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Last Updated : सोमवार, 5 अगस्त 2024 (16:47 IST)

क्या है यूपी सरकार का Nazul Bill, ‍जिस पर भाजपा में ही मचा है बवाल

क्या है यूपी सरकार का Nazul Bill, ‍जिस पर भाजपा में ही मचा है बवाल - What is the UP government Nazul Bill, which has created a ruckus in the BJP itself
UP Nazul Property Bill: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi Adityanath Government) के नजूल संपत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग) विधेयक (Nazul Property Bill) को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा में ही कलह मची हुई है। यह बिल विधानसभा में तो पास हो गया, लेकिन विधान परिषद में पास नहीं हो पाया। बाद में सत्ता पक्ष के प्रस्ताव पर ही इसे सदन की प्रवर समिति के पास भेज दिया गया। राज्य विधान परिषद के 100 सदस्यीय सदन में भाजपा के 79 सदस्य हैं। ऐसे में इस विधेयक को पारित नहीं किया जाना खासा अहम माना जा रहा है। आइए जानते हैं आखिर क्या है यूपी सरकार का नजूल बिल और क्यों इस पर बवाल मचा हुआ है.... 
 
क्या है नजूल संपत्ति विधेयक : यदि यह विधेयक प्रभावी होता है तो यूपी में किसी भी नजूल जमीन को किसी व्यक्ति अथवा निजी संस्था के पक्ष में फ्री होल्ड नहीं किया जाएगा। नजूल भूमि का अनुदान केवल सार्वजनिक संस्थाओं को ही दिया जाएगा। इनमें केंद्रीय या राज्य सरकार के विभाग या शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सहायता के क्षेत्र में सेवा करने वाली सार्वजनिक सेवा संस्थाएं शामिल हैं। 
 
नए बिल के अनुसार, खाली पड़ी नजूल भूमि जिसकी लीज का समय खत्म हो रहा है, उसे फ्री होल्ड न करके सार्वजनिक हित की परियोजनाओं जैसे अस्पताल, विद्यालय, सरकारी कार्यालय आदि के लिए उपयोग किया जाएगा। नए बिल में यह भी प्रावधान किया गया है कि जिन व्यक्ति अथवा संस्थाओं ने 27, जुलाई 2020 तक फ्री होल्ड के लिए आवेदन कर दिया है और निर्धारित शुल्क जमा कर दिया है, उनके पास यह विकल्प होगा कि वह लीज अवधि समाप्त होने के बाद अगले 30 वर्ष की अवधि के नवीनीकरण करा सकें। उनके द्वारा मूल लीज डीड का उल्लंघन न किया गया हो।
 
इस विधेयक के मुताबिक ऐसी किसी भी भूमि पर जहां पर लोग रहते हैं अथवा जिसका व्यापक जनहित में उपयोग किया जा रहा है, उसे नहीं हटाया जाएगा। वर्तमान में उपयोग लाई जा रही जमीन से किसी को भी बेदखल नहीं किया जाएगा। ऐसे सभी पट्टाधारक जिन्होंने लीज अवधि में लीज डीड का उल्लंघन नहीं किया है, उनका पट्टा नियमानुसार जारी रहेगा। 
 
इस बिल में यह भी प्रावधान किया गया है कि कोई भी भवन जो नजूल की भूमि पर बनाया गया है, उसे व्यापक जनहित में हटाया जाना आवश्यक होगा तो प्रभावित व्यक्ति भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम 2013 के अनुसार यथोचित मुआवजा और पुनर्वास पाने का अधिकारी होगा। यह बिल सरकार को अधिकार देता है कि वह नजूल की भूमि पर काबिज गरीब तबके के हितों को संरक्षण देते हुए उनके पक्ष में कानून बना सके एवं उनका पुनर्वास कर सके। 
 
क्यों है भाजपा में ही विरोध : भाजपा सदस्य हर्षवर्धन बाजपेई ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि वही समाज और देश तरक्की करता है, जहां जीवन स्वतंत्रता और संपत्ति की गारंटी होती है। प्रयागराज में नजूल की जमीनों पर ऐसे लोग बसे हैं जो एक कमरे, दो कमरे या तीन कमरे के स्लम (झुग्गी) में रहते हैं। यह लोग अंग्रेजों के जमाने से वहां रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर हम इतनी पुरानी आबादियों से उनकी संपत्ति का अधिकार छीन लेंगे तो यह मेरे हिसाब से सही नहीं है।
 
प्रयागराज से भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने इस विधेयक में कुछ संशोधनों की मांग की थी। सिद्धार्थनाथ ने कहा कि नजूल की जमीन के लीज को बढ़ाने का प्रावधान होना चाहिए, जिसे सरकार ने मान लिया। हालांकि 99 साल की जगह 30 साल का संशोधन तय किया गया।
 
क्या कहना है राजा भैया का : जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के सदस्य रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने विधेयक पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि यह विधेयक छोटा हो सकता है, लेकिन इसके दुष्परिणाम बहुत गंभीर होंगे। सिंह ने कहा कि हमारी जानकारी तो यह भी है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय भी नजूल की जमीन पर बना है तो क्या उसको भी खाली कर दिया जाएगा? भाजपा की सहयोगी निषाद पार्टी के सदस्य अनिल कुमार त्रिपाठी ने भी विधेयक के प्रावधानों में संशोधन की जरूरत पर जोर दिया।
 
अखिलेश यादव भी भड़के : समाजवादी पार्टी के मुखिया और पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने नजूल लैंड के मामले को पूरी तरह से ‘घर उजाड़ने’ का फैसला करार देते हुए मांग की है कि अमानवीय ‘नजूल जमीन विधेयक’ हमेशा के लिए वापस हो। यह पूरी तरह से ‘घर उजाड़ने’ का फैसला है क्योंकि बुलडोजर हर घर पर नहीं चल सकता है। उन्होंने कहा कि जनता को दुख देकर भाजपा अपनी खुशी मानती है। जब से भाजपा आई है, जनता रोजी-रोटी-रोजगार के लिए भटक रही है और अब भाजपाई मकान भी छीनना चाहते हैं।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala