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19 जनवरी ओशो निर्वाण दिवस : अमेरिकी ज़हर से कहीं ज्यादा खतरनाक है भारतीय ज़हर
मंगलवार,जनवरी 19, 2021
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ओशो रजनीश का जन्म 11 दिसम्बर, 1931 को कुचवाड़ा गांव, बरेली तहसील, जिला रायसेन, राज्य मध्यप्रदेश में हुआ था। उन्हें जबलपुर में 21 वर्ष की आयु में 21 मार्च 1953 मौलश्री वृक्ष के नीचे संबोधि की प्राप्ति हुई। 19 जनवरी 1990 को पूना स्थित अपने आश्रम में ...
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ओशो रजनीश का जन्म 11 दिसम्बर, 1931 को कुचवाड़ा गांव, बरेली तहसील, जिला रायसेन, राज्य मध्यप्रदेश में हुआ था। उन्हें जबलपुर में 21 वर्ष की आयु में 21 मार्च 1953 मौलश्री वृक्ष के नीचे संबोधि की प्राप्ति हुई। 19 जनवरी 1990 को पूना स्थित अपने आश्रम में ...
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ओशो|
शनिवार,नवंबर 28, 2020
ओशो रजनीश अपने प्रवचनों में मजेदार और प्रेरक कहानियां सुनाते रहते हैं। उनकी कही गई कहानियां बहुत प्रसिद्ध भी होती हैं और खुद के द्वारा कही गई भी होती है। इसके अलावा कुछ ऐसी घटनाएं उनके साथ घटी होती है जो कि अपने आप में एक कहानी का रूप ले लेती है। ...
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ओशो|
शुक्रवार,नवंबर 27, 2020
अहंकार और आशा के संबंध में ओशो रजनीश ने एक बहुत ही मजेदार कहानी सुनाई थी। अहंकार है कि टूटता नहीं और आशा है कि छूटती ही नहीं। दरअसल, यह कहानी लालच पर आधरित मानी जा सकती है।
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ओशो|
गुरुवार,नवंबर 26, 2020
जिंदगी में कई बार हार का सामना करना पड़ता है। कुछ लोग हार से टूट जाते हैं, कुछ लोग फिर से जुट जाते हैं और कुछ लोग हार को जीत की ओर रखा एक कदम मानते हैं। परंतु यह कहानी ऐसे व्यक्ति की है जिसके सामाने जीवन मरण का प्रश्न था तो उसे तो जीतना ही था। मतलब ...
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तुम जैसे हो, उससे अन्यथा होने की चेष्टा न करो। आंख में आंसू नहीं आते, क्या जरूरत है? सूखी हैं आंखें, सूखी भली। सूखी आंखों का भी मजा है। आंसू भरी आंखों का भी मजा है। और परमात्मा को सब तरह की आंखें चाहिए, क्योंकि परमात्मा वैविध्य में प्रकट होता है। ...
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मुझे पता है कि तुम जीवन से ऊब गए हो। यदि तुम सचमुच ऊब गए हो तो आत्महत्या नहीं करो, क्योंकि आत्महत्या तुम्हें फिर इसी जीवन में घसीट लाएगी और हो सकता है कि इससे भी अधिक भद्दा जीवन तुम्हें मिले, जैसा कि अभी तुम्हारा है; क्योंकि आत्महत्या तुम्हारे भीतर ...
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भगवान बुद्ध पर दिए अपने प्रवचनों में ओशो ने महामारी का जिक्र किया है। ओशो कहते हैं कि एक समय वैशाली में दुर्भिक्ष हुआ था और महामारी फैली थी। लोग कुत्तों की मौत पर रहे थे। मृत्यु का तांडव नृत्य हो रहा था। मृत्यु का ऐसा विकराल रूप तो लोगों ने कभी नहीं ...
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संबोधि शब्द बौद्ध धर्म का है। इसे बुद्धत्व भी कहा जा सकता है। देखा जाए तो यह मोक्ष या मुक्ति की शुरुआत है।
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ओशो का जन्म मध्यप्रदेश के कुचवाड़ा में 11 दिसंबर 1931 को हुआ था। उन्हें 21 वर्ष की आयु में जबलपुर में संबोधि की प्राप्ति हुई। स्वास्थ्य संबंधी प्रतिकूलताओं के कारण ओशो ने 19 जनवरी 1990 को पूना स्थित अपने आश्रम में सायं 5 बजे के लगभग अपनी देह त्याग ...
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सेक्स के बारे में अपने खुले विचारों की वजह से विवाद में भी रहे हैं। फिल्म, लेखन और दूसरे क्षेत्रों से जुड़े कुछ हस्तियां ऐसी भी रहीं हैं, जो पहले ओशो की शरण में गईं और फिर उनसे उनका मोह भी भंग हुआ।
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चन्द्र मोहन जैन ऊर्फ ओशो रजनीश खुद को भगवान कहते थे। दुनिया उन्हें धर्म विरोधी और सेक्स गुरु कहती है। ओशो कहते हैं कि यदि आप मेरा समर्थन नहीं कर सकते को कृपया करके विरोध जरूर करना, आलोचना जरूर करना। क्योंकि यदि में सही हूं तो इस विरोध और आलोचना से ...
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ओशो|
सोमवार,अक्टूबर 7, 2019
छठवां प्रश्न : ओशो, कहा जाता है कि रावण भी ब्रह्मज्ञानी था। क्या रावण भी रावण उसकी मर्जी से नहीं था? क्या रामलीला सच में ही राम की लीला थी?
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ओशो|
बुधवार,फ़रवरी 27, 2019
आतंकवाद की घटना निश्चित रूप से उस सबसे जुड़ी है, जो समाज में हो रहा है। समाज बिखर रहा है। उसकी पुरानी व्यवस्था, अनुशासन, नैतिकता, धर्म सब कुछ गलत बुनियाद पर खड़ा मालूम होता है। लोगों की अंतरात्मा पर अब उसकी कोई पकड़ नहीं रही।
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20वीं सदी के महान विचारक तथा आध्यात्मिक गुरु ओशो रजनीश ने वर्तमान में सभी प्रचलित धर्मों के पाखंड को उजागर कर दुनियाभर के लोगों से दुश्मनी मोल ले ली थी।
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ज्योतिष का एक डायमेंशन है, एक आयाम है। फिर भविष्य को जानने के और आयाम भी हैं। मनुष्य के हाथ पर खींची हुई रेखाएं हैं,
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अध्यात्म जगत की चर्चा आचार्य रजनीश 'ओशो' के बिना अधूरी है। ओशो एक ऐसे संबुद्ध सदगुरु हैं जिन्होंने मानवीय चेतना को धर्म की रूढ़िवादी व बद्धमूल धारणाओं से मुक्त किया।
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कैसे हुई ओशो की मृत्यु? यह सवाल आज भी महत्वपूर्ण है। ओशो रजनीश को अमेरिका की सरकार ने जहर दिया था या कि उनके ही संन्यासियों ने विरासत के लिये या किसी अंतरराष्ट्रीय साजिश के तहत मार दिया था? यह सवाल आज भी अनुत्तरित है, लेकिन हम आपको बताएंगे जलता हुआ ...
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ओशो|
बुधवार,जनवरी 11, 2017
छठवां प्रश्न : ओशो, कहा जाता है कि रावण भी ब्रह्मज्ञानी था। क्या रावण भी रावण उसकी मर्जी से नहीं था? क्या रामलीला सच में ही राम की लीला थी?
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