कश्मीर में 'बाहरी' लोगों पर आतंकियों का कहर, 370 की समाप्ति के बाद 12 लोगों की हत्या
जम्मू। कश्मीर में प्रवासी नागरिक एक बार फिर आतंकियों के निशाने पर हैं। खासकर आतंकी फिर से उन प्रवासी नागरिकों को निशाना बनाने लगे हैं, जो लंबे अरसे से जम्मू-कश्मीर में रह रहे हैं और उन्होंने प्रदेश में जमीन जायदाद खरीदने के लिए डोमिसाइल सर्टिफिकेट भी बनवा लिए हैं।
ताजा मामले में कल रात कुलगाम में आतंकियों ने ऐसा ही आरोप मढ़ कर एक प्रवासी नागरिक को मौत के घाट उतार दिया। बिहार के रहने वाले शंकर चौधरी की हत्या करने वाले आतंकी गुट ने उस पर डोमिसाइल सर्टिफिकेट हासिल करने का आरोप लगाया था। ऐसी ही एक हत्या इस साल के शुरू में 2 जनवरी को एक सुनार की कर दी गई थी जिसका परिवार पिछले पचास सालों से प्रदेश में रह रहा था। हालांकि श्रीनगर के निश्चल ज्वेलर्स के मालिक सतपाल निश्चल की हत्या का जिम्मा लेने वाले टीआरएफ नामक आतंकी गुट ने तब भी यही आरोप लगाया था कि वह पंजाबी था और उसने डोमिसाइल सर्टिफिकेट हासिल किया है।
तब टीआरएफ ने धमकीभरे पोस्टर लगाकर प्रवासी नागरिकों को चेतावनी भी जारी की थी कि वे डोमिसाइल प्राप्त करने और प्रदेश में जमीन जायदाद खरीदने जैसे कार्यों से दूर ही रहें। हालांकि आधिकारिक तौर पर इसे माना गया है कि इस धमकी के बाद प्रवासी नागरिकों द्वारा डोमिसाइल सर्टिफिकेट बनाने की प्रक्रिया थम सी गई थी।
जानकारी के लिए 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू होने के बाद 29 अक्तूबर 2019 तक आतंकियों ने 11 बाहरी लोगों की हत्या की थी। ताजा हत्या के साथ ही आतंकियों ने प्रवासी नागरिकों के दिलों में दहशत फैलाने की कोशिश की है। इसका परिणाम आने वाले दिनों में दिख सकता है, क्योंकि यह सच है कि अतीत में भी जब-जब आतंकियों ने प्रवासी नागरिकों को विभिन्न कारणों या आरोप मढ़ कर उन्हें निशाना बनाया है तो प्रवासी नागरिकों को कश्मीर छोड़ देना पड़ा था। यह बात अलग है कि उनके कश्मीर से किए जाने वाले पलायन का परिणाम प्रदेश के आम नागरिकांे को ही भुगतना पड़ा था जिन्हें प्रवासी श्रमिकों की कमी से दो-चार होना पड़ा था।
9 माह में 12 पुलिसकर्मी शहीद : कश्मीर पुलिस का मानना है कि आतंकी एक बार फिर से पुलिस के जवानों को निशाना बना रहे हैं। आंकड़े भी इसकी पुष्टि करते हैं कि पिछले 9 महीनों में 12 पुलिसकर्मी आतंकी हमलों में मारे गए हैं। इस अवधि में शहीद होने वाले 12 पुलिसकर्मियों में से सिर्फ 2 ही मुठभेड़ मे मारे गए थे जबकि बाकी पर सीधे हमले किए गए थे।
रिकॉर्ड के मुताबिक ताजा हमला शुक्रवार को किया गया जिसमें कश्मीरी पंडित पुलिसकर्मी बांटू शर्मा को आतंकियो ने मौत के घाट उतार दिया। बांटू का परिवार आतंकवाद के बावजूद कश्मीर से पलायन करने को तैयार नहीं हुआ था। और अब उस परिवार के अकेले कमाने वाले को आतंकियों ने मौत के घाट उतार दिया।
पिछले 9 महीनों में पुलिसकर्मियों पर यह कोई पहला हमला नहीं था। 6 दिन पहले ही आतंकियों ने 12 सितंबर को श्रीनगर में खान्यार में प्रोबेशनर सब इंस्पेक्टर अर्शीद अहमद पर ब्लैंक रेंज से हमला कर शहीद कर दिया था। इससे पहले 7 अगस्त को कुलगाम में, 27 जून को पुलवामा के त्राल में, 22 जून को श्रीनगर के नौगाम, 12 जून को सोपोर में, 7 जून को श्रीनगर के सैदपोरा ईदगाह में आतंकियों ने हमले किए जिनमें पुलिसकर्मी मारे गए।