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Last Updated : सोमवार, 30 नवंबर 2020 (21:18 IST)

Kashi Dev Deepawali 2020: PM मोदी ने विपक्ष पर साधा निशाना, कुछ लोगों के लिए विरासत का मतलब परिवार से है

Kashi Dev Deepawali 2020: PM मोदी ने विपक्ष पर साधा निशाना, कुछ लोगों के लिए विरासत का मतलब परिवार से है - pm narendra modi started dev diwali festival in varanasi attacked on opposition and china
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने परिवारवाद पर निशाना साधते हुए सोमवार को कहा कि कुछ लोगों के लिए विरासत का मतलब उनका परिवार और उसका नाम है, मगर हमारा ध्यान देश की विरासत को बचाने और उसे संरक्षित करने पर है।
 
अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी के एक दिवसीय दौरे पर शाम को 'देव दीपावली' उत्सव का आगाज करते हुए मोदी ने कहा कि 'सौ साल से भी पहले माता अन्नपूर्णा की जो मूर्ति काशी से चोरी हो गई थी वह फिर वापस आ रही है। काशी के लिए यह बड़े सौभाग्य की बात है। हमारे देवी-देवताओं की यह प्राचीन मूर्तियां हमारी आस्था की प्रतीक के साथ ही हमारी अमूल्य विरासत भी हैं। इतना प्रयास अगर पहले किया गया होता तो ऐसी न जाने कितनी ही मूर्तियां देश को काफी पहले वापस मिल जाती, लेकिन कुछ लोगों की सोच अलग रही है।
 
उन्होंने परिवारवाद पर निशाना साधते हुए कहा कि हमारे लिए विरासत का मतलब है देश की धरोहर जबकि कुछ लोगों के लिए विरासत का मतलब होता है अपना परिवार और अपने परिवार का नाम। हमारे लिए विरासत का मतलब है हमारी संस्कृति, हमारी आस्था और हमारे मूल्य, मगर उनके लिए विरासत का मतलब है अपनी प्रतिमाएं अपने परिवार की तस्वीरें। उनका ध्यान परिवार की विरासत को बचाने में रहा है जबकि हमारा ध्यान देश की विरासत को बचाने और उसे संरक्षित करने पर है।
मोदी ने इस अवसर पर देश की रक्षा में अपनी शहादत देने वाले जवानों को नमन करते हुए कहा कि चाहे सीमा पर घुसपैठ की कोशिशें हो, विस्तारवादी ताकतों का दुस्साहस हो या फिर देश के भीतर देश को तोड़ने की कोशिश करने वाली साजिशें हो, भारत आज सब का जवाब दे रहा है और मुंह तोड़ जवाब दे रहा है।
प्रधानमंत्री ने 'वोकल फॉर लोकल' का नारा दोहराते हुए कहा कि इस बार दीवाली में जिस प्रकार देश के लोगों ने स्थानीय उत्पादों के साथ त्योहार मनाया, वह वाकई प्रेरणादाई है लेकिन यह सिर्फ त्योहार के लिए नहीं यह हमारी जिंदगी का हिस्सा भी बनना चाहिए।
 
मोदी ने देव दीपावली के आयोजन में शिरकत पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि आज जब काशी की विरासत वापस लौट रही है तो ऐसा भी लग रहा है जैसे काशी माता अन्नपूर्णा के आगमन की खबर सुनकर सजी-संवरी हो। लाखों दीपों से काशी के 84 घाटों का जगमग होना अद्भुत है। गंगा की लहरों में यह प्रकाश इस आभा को और भी अलौकिक बना रहा है।
 
उन्होंने कहा कि आज हम जिस देव दीपावली के दर्शन कर रहे हैं इसकी प्रेरणा पहले पंचगंगा घाट पर स्वयं आदि शंकराचार्य जी ने दी थी। बाद में अहिल्याबाई होल्करजी ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया। कहते हैं कि जब त्रिपुरासुर नामक दैत्य ने पूरे संसार को आतंकित कर दिया था तब भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन उसका अंत किया था। आतंक, अत्याचार और अंधकार के उस अंत पर देवताओं ने महादेव की नगरी में आकर दीये जलाकर दिवाली मनाई थी। देवों की वह दीपावली ही देव दीपावली है।'
 
प्रधानमंत्री ने गुरु पर्व पर गुरुनानक देव को भी याद करते हुए कहा कि 'गुरु नानक देवजी ने तो अपना पूरा जीवन ही गरीब शोषित वंचित की सेवा में समर्पित किया था। काशी का तो गुरु नानक देवजी से भी संबंध रहा है। उन्होंने एक लंबा समय काशी में व्यतीत किया था। काशी का गुरूबाग गुरुद्वारा तो उस ऐतिहासिक पल का साथी है, जब गुरु नानकजी यहां पधारे थे और काशीवासियों को नई राह दिखाई थी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मौके पर कहा कि प्रधानमंत्री का काशी आगमन ऐसे समय में हो रहा है जब यह देश अनेक उपलब्धियों को लेकर गौरव की अनुभूति कर रहा है। उन्होंने कहा कि देश की 500 वर्षों की एक ऐसी समस्या जो अन्य लोगों के लिए जटिल थी, उसके समाधान के तहत अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण कार्य का शुभारंभ करके काशी की इस धरती पर प्रथम आगमन हो रहा है।
 
योगी ने कहा कि वर्ष 1913 में काशी में मां अन्नपूर्णा की एक मूर्ति चोरी हुई थी, आज प्रधानमंत्री की मदद से काशी की मां आज फिर से काशी को प्राप्त होने वाली है, आखिर 108 वर्षों तक किसी अन्य सरकार की नजरें उधर क्यों नहीं पड़ी।
 
इसके पूर्व कोविड-19 महामारी के बीच पहली बार काशी आये प्रधानमंत्री ने खजूरी गांव में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-दो के हण्डिया-राजा तालाब खण्ड का छह-लेन चौड़ीकरण कार्य को राष्ट्र को समर्पित किया।
 
हण्डिया-राजा तालाब मार्ग का चौड़ीकरण एक बेहद महत्वपूर्ण परियोजना है, जो दो प्राचीनतम एवं पवित्र नगरों-प्रयाग (प्रयागराज) तथा काशी (वाराणसी) को आपस में जोड़ती है। यह राजमार्ग स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना-एक (दिल्ली-कोलकाता कॉरिडोर) का भी प्रमुख भाग है।
 
पूर्व में, प्रयागराज से वाराणसी के बीच यात्रा में लगभग साढ़े तीन घण्टे का समय लगता था। इस परियोजना के पूरी होने के बाद यह दूरी मात्र डेढ़ घण्टे में पूरी की जा सकेगी। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक गत 2 नवम्बर को पूरी हुई कुल 72.644 किलोमीटर की इस परियोजना की लागत 2,447 करोड़ रुपए है।
 
प्रधानमंत्री अपने एक दिवसीय काशी दौरे पर कई अन्य कार्यक्रमों में भी शरीक हुए। मोदी विशेष क्रूज के जरिए डुमरी घाट से ललिता घाट गए। उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की और काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरीडोर परियोजना की कार्यप्रगति का मुआयना भी किया। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उनके साथ थे।
 
उसके बाद प्रधानमंत्री राजघाट पहुंचे और दीया जलाकर बनारस की विश्वप्रसिद्ध देव दीपावली का आगाज किया। साथ ही 'पावन पथ वाराणसी.इन' वेब पोर्टल की शुरुआत भी की। कार्तिक पूर्णिमा को मनायी जाने वाली इस देव दीपावली पर गंगा के दोनों किनारों पर 11 लाख दीप जलाए गए। (भाषा)
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