19 January Osho Nirwan Diwas: ओशो जैसी चेतना का जन्म सैकड़ों वर्षों के बाद होता है। बुद्ध के बाद ओशो ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने चेतना के गौरीशंकर को छू लिया है। पूरे ढाई हजार वर्षों बाद कोई ऐसा व्यक्ति हुआ, जिसे बुद्ध के समकक्ष रखा जा सकता है, लेकिन फिर भी ओशो में बुद्ध से कुछ अलग ही था। ओशो में ओशोपन था, जो उन्हें दुनिया के तमाम बुद्ध पुरुषों से अलग करता है।
मनुष्य जाति के चित्त में यह बात न जाने कैसे बैठ गई कि जब भी कोई बुद्ध चेतना आए तो सो जाना या फिर उसे पत्थर मारकर जंगल में ही रहने के लिए मजबूर कर देना। प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव के साथ भी यही हुआ। भगवान महावीर को भी पत्थर मारे जाते थे। बुद्ध के सामने पागल हाथी छोड़े गए। ईसा मसीह को सूली पर लटका दिया गया।
सुकरात को जहर क्यों दिया गया? क्योंकि वह विश्वास की जगह संदेह सिखाता था। स्वाभाविक है कि कोई आपकी नींद तोड़ेगा तो आपको गुस्सा आएगा ही। ओशो भी सोए हुए मनुष्य की नींद तोड़ने ही आए थे, लेकिन इस बार भी हम चूक गए। थेलीसियम जहर देकर समयपूर्व ही उनके शरीर को मार दिया गया। क्यों मार दिया? क्योंकि उन्होंने आपको झकझोरा। आपकी राजनीति के प्रति, आपके धर्म के प्रति और आपके तमाम तरह के पाखंड के प्रति आपको जगाने का प्रयास किया, लेकिन आप जागने के बजाय चद्दर खींचकर और गहरी नींद में सोने लगे।
ओशो कहते हैं कि पंडित, पुरोहित, मुल्ला, फादर और राजनेता यह सभी मानव और मानवता के शोषक हैं। मानवता के इन हत्यारों के प्रति जल्द ही जागृत होना जरूरी है, अन्यथा ये मूढ़ सामूहिक आत्महत्या के लिए मजबूर कर देंगे। ओशो कहते हैं कि मनुष्य को धर्म और राजनीति ने मार डाला है आज हमें हिंदू, मुसलमान, ईसाई और अन्य कोई नजर आते हैं, लेकिन मनुष्य नहीं।
ओशो ने कहा था, 'मेरे बारे में जितनी गालियां निकलती है, उतनी शायद ही किसी के बारे में निकलती होगी, लेकिन मेरा कार्य है कि धर्म और राष्ट्र के झूठ को, पाखंड को उजागर करना तो वह मैं करता रहूंगा।...मुझे भारत में समझा जाने लगेगा लेकिन थोड़ी देर से।'
यदि आज भी सूली देना प्रचलन में होता तो निश्चित ही ओशो को सूली पर लटका दिया जाता लेकिन अमेरिका ऐसा नहीं कर सकता था इसलिए उसने ओशो को थेलिसियम का एक इंजेक्शन लगाया जिसकी वजह से 19 जनवरी, 1990 में ओशो ने देह छोड़ दी।
अमेरिकी और भारतीय लेखकों की पुस्तकों में लिखे तथ्य और तर्क बताते हैं कि अमेरिका में रोनाल्ड रीगन के काल में 12 दिनों तक ओशो को यातना दिए जाने के दौरान थेलिसियम जहर दिया गया था, जिसके कारण वे समय पूर्व ही शरीर छोड़कर अशरीरी हो गए। इस संबंध में मा प्रेम मनीषा और अमेरिकी अटॉर्नी जनरल सू एपलटन की 'दिया अमृत पाया जहर' पुस्तक प्रसिद्ध है इसके अलावा उनके निजी डॉक्टर ने उनके शरीर में हो रहे परिवर्तन के बारे में भी विस्तार से लिखा है।
10 हजार सन्यासी, 96 रोड रॉयल्स कारें और इतने ही निजी प्लेन के साथ दुनिया की सबसे अत्याधुनिक और अमीर ओरेगॉन सिटी को एक झटके में धूल में मिला दिया गया। क्यों? क्योंकि सिर्फ अमेरिका ही नहीं दुनियाभर के राष्ट्र और धर्म को ओशो से खतरा होने लगा था।