सोमवार, 22 अप्रैल 2024
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Written By ओशो

Motivational Stories : जुए का खेल जैसा है ये जगत, पढ़िये रोचक कथा

Motivational Stories : जुए का खेल जैसा है ये जगत, पढ़िये रोचक कथा - Motivation Story
अहंकार और आशा के संबंध में ओशो रजनीश ने एक बहुत ही मजेदार कहानी सुनाई थी। अहंकार है कि टूटता नहीं और आशा है कि छूटती ही नहीं। दरअसल, यह कहानी लालच पर आधरित मानी जा सकती है।
 
 
ओशो कहते हैं कि एक आदमी के संबंध में मैं पढ़ रहा था। उसे दस हजार डॉलर वसीयत में मिल गए। उसने सोचा कि एक बार जुआ खेलकर जितने बढ़ सकें ये डॉलर उतना बढ़ा लेना उचित है, ताकि जिंदगीभर के लिए फिर झंझट ही काम करने की मिट जाए। वह अपनी पत्नी को लेकर जुआघर गया। वह सब हार गया, सिर्फ दो डॉलर बचे। वह भी इसलिए बचा लिए थे कि होटल में लौटकर जाने के लिए रास्ते में टैक्सी का किराया भी तो चुकाना पड़ेगा।
 
वह बाहर आया, बाहर उसने पत्नी से कहा कि सुन! आज पैदल ही चल लेंगे, यह दो डॉलर और लगा लेने देते हैं। नहीं तो मन में एक बात खटकती रह जाएगी कि कौन जाने, यह दो के लगाने से जीत हो जाती! पत्नी ने कहा, अब तुम जाओ, मैं तो चली।
 
पत्नी घर चली गई और वह आदमी भीतर गया। उसने दो डॉलर दाव पर लगाए और जीत गया और फिर लगाता चला गया। हजार डॉलर तो दूर, अब उसके पास एक लाख डॉलर थे आधी रात होते-होते। फिर उसने सोचा, अब आखिरी दाव लगा लूं। उसने वह एक लाख डॉलर डॉलर एकसाथ दाव पर लगा दिए अगर जीत जाता तो बीस लाख हो जाते मगर वह हार गया।
 
आधी रात पैदल ही होटल वापस लौटा, दरवाजा खटखटाया, पत्नी ने पूछा, क्या हुआ? उसने कहा, वह दो डॉलर हार गया। उसने सोचा, अब एक लाख डॉलर जीतने की बात कहने का कोई मतलब ही नहीं। पत्नी ने पूछा, इतनी देर कहां रहे फिर? उसने कहा, वह पूछ ही मत! अब वह दु:ख छेड़ ही मत! इतना तू जान लिए दो डॉलर जो थे, वह भी हार गया हूं।
 
यह जगत भी जुए के खेल जैसा है। यहां कभी-कभी जीत भी होती है ऐसा नहीं है कि नहीं होती, जीत होती है, मगर हर जीत किसी और बड़ी हार की सेवा में नियुक्त है। हर जीत किसी बड़ी हार की नौकरी में लगी है। यहां कभी-कभी सुख भी मिलता है, नहीं कि नहीं मिलता, लेकिन हर सुख किसी बड़े दुख का चाकर है। हर सुख तुम्हें किसी बड़े दुख पर ले आएगा। सुख भरमाता है। सुख कहता है, सुख हो सकता है, घबड़ाओ मत, भागो मत। तो आशा बनी रहती है कि शायद अभी हुआ, कल फिर होगा, परसों फिर होगा। तो एक तो आशा चलाती, एक अहंकार चलाता।
 
किताब : मरो है जोगी मरो से साभार
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