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Last Updated :नई दिल्ली , गुरुवार, 9 नवंबर 2023 (21:20 IST)

दिल्ली में कृत्रिम बारिश का सारा खर्च उठाएगी केजरीवाल सरकार, जानिए क्या होती है क्लाउड सीडिंग

pollution
Delhi pollution : दिल्ली सरकार ने शहर में खतरनाक वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कृत्रिम बारिश की प्रक्रिया पर आने वाले पूरे खर्च को वहन करने का फैसला किया है और मुख्य सचिव को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सरकार के इस विचार को पेश करने का निर्देश दिया है। 
 
अधिकारियों ने गुरुवार को कहा कि अगर केंद्र फैसले का समर्थन करता है तो दिल्ली सरकार 20 नवंबर तक शहर में पहली कृत्रिम बारिश की व्यवस्था कर सकती है।
 
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि दिल्ली सरकार ने कृत्रिम बारिश पर आने वाली लागत वहन करने का फैसला किया है। अगर केंद्र, दिल्ली सरकार को अपना समर्थन देता है, तो 20 नवंबर तक कृत्रिम बारिश कराई जा सकती है।
 
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बुधवार को कहा था कि दिल्ली सरकार राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए इस महीने ‘क्लाउड सीडिंग’ के जरिए कृत्रिम बारिश कराने की योजना बना रही है।
 
राय ने आईआईटी-कानपुर के वैज्ञानिकों के साथ एक बैठक की, जिन्होंने बताया कि ‘क्लाउड सीडिंग’ की कोशिश तभी की जा सकती है जब वातावरण में नमी या बादल हों।
 
मंत्री ने पत्रकारों से कहा था कि विशेषज्ञों का अनुमान है कि 20-21 नवंबर के आसपास ऐसे हालात बन सकते हैं। हमने वैज्ञानिकों से गुरुवार तक एक प्रस्ताव तैयार करने को कहा है जिसे सुप्रीम कोर्ट को सौंपा जाएगा। 
 
राय ने इस बात पर जोर दिया कि इस प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के लिए केंद्र और राज्य सरकारों दोनों से मंजूरी प्राप्त करना समय के हिसाब से संवेदनशील मामला है।
 
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि कृत्रिम बारिश कराने का प्रयास तभी किया जा सकता है जब बादल हों या नमी हो।
 
‘क्लाउड सीडिंग’ में संघनन को बढ़ावा देने के लिए पदार्थों को हवा में फैलाया जाता है जिसके नतीजतन बारिश होती है। ‘क्लाउड सीडिंग’ के लिए उपयोग किए जाने वाले सबसे आम पदार्थों में सिल्वर आयोडाइड, पोटेशियम आयोडाइड और शुष्क बर्फ (ठोस कार्बन डाइऑक्साइड) शामिल हैं।
 
इस तकनीक का उपयोग दुनिया के विभिन्न हिस्सों में किया गया है, मुख्य रूप से उस स्थान पर जहां पानी की कमी या सूखे की स्थिति होती है।

स्मॉग टावर समाधान नहीं : केंद्र सरकार के सूत्रों ने गुरुवार को कहा कि ‘स्मॉग टावर’ दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की समस्या का समाधान नहीं है और केंद्र इन विशाल वायुशोधक को स्थापित करने के पक्ष में नहीं है।
 
सूत्रों ने कहा कि वायु प्रदूषण से निपटने में स्मॉग टावर की प्रभावशीलता पर बुधवार को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग, संबंधित राज्यों और मंत्रालयों के अधिकारियों की एक आपातकालीन बैठक में चर्चा की गई।
 
सूत्रों ने कहा कि धान की कटाई के मौसम के दौरान पंजाब में पराली जलाना दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के लिए प्रमुख कारण है।
 
एक सूत्र ने कहा कि स्मॉग टावर दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की समस्या का समाधान नहीं हैं। केंद्र सरकार भविष्य में ऐसे और वायुशोधक लगाने के पक्ष में नहीं है।
 
2021 में, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद दिल्ली में दो स्मॉग टावर स्थापित किए गए - एक दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के तहत कनॉट प्लेस में और दूसरा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के तहत आनंद विहार में लगाया गया।
 
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने दावा किया था कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के अश्विनी कुमार के ‘एकतरफा’ निर्देशों के कारण कनॉट प्लेस में स्मॉग टावर को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया था।

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि कनॉट प्लेस स्थित स्मॉग टावर को शुरू किया जाए। इसके बाद, दिल्ली सरकार के अधिकारियों की एक टीम ने बुधवार को स्मॉग टावर को दोबारा शुरू किया।
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