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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शनिवार, 5 दिसंबर 2020 (19:06 IST)

Inside story : किसानों के आक्रामक रुख के बाद बैकफुट पर मोदी सरकार, पहली बार रोलबैक की भी तैयारी!

आगे की रणनीति के लिए किसान संगठनों की बैठक आज

Inside story : किसानों के आक्रामक रुख के बाद बैकफुट पर मोदी सरकार, पहली बार रोलबैक की भी तैयारी! - Farmer Protest: Modi government on backfoot after aggressive attitude of farmers
नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली का घेरा डाले किसान संगठनों के प्रतिनिधियों और सरकार के बीच चौथे दौर की बातचीत भी बिना किसी ठोस निष्कर्ष के खत्म होने के बाद आज किसानों का ‘दिल्ली कूच’ आंदोलन 9वें दिन में प्रवेश कर गया है। पंजाब और हरियाणा से आए किसानों का दिल्ली की सीमा पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन लगातार जारी है। वहीं दूसरी ओर इन आंदोलनकारी किसानों का साथ देने के लिए देश भर से किसानों के पहुंचने का सिलसिला जारी है और अब धीमे-धीमे किसानों की संख्या बढ़ती जा रही है।
 
नए कानून पर रोलबैक की भी तैयारी –किसानों के साथ चौथे दौर की बातचीत के बाद जहां कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने नए कृषि कानूनों पर किसानों संगठनों की कई आपत्तियों पर सहमति जताते हुए विचार करने की बात कहते नजर आए,वहीं दूसरी ओर किसान संगठन के प्रतिनिधि अब भी कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े नजर आ रहे है। कृषि कानूनों पर किसान संगठनों की आपत्तियों और दबाव के बाद अब सरकार नए कानून में उन प्रावधानों के रोलबैक की तैयारी में दिखाई दे रही है जिस पर किसानों को आपत्ति है। 

बातचीत के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था पहले की तरह जारी रहेगी। सरकार इस बात पर विचार करेगी कि एमपीएमसी सशक्त हो तथा इसका उपयोग और बढ़े। नए कृषि कानून में,एपीएमसी की परिधि के बाहर निजी मंडियों का प्रावधान होने से इन दोनों में कर की समानता के संबंध में भी सरकार विचार करेगी। कृषि उपज का व्यापार मंडियों के बाहर करने के लिए व्यापारी का रजिस्ट्रेशन होने के बारे में भी विचार होगा। विवाद के हल के लिए एसडीएम या न्यायालय, क्या व्यवस्था रहे, इस पर विचार किया जाएगा।
 
कृषि मंत्री ने कहा कि नए कानूनों में किसानों को पूर्णतः सुरक्षा प्रदान की गई है, किसान की जमीन की लिखा-पढ़ी करार में किसी सूरत में नहीं की जा सकती है, फिर भी यदि कोई शंका है तो उसका निवारण करने के लिए सरकार तैयार है।
 
किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा कहते हैं कि सरकार से बातचीत काफी सकरात्मक माहौल में हुई है और सरकार किसान संगठनों की कई आपत्तियों से सहमत नजर आई है। आज किसान संगठनों के प्रतिनिधि एक बार फिर बैठक सरकार से शनिवार को होने वाली बातचीत की रणनीति तैयार करेंगे। 
किसानों का देशव्यापी आंदोलन का एलान- किसान संगठन जहां एक ओर सरकार से बातचीत कर रहे हैं तो दूसरी ओर किसानों का आंदोलन अब धीमे-धीमे जोर पकड़ता जा रहा है। किसान आंदोलन की अगुवाई करने वाले संगठन अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने अब देशव्यापी आंदोलन की घोषणा कर दी है।

संगठन ने 5 दिसंबर को देश भर के पांच हजार स्थानों पर सरकार और कॉरपोरेट घरानों के विरोध में प्रदर्शन करने और पुतला फूंकने का एलान कर दिया है। इसके साथ आज और कल किसान पूरे देश में विरोध सभाएं और चक्काजाम कर रहे है।  
दिल्ली को ब्लॉक करने की रणनीति- दूसरी ओर पिछले नौ दिन से दिल्ली की सीमा का घेरा डाले किसान संगठन अब धीमे-धीमे दिल्ली को ब्लॉक करने की रणनीति पर आगे बढ़ते दिखाई दे रहे है। किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा ‘वेबदुनिया’ से बातचीत में कह चुके हैं कि अगर सरकार ने किसानों के बात नहीं मानीं तो पहले दिल्ली को ब्लॉक कर देंगे और फिर देश भर के किसान संसद पर कब्जा कर लेंगे।
 
दिल्ली को घेरने की तैयारी के साथ आए किसानों ने अब दिल्ली की सीमा पर अपना घेरा और डेरा डाल दिया है। आंदोलन  के मुख्य केंद्र बिंदु सिंधु बार्डर पर किसानों ने करीब सौ किलोमीटर लंबे हाईवे पर अपना कब्जा जमा लिया है और नेशनल हाईवे पर लंगर चल रहे हैं।
किसान आंदोलन की प्रमुख रणनीतिकार और सामजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर साफ कहती हैं कि किसानों ने अब दिल्ली के पांच में से चार बॉर्डर पर घेरा और डेरा डाल दिया है। किसान आंदोलन अब एक जनआंदोलन बन गया है। वह कहती हैं कि दिल्ली की सीमा पर एक तरह से  संघर्ष गांव का ही निर्माण हो गया है। किसान अब बिना कानूनों को वापस कराए लौटने को तैयार नहीं होंगे। किसान अनिश्चितकालीन आंदोलन की तैयारी से आए है और जब तक उनकी मांगे नहीं पूरी की जाएंगी तब तक आंदोलन नहीं खत्म होगा।