क्लर्क से कल्कि बने विजय कुमार, 'भगवान' का दौलत पुराण
हिन्दू संस्कृति में यज्ञ में आहुति देने के बाद एक वैदिक परंपरा का मंत्र बोला जाता है- इदम् न मम् अर्थात यह मेरा नहीं। लेकिन, इसी संस्कृति के 'स्वयंभू भगवान' इसके उलट कहते हैं कि 'सबकुछ मेरा है'। इसी चलते उन्होंने अकूत संपत्ति बना ली है। देश-विदेश में शिष्यों का साम्राज्य इकट्ठा कर लिया है। यूं तो आप समझ ही गए होंगे, फिर हम बता देते हैं कि हम बात कर रहे हैं विजय कुमार उर्फ तथाकथित कल्कि भगवान की।
इन स्वयंभू भगवान के आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक में 40 से अधिक ठिकानों पर आयकर विभाग ने छापा मारकर करीब 600 करोड़ की संपत्ति बरामद की है, जिसमें नकद, सोना और जमीन-जायदाद शामिल है। हालांकि विजय कुमार ने कहा है कि वह देश में ही है, भागा नहीं है। उसने कहा है कि हजारों लोगों की प्रार्थनाएं हमारे साथ हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक आयकर विभाग ने करोड़ों रुपए की भारतीय मुद्रा के साथ ही 18 करोड़ रुपए के अमेरिकी डॉलर, 88 किलो सोने के जेवरात, जिनकी कीमत करीब 26 करोड़ रुपए आंकी गई है। 1271 कैरेट हीरा बरामद हुआ है, जिसका मूल्य 5 करोड़ रुपए है।
'कल्कि भगवान' उर्फ विजय कुमार 70 साल का व्यक्ति है। किसी समय एलआईसी में क्लर्क रहा विजय कुमार अब खुद को भगवान विष्णु का 10वां अवतार बताता है। 1980 में इसने जीवाश्रम नाम की संस्था बनाई साथ ही इसने शिक्षा के क्षेत्र में भी काम करना शुरू कर दिया। इसी दौरान विजय कुमार ने वननेस विश्वविद्यालय भी खोला। इस आश्रम को विजय कुमार, उसकी पत्नी और उसका बेटा एनकेवी कृष्णा चलाता है।
अन्त में हम आपको यह भी बताना चाहते हैं कि देशभर में इस समय कई 'कल्कि भगवान' सक्रिय हैं और भोलेभाले लोगों की आस्था के साथ छल कर रहे हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस तरह के बाबा ईश्वर के करीब नहीं ले जाते, बल्कि ईश्वर तक पहुंचने के मार्ग में बाधा ही बनते हैं। अत: ऐसे लोगों से सावधान रहें और सिर्फ और सिर्फ ईश्वर के प्रति समर्पित रहें।