ट्रंप ने दवाइयों पर लगाया 100 फीसदी टैरिफ, क्या होगा भारत पर असर
Trump Tariff on Pharma Sector : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दवाइयों के आयात पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। यह टैरिफ 1 अक्टूबर से लागू होगा। ट्रंप के इस फैसले के इस फैसले से वे सभी भारतीय फॉर्मा कंपनियां प्रभावित होगी जो अमेरिका में दवाइयों का निर्यात करती है।
ट्रंप ने ट्रूथ सोशल प्लेटफॉर्म पर पोस्ट कर कहा, 1 अक्टूबर, 2025 से, हम किसी भी ब्रांडेड या पेटेंटेड दवा उत्पाद पर 100% टैरिफ लगाएंगे, जब तक कि कोई कंपनी अमेरिका में अपना दवा निर्माण संयंत्र स्थापित नहीं कर रही हो। निर्माण का अर्थ होगा, ब्रेकिंग ग्राउंड और/या निर्माणाधीन। इसलिए, यदि निर्माण शुरू हो गया है, तो इन दवा उत्पादों पर कोई टैरिफ नहीं लगेगा। इस मामले पर ध्यान देने के लिए धन्यवाद!
अमेरिकी राष्ट्रपति ने अमेरिका में सभी हेवी-ड्यूटी ट्रकों के आयात पर 25% टैरिफ और किचन कैबिनेट पर 50% टैरिफ लगाने का भी ऐलान किया है।
क्या होगा भारत पर असर : भारत अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली 45 प्रतिशत से अधिक जेनेरिक और 15 प्रतिशत बायोसिमिलर दवाओं की आपूर्ति करता है ऐसे में इस फैसले का भारत पर सीधा असर होगा।
निर्यात में कमी: भारतीय फार्मा कंपनियों के लिए अमेरिका सबसे बड़ा बाजार है। ट्रंप टैरिफ की वजह से उनके निर्यात में कमी आ सकती है। इससे अमेरिका में मांग और सप्लाय का गणित भी गड़बड़ाएगा।
मुनाफे में कमी: कई भारतीय कंपनियां अमेरिकी बाजार पर बहुत अधिक निर्भर हैं। टैरिफ के कारण भारतीय फार्मा कंपनियों के मुनाफे में कमी आ सकती है।
उत्पादन लागत में वृद्धि: 1 अक्टूबर से टैरिफ लागू होने के बाद भारतीय फार्मा कंपनियों की उत्पादन लागत काफी बढ़ जाएगी। ऐसे उन्हें अपने उत्पादों की कीमतें बढ़ानी पड़ सकती हैं।
अमेरिकी स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रभाव: टैरिफ के कारण अमेरिकी स्वास्थ्य सेवाओं पर भी सीधा असर पड़ेगा। अमेरिकियों को भारत जैसे देशों से आने वाली दवाओं के लिए ज्यादा कीमत चुकानी होगी। कई फार्मा कंपनियां अमेरिका में दवाओं की सप्लाई रोक सकती है इससे यहां दवाओं का संकट भी हो सकता है।
क्या है विकल्प : ट्रंप टैरिफ लागू होने के बाद भारतीय फार्मा कंपनियां यूरोप, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका में नए बाजार तलाशेगी। कंपनियां अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाकर नए उत्पाद विकसित कर सकती हैं। टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए सरकार और उद्योग जगत के प्रतिनिधि अमेरिकी प्रशासन के साथ बातचीत कर सकते हैं।
edited by : Nrapendra Gupta