• Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. इतिहास-संस्कृति
  3. भारतीय
  4. khan sir got into trouble for commenting on maharaja hari singh know kashmir history
Written By WD Feature Desk
Last Modified: बुधवार, 16 जुलाई 2025 (17:30 IST)

राजा हरि सिंह पर खान सर की टिप्पणी से छिड़ा विवाद, जानिए कश्मीर के भारत में विलय की पूरी कहानी

खान सर ने कश्मीर को क्या कहा
khan sir got into trouble for commenting on maharaja hari singh, know kashmir history: हाल ही में, लोकप्रिय शिक्षक और यूट्यूबर खान सर एक पॉडकास्ट में दिए गए अपने बयानों के कारण विवादों में घिर गए। कश्मीर मुद्दे पर महाराजा हरि सिंह पर उनके द्वारा की गई एक टिप्पणी के बाद उनके विचारों को लेकर सोशल मीडिया पर काफी बवाल मचा हुआ है। कई लोगों को उनका दृष्टिकोण पसंद नहीं आया। इस विवाद से परे, आइए इतिहास की दृष्टि से जानते हैं कश्मीर की कहानी। कैसे हुआ था कश्मीर का भारत में विलय और इसमें राजा हरि सिंह का पक्ष और भूमिका।

खान सर का बयान और विवाद
खान सर ने अपने पॉडकास्ट में महाराजा हरि सिंह के बारे में कहा कि कश्मीर को स्विट्जरलैंड बनाना चाहते थे, और उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके घर के रिश्तेदारों को पाकिस्तान लेकर जाया गया, तब जाकर उन्होंने सरेंडर किया। उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि देश 15 अगस्त को आजाद हुआ और उन्होंने 26 अक्टूबर को सरेंडर किया, जिससे उनकी आलोचना हुई। इन बयानों ने सोशल मीडिया पर एक बड़ी बहस छेड़ दी, जिसमें कई लोगों ने खान सर पर ऐतिहासिक तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया।

कश्मीर की कहानी और विलय का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
भारत की आजादी के समय, जम्मू-कश्मीर एक रियासत थी, जिस पर डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह का शासन था। 1947 में जब भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ, तो रियासतों को यह विकल्प दिया गया था कि वे या तो भारत में शामिल हों, पाकिस्तान में शामिल हों, या स्वतंत्र रहें। महाराजा हरि सिंह शुरुआत में जम्मू-कश्मीर को एक स्वतंत्र राज्य बनाए रखना चाहते थे।

हालांकि, उनकी यह इच्छा जल्द ही खतरे में पड़ गई। अक्टूबर 1947 में, पाकिस्तान समर्थित कबायलियों ने जम्मू-कश्मीर पर हमला कर दिया। ये कबायली लड़ाके तेजी से कश्मीर घाटी में घुसपैठ कर रहे थे, जिससे महाराजा हरि सिंह की सेना के लिए स्थिति गंभीर हो गई।

राजा हरि सिंह का पक्ष और भूमिका
जब कबायलियों का हमला तेज हुआ और श्रीनगर तक पहुंचने का खतरा मंडराने लगा, तब महाराजा हरि सिंह ने भारत से सैन्य सहायता मांगी। भारत सरकार ने मदद के लिए एक शर्त रखी: जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय। महाराजा हरि सिंह के सामने अपनी रियासत और जनता को बचाने के लिए यह एकमात्र विकल्प बचा था।

26 अक्टूबर 1947 को, महाराजा हरि सिंह ने 'इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन' (विलय पत्र) पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत जम्मू-कश्मीर रियासत का भारत में विलय हो गया। इस विलय पत्र पर गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन ने 27 अक्टूबर को अपनी मंजूरी दी। विलय के तुरंत बाद, भारतीय सेना कश्मीर पहुंची और कबायलियों को खदेड़ना शुरू कर दिया।

राजा हरि सिंह का पक्ष यह था कि वे अपनी रियासत की संप्रभुता बनाए रखना चाहते थे, लेकिन बाहरी आक्रमण के कारण उन्हें भारत से मदद मांगने और विलय का निर्णय लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि उन्होंने फैसला लेने में देर की, जिससे स्थिति और जटिल हो गई, जबकि कुछ अन्य उन्हें एक ऐसे शासक के रूप में देखते हैं जिन्होंने अपनी रियासत को बचाने के लिए सबसे कठिन परिस्थितियों में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया।

कश्मीर का भारत में विलय एक जटिल ऐतिहासिक घटना थी, जिसमें महाराजा हरि सिंह की भूमिका निर्णायक थी, और यह भारत के इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है।
ये भी पढ़ें
कुत्तों के सिर्फ चाटने से हो सकती है ये गंभीर बीमारी, पेट लवर्स भूलकर भी न करें ये गलती