राज्यसभा में उठी मांग, ग्लेशियरों के अध्ययन के लिए बनाएं एक तंत्र
नई दिल्ली। उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर गिरने से मची तबाही के मद्देनजर राज्यसभा में बुधवार को भाजपा के एक सदस्य ने हिमालय क्षेत्र के ग्लेशियरों के अध्ययन के लिए एक तंत्र बनाए जाने की जरूरत पर जोर दिया और राज्य के लिए आपदा तंत्र विकसित करने की भी मांग की।
भाजपा के अनिल बलूनी ने शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाया और कहा कि 7 फरवरी को हुए इस हादसे ने लोगों को दहलाकर रख दिया है। राज्य में पिछले कुछ समय से ग्लेशियर टूटने, बादल फटने, भूस्खलन होने की घटनाएं बढ़ी हैं। बलूनी ने कहा कि स्थिति को देखते हुए हिमालय क्षेत्र के ग्लेशियरों के अध्ययन के लिए एक तंत्र बनाए जाने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए समय रहते प्रबंध किए जा सकें।
उन्होंने कहा कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को यह अध्ययन करना चाहिए। साथ ही उन्होंने उत्तराखंड के लिए एक आपदा तंत्र विकसित किए जाने की भी मांग की। गौरतलब है कि रविवार को उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने के बाद ऋषिगंगा घाटी में पहाड़ से गिरी लाखों मीट्रिक टन बर्फ के कारण ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियों में अचानक आई बाढ़ से ऋषिगंगा जल विद्युत परियोजना पूरी तरह तबाह हो गई थी जबकि बुरी तरह क्षतिग्रस्त तपोवन-विष्णुगाड परियोजना की सुरंग में काम कर रहे लोग उसमें फंस गए थे।
तपोवन-विष्णुगाड परियोजना की सुरंग में फंसे 30 से 35 लोगों तक पहुंचने के लिए सेना सहित विभिन्न एजेंसियों का संयुक्त बचाव एवं राहत अभियान जारी है। शून्यकाल में ही वाईएसआर कांग्रेस के सुभाष चंद्र बोस पिल्ली ने मांग की कि केंद्र सरकार अनाज की खरीद के लिए आंध्रप्रदेश सरकार को 4,282 करोड़ रुपए की बकाया राशि जारी करे। उन्होंने कहा कि किसानों से धान की खरीद करने वाले, आंध्रप्रदेश नागरिक आपूर्ति निगम के पास किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर उनकी उपज खरीदने की अपनी बाध्यता पूरी करने के लिए धन नहीं है। (भाषा)