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  4. Government should suspend new agricultural laws to create an atmosphere of dialogue: Dr. Sunilam
Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शनिवार, 5 दिसंबर 2020 (19:11 IST)

EXCLUSIVE : बातचीत के माहौल के लिए कृषि कानूनों को सस्पेंड करे सरकार,किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष सुनीलम का बड़ा बयान

32 नहीं सभी किसान संगठनों को बातचीत के लिए बुलाए सरकार: सुनीलम

EXCLUSIVE : बातचीत के माहौल के लिए कृषि कानूनों को सस्पेंड करे सरकार,किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष सुनीलम का बड़ा बयान - Government should suspend new agricultural laws to create an atmosphere of dialogue: Dr. Sunilam
नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के आंदोलन का आज छठा दिन है। दिल्ली- हरियाणा बॉर्डर पर आज भी हजारों की संख्या किसान डटे हुए है। इस बीच आज सरकार की ओर 32 किसान संगठनों को बातचीत के लिए बुलाया गया है लेकिन अब यह बातचीत खटाई पर पड़ती दिख रही है।

सरकार से होने वाली इस बातचीत से ठीक पहले ‘वेबदुनिया’ ‌ने इस‌ पूरे आंदोलन की अगुवाई करने वाले संगठन भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC) के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. सुनीलम से खास बातचीत की।
 
‘वेबदुनिया’ से बातचीत में डॉक्टर सुनीलम कहते हैं कि सरकार ने बातचीत के लिए केवल 32 संगठनों को‌ बुलाया जबकि आंदोलन ‌पूरे देश के‌ किसान कर रहे है। भारतीय किसान संघर्ष ‌समन्वय‌ समिति में 250 किसान संगठन शामिल है जबकि सयुंक्त ‌किसान मोर्चा में 500 से अधिक किसान संगठन है, ऐसे में सरकार ने बातचीत ‌के‌ लिए कुछ किसान संगठनों को बुलाया है जो कि सहीं नहीं है। नए कृषि कानून का विरोध देश भर के किसान कर रहे है इसलिए सरकार ‌को सभी‌ किसान संगठनों को बातचीत ‌के‌ लिए बुलाना चाहिए।

बातचीत का माहौल बनाए सरकार- ‘वेबदुनिया’ से बातचीत में‌ डॉ. सुनीलम कहते हैं कि सरकार को बातचीत का‌ माहौल बनाने के लिए पहले नए कृषि‌ कानूनों को‌ निलंबित कर‌ एक कमेटी बनानी चाहिए जिसमें किसान,किसान संगठनों के प्रतिनिधि,कृषि‌ क्षेत्र ‌से‌ जुड़े एक्सपर्ट, ‌अधिकारी और मंत्री आदि शामिल हो और उसके बाद बातचीत जिस‌ नतीजे पर पहुंचेगी‌ वह‌ किसानों और‌ सरकार दोनों को‌ मान्य होनी चाहिए, लेकिन तब तक‌‌ सरकार को नए कृषि कानूनों को स्थगित रखना होगा।
 

आंदोलन से पीछे हटने का‌ सवाल नहीं-किसान आंदोलन की अगुवाई करने वाली किसान संघर्ष समिति के कार्यकारी अध्यक्ष सुनीलम साफ कहते हैं कि “मैं एक बात साफ कर दूं कि जब तक कृषि कानून रद्द नहीं होते हैं तब तक किसान आंदोलन जारी रखेंगे और सिंधु बॉर्डर के साथ जहां है वहीं डटे रहेंगे। अब किसानों का यहां से पीछे हटने का सवाल ही नहीं पैदा होता है।

किसान आंदोलन कब तक चलेगा ?- ‘वेबदुनिया’ से बातचीत में किसान नेता सुनीलम कहते हैं कि हमारी मांगें साफ हैं जब तक यह कानून रद्द नहीं हो जाते हैं,तब तक किसान सड़कों से नहीं हटेंगे। अगर सरकार आक्रामक होती है तो किसानों को उसका सामना करना आता है। किसानों ने तय किया है कि वह कोई भी हिंसा नहीं करेंगे और गांधीवादी तरीके से सत्याग्रह करेंगे।

वहीं दिल्ली को घेरने के साथ क्या किसान आने वाले समय में दिल्ली में एंट्री की कोशिश करेंगे इस पर आंदोलन की अगुवाई कहने वाले सुनीलम कहते हैं कि हमारा लक्ष्य जंतर-मंतर या रामलीला मैदान तक जाना था और हमने इन दोनों स्थानों की मांग की थी लेकिन सरकार ने हमको वहां जाने नहीं दिया। सरकार पहले नए कृषि कानूनों को सस्पेंड करे और अगर ऐसा नहीं करती है कि तो जैसा पंजाब के साथ देशभर के किसान तय करेंगे वैसा हम करेंगे और आंदोलन को आगे बढ़ाएंगे।
 

किसान आंदोलन को रोकने में जुटी सरकार- ‘वेबदुनिया’ से बातचीत में डॉ.सुनीलम कहते हैं कि सरकार ने पहले तो आंदोलन को कुचलने की पूरी कोशिश की सरकार ने हाईवे पर 6-6 बैरियर,10-10 फीट के गड्ढे और कंटीले तार लगाकर किसानों को रोकने की कोशिश की। वह सरकार पर सवाल उठाते हुए  कहते हैं कि आपने तो कहा था कि हमने देश के किसानों को आजाद कर दिया है और अब किसानों को सड़क पर भी नहीं चलने दे रहे हैं। किसानों को दिल्ली आने से रोक रहे हो, आपने न्यायालय के दरवाजे पहले ही बंद कर दिए।

सुनीलम नए कानून पर सवाल उठाते हुए कहते हैं कि एक ओर सरकार कहती हैं कि किसानों को आजाद कर दिया है, लेकिन वास्तविकता यह है कि कानून में लिखा हुआ है कि कि किसान किसी भी विवाद को न्यायालय में नहीं ले जा पाएगा।
 

सरकार की नीयत पर सवाल–किसानों को लेकर सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए सुनीलम कहते हैं कि एक और प्रधानमंत्री कानून को सही ठहरा रहे हैं और दूसरी और सरकार बातचीत का प्रस्ताव दे रही है। प्रधानमंत्री जी अगर कानून को डिफेंड कर रहे है और अपनी ‘मन की बात’ में भी उसको नोटिस करने को तैयार नहीं है। एक और कड़ाके की सर्दी और कोरोना के समय में किसान सड़क पर आंदोलन करने के लिए मजबूर हैं जो दिखाता है कि सरकार में किसानों के प्रति कितनी संवेदनहीनता है। आज सरकार कृषि कार्पोरेट्स करना चाह रही है और कुछ घरानों को इसका सौंपना चाह रही और हमारी लड़ाई उसी से है। कृषि का यह कई लाख करोड़ का मार्केट हैं और सरकार इसको  एक हाथ में सौंपना चाह रही है और सरकार इसके विरोध में ही प्रदर्शन कर रहे है।

 मध्यप्रदेश में किसान आंदोलन क्यों नहीं ?- मध्यप्रदेश में किसान आंदोलन के नहीं जोर पकड़ने के सवाल पर सुनीलम कहते हैं कि आज जो यह किसान आंदोलन देख रहे हैं इसकी जड़ मध्यप्रदेश में ही है। मंदसौर में किसानों पर जो गोली चलाई गई थी उसने देश बर के किसानों को संगठित कर दिया और आज किसान सड़क पर उतरकर संगठित होकर आंदोलन कर रहे है।

जहां तक मध्यप्रदेश में किसान आंदोलन की है तो मध्यप्रदेश में सभी जिलों में 9 अगस्त, 25 सितंबर और 14 अक्टूबर को लगातार किसान आंदोलन हुए है और इस बार भी दिल्ली में आ रहे मध्यप्रदेश के किसानों को यूपी बॉर्डर पर रोक लिया गया था। किसान आंदोलन को लेकर पहले मुलताई में फिर गुना और ग्वालियर में लगातार बैठकें हुई और आंदोलन को लेकर एक रणनीति बनी और उसका नतीजा आज सबके सामने है।

आज से देश भर में किसान आंदोलन- आज से पूरे देश भर में किसान सड़क पर उतरकर आंदोलन करने जा रहे है और अपने-अपने प्रदेशों में आंदोलन करते हुए किसान दिल्ली की ओर रुख करेंगे और अब डेरा डाला और घेरा डालो के सहारे दिल्ली को चारों से घेरने की रणनीति  पर काम कर रहे और अब बड़ी संख्या मे किसान दिल्ली की ओर कूच करेंगे। अब एक दो जिन पूरे देश में आपको आंदोलन दिखाई देने लगेगा।