सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी मामले में सुप्रीम कोर्ट का केंद्र सरकार को नोटिस
Supreme Court issues notice to Centre in Wangchuk case: सुप्रीम कोर्ट ने लद्दाख के सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत की गई गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। शीर्ष अदालत ने इस मामले में लद्दाख प्रशासन और जोधपुर जेल अधीक्षक को भी नोटिस जारी किया है।
कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा : न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे. अंगमो की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब तलब किया। पीठ ने गीतांजलि की याचिका पर उनके अधिवक्ता कपिल सिब्बल और केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की संक्षिप्त दलीलें सुनने के बाद आदेश पारित किया। पीठ ने कहा कि नोटिस जारी करें।
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इससे पहले वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल ने पीठ के समक्ष कहा कि याचिका पर्यावरणविद् वांगचुक की हिरासत की आलोचना करती है। पीठ के समक्ष दलील देते हुए उन्होंने कहा कि हम वांगचुक को हिरासत के खिलाफ हैं। इस पर केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि वांगचुक को हिरासत के आधार बताए गए हैं। अंगमो ने वांगचुक की रासुका के तहत गिरफ्तारी को चुनौती दी है। इस मामले में गीतांजलि ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
वांगचुक की गिरफ्तारी अवैध : उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में अपने पति की गिरफ्तारी को अवैध करार दिया है। उन्होंने याचिका में अपने पति पर एनएसए लगाने पर सवाल उठाते हुए दावा किया कि उनकी गिरफ्तारी अवैध और नियमों का उल्लंघन है। गीतांजलि ने वांचकुक से मुलाकात एवं फोन पर बातचीत की मांग भी कोर्ट के सामने रखी है। उन्होंने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के बाद उनके पति से कोई संपर्क नहीं हो पाया है। वांगचुक को गिरफ्तार करने के बाद राजस्थान की जोधपुर सेंट्रल जेल में रखा गया है।
उल्लेखनीय है कि लद्दाख में अलग राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद वांगचुक को 26 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था। इस प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में 4 लोगों की मौत हो गई थी। वांगचुक पर प्रदर्शनकारियों को भड़काने का आरोप है।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala