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Last Updated : शुक्रवार, 13 अप्रैल 2018 (14:38 IST)

क्या है विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की पृष्ठभूमि ....

क्या है विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की पृष्ठभूमि .... - CBI detains MLA Kuldeep Singh Sengar after Yogi government failed to do so
उन्नाव । बांगरमऊ क्षेत्र के भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को आज तड़के हिरासत में लेने के बाद सीबीआई टीम आरोपित विधायक के माखी गांव के थाने पहुंची। यहां पहुंचते ही टीम ने रेप मामले से जुड़े तमाम दस्तावेजों को अपने कब्जे में ले लिया है।  
 
इस बीच मामले की अबतक जांच कर रही एसआईटी टीम भी थाने पहुंच गई है। जून महीने से लेकर अब तक पीड़िता की ओर से की गई शिकायतों के बारे में जानकारी ली जा रही है और पीड़िता की तरफ से लिखाए गए रिपोर्ट पर भी गहनता से जांच पड़ताल की जा रही है। 
 
सफेद रंग की कार में सवार होकर जब सीबीआई टीम के सदस्य माखी थाने पहुंचे तो यहां तैनात पुलिसकर्मियों में हड़कंप मच गया। इसके कुछ देर बाद सीबीआई की एक टीम उन्नाव के उस होटल में पहुंची जहां रेप पीड़िता और उसका परिवार रुका हुआ है, यहां सीबीआई की टीम पीड़िता और उसके परिवार वालों से बारी-बारी से बात कर रही है।
 
अब जानें कि आरोपित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर अपने इलाके की कितनी बड़ी तोप हैं और उनका क्या इतिहास रहा है।
 
-आजादी के बाद से ही गांव की राजनीति पर सेंगर परिवार का कब्जा रहा है। विरोधियों को पटखनी देने के लिए कुलदीप ने तमाम मोहरे तैयार किए थे जिनमें पीडि़त परिवार के लोग भी शामिल रहे हैं।
 
-कुलदीप को राजनीति अपने नाना बाबू सिंह से विरासत में मिली थी जबकि कुलदीप के पिता मुलायम सिंह, फतेहपुर के रहने वाले थे। कुलदीप के नाना के कोई बेटा नहीं था। इसलिए उन्होंने बेटी-दामाद को अपने पास ही बुला लिया। 
 
-कुलदीप और उनके दो भाइयों मनोज सिंह और अतुल सिंह का यहीं जन्म हुआ और वे यहीं पले-बढ़े हैं।
 
-उन्नाव के माखी थाना क्षेत्र के सराय थोक पर उनका ननिहाल है। वह यहीं आकर बस गए और कुलदीप सेंगर ने युवा  कांग्रेस से अपनी राजनीति की शुरूआत की थी।
 
-वर्ष 1987/88 में कुलदीप गांव के निर्विरोध प्रधान चुने गए तो उनकी उम्र 21 साल से कम बताकर विरोधियों ने उनकी जीत को चुनौती दी थी लेकिन तब मेडिकल परीक्षण में बताया गया कि वह 21 वर्ष के हैं। कुलदीप करीब सात साल तक प्रधान रहे।
 
-गांव की प्रधानी पर करीब 59 साल से कुलदीप सेंगर के परिवार का कब्जा है और सेंगर लगातार चार बार से विधायक हैं और कभी चुनाव नहीं हारे। वह भी तब जबकि तीन बार उनका निर्वाचन क्षेत्र अलग-अलग रहा है। कुलदीप 2002 में पहली बार सदर से विधायक बने थे।
 
-2007 में बसपा ने उन्हें निकाला तो उन्होंने सपा का दामन थाम लिया। सपा ने बांगरमऊ से टिकट दिया और वह फिर विधायक बने। बाद में, सपा ने 2012 में भगवंत नगर सीट से टिकट दिया और वे यहां से भी जीते। जिला पंचायत अध्यक्ष के टिकट पर कुलदीप का अखिलेश यादव से मनमुटाव हो गया और वे भाजपा में चले गए। 
 
-भाजपा ने उन्हें बांगरमऊ से टिकट दिया और वे फिर विधायक चुने गए। विदित हो कि कुलदीप सेंगर ने 2007 के  चुनावी घोषणा पत्र में अपनी संपत्ति 36 लाख बताई थी और 2012 में उनकी संपत्ति एक करोड़ 27 लाख की हो गई थी। वर्ष 2017 के चुनावी घोषणा पत्र के मुताबिक उनकी संपत्ति 2 करोड़ 14 लाख तक पहुंच गई।
 
-विधायक कुलदीप सेंगर के खिलाफ दर्ज एफआईआर में आईपीसी की धारा 363 (अपहरण), 366 (अपहरण कर शादी के लिए दवाब डालना), 376 (बलात्‍कार), 506 (धमकाना) और पॉस्‍को एक्‍ट के तहत मामला दर्ज किया है। 
 
-यह मामला बीते आठ अप्रैल को तब सामने आया जब कथित बलात्कार पीड़िता ने लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास के सामने आत्मदाह की कोशिश की। उसका आरोप था कि पुलिस भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है।
 
-भाजपा के आरोपित विधायक कुलदीप सेंगर बुधवार देर रात अचानक राजधानी लखनऊ में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के आवास के बाहर दिखे। तब समझा गया था कि वह आत्मसमर्पण करेंगे लेकिन वह बिना आत्मसमर्पण के ही समर्थकों के साथ वापस चले गए थे। 
 
-कुलदीप सेंगर, राजा भैया गुट के अहम सदस्य हैं। उन्होंने अपनी पत्नी संगीता सेंगर को जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाया। इनके भाई मनोज सेंगर ब्लॉक प्रमुख रह चुके हैं। 
 
-कुलदीप सिंह सेंगर पर अवैध खनन और अवैध तरीके से टोल लगाकर वसूली करने के भी आरोप लग चुके हैं। उन्नाव में एक चैनल के रिपोर्टर ने आरोपी विधायक के खिलाफ अवैध खनन की खबर लिखी थी जिस पर रिपोर्टर के खिलाफ दो मुकदमे दर्ज कराए गए थे।
 
-उन्नाव का कोई भी ठेका बिना कुलदीप सेंगर की मर्जी के किसी को नहीं मिल सकता है और साइकिल के ठेके से लेकर अवैध होटल चलाने और ऑटो स्टैंड से लेकर गाड़ियों से अवैध वसूली तक के कारोबार में विधायक का परिवार शामिल है। 
 
-चौदह साल पहले उन्नाव में किसी बात को लेकर विधायक पक्ष से एक पत्रकार की कहा-सुनी हो गई थी। इसे रोकने के लिए जब पुलिस पहुंची तो विधायक के भाई अतुल सेंगर ने पुलिस पर फायरिंग कर दी थी, जिसमें डिप्टी एसपी रामलाल वर्मा को पेट में गोली लग गई थी।
 
-सेंगर ठाकुर बिरादरी के नेता हैं और पीड़ित परिवार दलित है। सेंगर की पत्नी जिला पंचायत अध्यक्ष रही हैं, और उनके भाई ब्लॉक प्रमुख रह चुके हैं। कहा जाता है कि सेंगर प्रदेश भर के ठाकुर नेताओं समेत राजा भैया और सीएम योगी के भी करीबी हैं। 
 
-किसान परिवार से जुड़े कुलदीप सेंगर का आभूषण का भी व्यापार है। 23-22 जुलाई 2017 को पीड़िता ने पीएम, सीएम को चिट्ठी लिखकर विधायक कुलदीप सेंगर पर रेप का आरोप लगाया था। लेकिन 24-30 अक्टूबर 2017 को विधायक समर्थकों ने पीड़िता के परिवार पर मानहानि का केस किया। पीड़िता के घरवालों पर विधायक को रावण बताने वाला एक पोस्टर लगाने का आरोप लगाया गया।
 
-अभी अब इस मामले में सीबीआई कुलदीप सेंगर से सवाल पूछ रही है। सेंगर को सीबीआई ने इंदिरा नगर स्थित उनके घर से करीब 4.30 बजे हिरासत में लिया है। गुरुवार को इस मामले पर हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया था और आज सीबीआई के उन्नाव के डीएसपी को तलब किया है। समझा जाता है कि कुछ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है। 
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