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क्‍या है पनामा और पैंडोरा, जिसमें 90 देशों के 500 से ज्‍यादा नामचीन हस्‍तियों के नाम हैं शामिल ?

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पनामा और पैंडोरा पेपर्स में क्‍या फर्क है, दोनों में कौन सा सबसे ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण है

दुनिया में कई अरबपति हैं, जिनके पास अकूत धन संपदा है। कई कंपनियों के मालिक और हकदार ऐसे अरबपति कहीं न कहीं अपनी संपत्‍ति‍ को निवेश करते हैं। इसमे ऐसी संपत्‍त‍ि भी होती है जो बेनामी है। इसी बेनामी निवेश के बारे में उजागर करने में पनामा और पैंडोरा पेपर्स ने महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है। आखि‍र क्‍या है ये पेपर्स जिसने दुनिया में खलबली मचा रखी है।

दुनिया में अरबपतियों के बेनामी निवेश को उजागर करने वाले पनामा पेपर्स मामले में अमिताभ बच्‍चन के परिवार की मुश्‍किलें भी बढ़ गई हैं। पनामा पेपर्स मामले से जुड़ी जांच को लेकर सोमवार को एक्‍ट्रेस ऐश्वर्या राय दिल्ली स्थित प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दफ्तर पहुंची। पिछले महीने ही अभिषेक बच्चन से इस मामले में पूछताछ हुई है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक,  प्रवर्तन निदेशालय अमिताभ बच्‍चन को भी नोटिस भेजे जाने की खबरें आ रही हैं।
2016 में पहली बार देश-दुनिया की ऐसी 500 से अधि‍क नामचीन हस्‍त‍ियों के नाम पनामा पेपर्स में सामने आए थे, इसके 5 साल बाद आए पैंडोरा पेपर्स ने भी दुनिया भर में खलबली मचा दी है।

ऐसे में जानना दिलचस्‍प होगा कि आखि‍र क्‍या है पनामा पेपर्स, कैसे इनकी शुरुआत हुई और पनामा व पैंडोरा पेपर्स में क्‍या फर्क है।

साल 2016 में दुनिया के 100 मीडिया संस्‍थानों से जुड़े संगठन ICIJ (इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स) ने पनामा पेपर्स का खुलासा किया था। इन पेपर्स के जरिए यह पता चला था कि अमीर लोग कैसे काली कमाई को निवेश करते हैं और टैक्‍स चोरी करते हैं। इसके पांच साल बाद ICIJ की ओर से पैंडोरा पेपर्स पर जारी किए गए, इसमें भी दुनिया की कई हस्‍ति‍यों के नाम सामने आए।

पनामा और पैंडोरा में क्‍या है फर्क?
ICIJ  (International Consortium of Investigative) की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक, पनामा पेपर्स ऐसे दस्‍तावेज हैं जिसमें गैर कानूनी रूप से टैक्‍स बचाने और काले धन को सफेद करने का पूरा ब्‍यौरा मौजूद है।

यह दस्‍तावेज पनामा की एक कानूनी कंपनी ‘मोसेक फोंसेका’ के सर्वर को साल 2013 में हैक करके निकाले गए थे। ‘मोसेक फोंसेका’ कंपनी ने कई देशों के लोगों को गैर कानूनी रूप से टैक्स बचाने में मदद की थी। इसमें देश-दुनिया की नामी हस्‍त‍ियां शामिल थीं।

पनामा पेपर्स की रिपोर्ट सिर्फ एक ‘मोसेक फोंसेका’ कंपनी के दस्‍तावेजों से तैयार की गई थी, लेकिन पैंडोरा पेपर्स में मामले ऐसी ही 14 कंपनियां शामिल हैं। पैंडोरा पेपर्स में उन 27 हजार कंपनियों की पड़ताल का डाटा  शामिल किया गया है, जिसमें 29 हजार लोगों का मालि‍काना हक है। इस लिहाज से पनामा के मुकाबले पैंडोरा पेपर्स ज्‍यादा अहम हैं।

जिन हस्‍त‍ियों के नाम आए सामने?
सबसे पहले बात करते हैं पनामा पेपर्स की। पनामा पेपर्स मामले में कई देशों के प्रमुखों, दुनियाभर की राजनीतिक-फिल्मी हस्तियों, खिलाड़ियों और अपराधियों के वित्तीय लेन-देन का खुलासा किया गया था। इन दस्तावेजों में तकरीबन 500 भारतीयों के भी नाम हैं, जिनमें अभिनेता अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय बच्चन, डीएलएफ के प्रमुख केपी सिंह, उद्योग समीर गहलोत आदि प्रमुख हैं।

राष्‍ट्रपति और पीएम के भी नाम
कमाल की बात है कि पैंडोरा पेपर्स की लिस्‍ट में 90 देशों के 330 नामचीन लोगों के नाम शामिल हैं। इनमें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन, जॉर्डन के राजा, अजरबैजान का एक रसूखदार परिवार, चेक रिपब्लिक के प्रधानमंत्री, केन्या के राष्ट्रपति के साथ पूर्व ब्रिटिन प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर तक का नाम है।

इन भारतीयों के नाम भी लीक
इससे लीक में भारतीय भी नहीं बच सकें हैं। इस लीक में जिन भारतीयों का नाम है, उनमें सचिन तेंदुलकर, उनकी पत्नी अंजली, ससुर आनंद मेहता, बिजनेसमैन अनिल अंबानी के साथ कुछ नेताओं के नाम भी शामिल हैं।

इसके साथ ही नीरव मोदी, उनकी बहन, किरण मजूमदार शॉ जैसे बिजनेस पर्सन भी इस लिस्ट में हैं। साथ ही एक्टर जैकी श्रॉफ, गांधी परिवार से जुड़े सतीश शर्मा, कॉर्पोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया भी इसका हिस्सा हैं।
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