• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. मोटिवेशनल
  4. Osho Rajneesh
Written By
Last Modified: गुरुवार, 17 जून 2021 (17:19 IST)

Motivation Speech: सोच को सकारात्मक बनाने की बहुत ही सरल ट्रिक्स

Motivation Speech: सोच को सकारात्मक बनाने की बहुत ही सरल ट्रिक्स - Osho Rajneesh
नकारात्मक विचार सोचना या नकारात्मक कल्पनाओं का आना ऑटोमेटिक होता है क्योंकि हमें नकारात्मक सोचना नहीं पड़ता है यह खुद ब खुद ही दिमाग में आ जाता है। हम कोशिश करते हैं कि नकारात्मक कल्पना दिमाग में ना आए फिर भी आ ही जाती है। ऐसा इसलिए कि हमारे चारों ओर जो समाज है, फिल्म है और अब तो सोशल मीडिया भी है जो निरंतर नकारात्मकता फैलाने में लगे हैं तो हमारा दिमाग भी इसके लिए अभ्यस्त हो चला है। कहते हैं नकारात्मक सोच या कल्पना से ही नकारात्मक भविष्य का निर्माण होता है। ऐसे में ओशो रजनीश ने इससे छुटकारा पाने के लिए एक ट्रिक्स बताई है। आप जानिए उसे।
 
 
कल्पना द्वारा नकारात्मक को सकारात्मक में बदलना : सुबह उठते ही पहली बात, कल्पना करें कि तुम बहुत प्रसन्न हो। बिस्तर से प्रसन्न-चित्त उठें- आभा-मंडित, प्रफुल्लित, आशा-पूर्ण- जैसे कुछ समग्र, अनंत बहुमूल्य होने जा रहा हो। अपने बिस्तर से बहुत विधायक व आशा-पूर्ण चित्त से, कुछ ऐसे भाव से कि आज का यह दिन सामान्य दिन नहीं होगा- कि आज कुछ अनूठा, कुछ अद्वितीय तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा है; वह तुम्हारे करीब है। इसे दिन-भर बार-बार स्मरण रखने की कोशिश करें। सात दिनों के भीतर तुम पाओगे कि तुम्हारा पूरा वर्तुल, पूरा ढंग, पूरी तरंगें बदल गई हैं।
 
जब रात को तुम सोते हो तो कल्पना करो कि तुम दिव्य के हाथों में जा रहे हो…जैसे अस्तित्व तुम्हें सहारा दे रहा हो, तुम उसकी गोद में सोने जा रहे हो। बस एक बात पर निरंतर ध्यान रखना है कि नींद के आने तक तुम्हें कल्पना करते जाना हैं ताकि कल्पना नींद में प्रवेश कर जाए, वे दोनों एक-दूसरे में घुलमिल जाएं।
 
किसी नकारात्मक बात की कल्पना मत करें, क्योंकि जिन व्यक्तियों में निषेधात्मक कल्पना करने की क्षमता होती है, अगर वे ऐसी कल्पना करते हैं तो वह वास्तविकता में बदल जाती है। अगर तुम कल्पना करते हो कि तुम बीमार पड़ोगे तो तुम बीमार पड़ जाते हो। अगर तुम सोचते हो कि कोई तुमसे कठोरता से बात करेगा तो वह करेगा ही। तुम्हारी कल्पना उसे साकार कर देगी।
 
तो जब भी कोई नकारात्मक विचार आए तो उसे एकदम सकारात्मक सोच में बदल दें। उसे नकार दें, छोड़ दें उसे, फेंक दें उसे। एक सप्ताह के भीतर तुम्हें अनुभव होने लगेगा कि तुम बिना किसी कारण के प्रसन्न रहने लगे हो- बिना किसी कारण के।
 
ओशो: द पैशन फॉर द इम्पॉसिबल
ये भी पढ़ें
कैसे कम होंगे भारत में मौजूद कचरे के पहाड़