लाल किला बम हमले की पूछताछ में शामिल एक कश्मीरी ने किया आत्मदाह, बेटा अभी भी हिरासत में
Delhi Red Fort bomb attack case : दिल्ली लाल किला बम हमले का कहर कश्मीरियों पर बरपना आरंभ हो चुका है। जहां दर्जनों कश्मीरी पुलिस की गिरफ्त में हैं तो एक ने पूछताछ के उपरांत आत्मदाह करने जैसा कदम भी उठा लिया। हालांकि मृतक का बेटा अभी पुलिस हिरासत में है। दोनों का कसूर इतना था कि वे उन डॉक्टरों के पड़ोसी थे, जिन्हें हमले के लिए तलाशा जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि कुलगाम जिले के एक व्यक्ति ने दिल्ली कार विस्फोट मामले में पूछताछ के लिए अपने बेटे को हिरासत में लिए जाने के बाद आत्मदाह कर लिया था, जिसकी सोमवार को यहां एक अस्पताल में मौत हो गई।
हालांकि काजीगुंड के वानपोरा गांव के ड्राई फ्रूट विक्रेता बिलाल अहमद वानी ने कुछ दिन पहले आत्मदाह का प्रयास किया था, जब उन्हें अपने बेटे जसीर बिलाल वानी और भाई नवील वानी से मिलने नहीं दिया गया। दोनों को जम्मू कश्मीर पुलिस ने दिल्ली विस्फोट मामले में हिरासत में लिया था।
वानी की भाभी नसीमा अख्तर ने बताया कि उनके देवर ने अपने बेटे जसीर की गिरफ्तारी के बाद आत्मदाह कर लिया। उन्होंने कहा कि उनके पति, नवील अहमद वानी, जो भौतिकी के लेक्चरर हैं, को भी उनकी ड्यूटी के दौरान उठाया गया।
उसने प्रशासन से अपने रिश्तेदारों को रिहा करने का आग्रह करते हुए कहा कि हम अपने इलाके में निर्दोष और सम्मानित लोग हैं। अपने बेटे की गिरफ्तारी के बाद वह (बिलाल वानी) अपमानित महसूस कर रहा था, उसने आत्महत्या कर ली और वह 100 परसेंट जल गया था। न्याय की गुहार लगाते हुए, उसने कहा कि वे दोनों डॉक्टरों के पड़ोस में रहते हैं, लेकिन उनकी गतिविधियों से उनका कोई संबंध नहीं है।
मिलने वाले समाचारों में कहा गया है कि बिलाल को जलने के इलाज के लिए अनंतनाग के जीएमसी से एसएचएमएस ले जाया गया था, जहां उसकी मौत हो गई। वानी, डॉक्टर आदिल अहमद राथर और उनके भाई डॉक्टर मुजफ्फर राथर के पड़ोसी हैं।
अधिकारियों के अनुसार, डॉक्टर आदिल को जम्मू कश्मीर पुलिस ने उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से गिरफ्तार किया था, जबकि उनके भाई डॉक्टर मुजफ्फर राथर अभी भी फरार है। इससे पहले, जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि पिता अपनी सुरक्षा को लेकर डरे हुए थे, उन्होंने अधिकारियों से उनसे मिलने की गुहार लगाई थी, जिसे अस्वीकार कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि इस स्तर की मनमानी जख्मों को और गहरा करती है और निराशा को जन्म देती है। जब युवाओं को बेतरतीब ढंग से उठाया जाता है, तो हम एक पूरी पीढ़ी को भय, हताशा और अंततः अंधकारमय रास्तों की ओर धकेलने का जोखिम उठाते हैं। वैसे जम्मू कश्मीर पुलिस ने पीडीपी प्रमुख के आरोपों पर कोई बयान जारी नहीं किया।
Edited By : Chetan Gour