महाराष्ट्र सरकार ने मानीं किसानों की मांगें, आंदोलन समाप्त
मुंबई। महाराष्ट्र के नासिक से छह दिन चलकर मुंबई पहुंचे हजारों किसानों के प्रतिनिधियों और मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के बीच सोमवार को लगभग साढ़े तीन घंटे तक चली बैठक में मांगों को लिखित में मान लेने के बाद कृषकों ने आंदोलन वापस लेने की घोषणा कर दी।
मुंबई के आजाद मैदान में लगभग 30 हजार किसान कर्ज माफी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू कराने की मांग को लेकर डटे हुए थे। मुख्यमंत्री और अन्य नेताओं के साथ अखिल भारतीय किसान सभा के प्रतिनिधियों ने आज कई घंटे बातचीत की और सरकार द्वारा किसानों की मांगों को मान लेने के बाद किसान नेता अशोक ढवले (अध्यक्ष) ने मंत्री चंद्रकांत पाटिल, नासिक के अभिभावक मंत्री गिरीश महाजन तथा शिवसेना के एकनाथ शिंदे की उपस्थिति में किसानों को बताया कि सरकार ने उनकी मांगें मान ली हैं, इसलिए हम अपना आंदोलन वापस लेते हैं।
सरकार ने किसानों की सुविधा के लिए मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से भुसावल तक के लिए दो विशेष ट्रेनों की व्यवस्था की जो रात 8.30 और 11.30 बजे छूटेगी। सरकार ने किसानों के मुख्य मांगों में बिना शर्त पूर्ण कर्ज माफी, जीर्ण-शीर्ण राशन कार्ड बदलना और गरीबों को समय पर राशन मिलना, आदिवासी जिस जमीन पर लंबे समय से खेती करते आ रहे हैं, उस जमीन को आदिवासियों के नाम करना, किसानों की बिजली माफ करना और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों तथा हाल ही में बेमौसम बारिश और ओले गिरने से किसानों के नुकसान की भरपाई शामिल थी।
मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया है कि बेमौसम बारिश और ओले गिरने से हुए नुकसान की भरपाई के लिए केन्द्र सरकार को पत्र लिखा गया है, लेकिन केन्द्र सरकार की अनुमति की राह नहीं देखते हुए राज्य सरकार क्षति की भरपाई करेगी। किसानों की कर्जमाफी का कानून शिथिल किया जाएगा। कृषि उत्पादों का मूल्य तय करने के लिए एक आयोग का गठन किया जाएगा जिसमें किसानों के दो प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा। दूध का दाम तय करने के लिए अलग से बैठक की जाएगी। जमीन अधिग्रहण का काम ग्रामसभा की अनुमति से किया जाएगा।
मुख्यमंत्री और किसान नेताओं के बीच हुई बैठक के बाद आजाद मैदान में जलसंसाधन मंत्री गिरीश महाजन, चंद्रकांत पाटिल और शिवसेना के एकनाथ शिंदे और किसान नेता मंच पर उपस्थित हुए। किसानों के मांगों को लेकर उनसे बातचीत करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने एक समिति बनाई थी जिसमें मंत्री चंद्रकांत पाटिल, कृषिमंत्री पांडुरंग फुंडकर, सिंचाई मंत्री गिरीश महाजन, आदिवासी विकास मंत्री विष्णु सावरा राज्य सहकारिता मंत्री सुभाष देशमुख और पीडब्ल्यूडी मंत्री एकनाथ शिंदे (शिवसेना) शामिल थे।
भारतीय जनता पार्टी की सांसद पूनम महाजन ने दावा करते हुए कहा कि 'किसान रैली' शहरी माओवादियों द्वारा संचालित थी। सुश्री महाजन ने कहा कि नासिक से पैदल चलकर मुंबई पहुंचने वाले किसानों को माओवादी गुमराह कर रहे थे। (वार्ता)