प लेते हैं।

मनोकामना पूरी होने के बाद कितनी बार करें कांवड़ यात्रा?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मनोकामना पूरी होने के बाद कांवड़ यात्रा की संख्या व्यक्ति की अपनी श्रद्धा और संकल्प पर निर्भर करती है। हालंकि, कुछ प्रचलित संख्याएं हैं जिन्हें भक्त अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने और भगवान को धन्यवाद देने के लिए चुनते हैं:
  • 2, 5, 7, 11 या 21 बार: कई भक्त मनोकामना पूरी होने के बाद 2, 5, 7, 11 या 21 बार कांवड़ यात्रा करने का संकल्प लेते हैं। ये संख्याएं शुभ मानी जाती हैं और इन्हें भगवान के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका माना जाता है। इस यात्रा के माध्यम भक्त अपनी मन्नत पूरी होने पर भोलेनाथ का धन्यवाद करते हैं।
  • नियमित यात्रा: कुछ भक्त ऐसे भी होते हैं जो मनोकामना पूरी होने के बाद भी हर साल कांवड़ यात्रा जारी रखते हैं। उनके लिए यह केवल मन्नत पूरी होने का विषय नहीं होता, बल्कि भगवान शिव के प्रति उनकी अटूट भक्ति और जीवन भर के समर्पण का प्रतीक बन जाता है। वे इसे अपने जीवन का एक अभिन्न अंग मान लेते हैं।
  • व्यक्तिगत संकल्प: सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कांवड़ यात्रा का संकल्प और उसकी संख्या पूरी तरह से व्यक्तिगत होती है। यह भक्त की अपनी आस्था, सामर्थ्य और भगवान के साथ उसके संबंध पर निर्भर करता है। कोई कठोर नियम नहीं है कि आपको कितनी बार यात्रा करनी ही चाहिए। यदि आपने एक बार का संकल्प लिया था और वह पूरा हो गया, तो आप अपनी श्रद्धा अनुसार आगे भी यात्रा कर सकते हैं या नहीं भी।
 
संकल्प का महत्व और यात्रा के नियम
कांवड़ यात्रा में संख्या से अधिक महत्व संकल्प और उसके पालन का होता है। यदि आपने कोई संकल्प लिया है, तो उसे पूरी निष्ठा और शुद्धता के साथ पूरा करना चाहिए। कांवड़ यात्रा के कुछ महत्वपूर्ण नियम हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य माना जाता है:
  • शुद्धता और सात्विकता: यात्रा के दौरान कांवड़िया को शुद्ध और सात्विक जीवन जीना चाहिए। मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज, और किसी भी प्रकार के नशे का सेवन वर्जित होता है।
  • कांवड़ को जमीन पर न रखें: गंगाजल से भरी कांवड़ को यात्रा के दौरान कभी भी सीधे जमीन पर नहीं रखा जाता है। विश्राम के लिए इसे किसी साफ ऊंचे स्थान या लकड़ी के स्टैंड पर रखा जाता है।
  • पैदल यात्रा: कांवड़ यात्रा पूरी तरह से पैदल ही की जाती है। किसी भी प्रकार के वाहन का प्रयोग वर्जित होता है।
  • ब्रह्मचर्य और शांति: यात्रा के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना और मन को शांत रखना अनिवार्य माना गया है।