मंत्रिमंडल नीतीश कुमार का, दांव भाजपा का, 7 मंत्री बनवाकर 7 जातियों को साधा
भाजपा ने बिहार में 7 और मंत्री बनवाकर नीतीश कुमार मंत्रिमंडल में पूरी तरह वर्चस्व स्थापित कर लिया है
Nitish Kumar cabinet expansion in Bihar: बिहार विधानसभा चुनाव से नीतीश मंत्रिमंडल के विस्तार में पूरी तरह भाजपा के प्रभाव नजर आया। मंत्री पद की शपथ लेने वाले सभी सातों विधायक भाजपा के ही थे। इस विस्तार के बाद मंत्रिमंडल पर भाजपा का ही वर्चस्व स्थापित हो गया। यूं तो भाजपा के मंत्रियों की संख्या पहले ही ज्यादा थी, लेकिन अब जेडीयू के मुकाबले भाजपा के मंत्रियों की संख्या काफी ज्यादा हो गई है।
नए विस्तार में मंत्री भाजपा के सातों विधायक अलग-अलग जाति से आते हैं। इसके माध्यम से भाजपा ने जातियों को साधने की कोशिश की है। साथ ही कई ऐसे भी क्षेत्र थे, जिनका मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं था, उन्हें भी इसके माध्यम से साधने की कोशिश की गई है। बिहार मंत्रिमंडल में अब भाजपा के मंत्रियों की संख्या बढ़कर 21 हो गई है, जबकि जदयू के मंत्रियों की संख्या महज 13 है। एक मंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी का है, जबकि एक मंत्री निर्दलीय है।
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भाजपा के 7 मंत्री, 7 जातियां : नए बनाए गए मंत्रियों की जातियों पर गौर करें तो भाजपा के 'चुनावी गणित' को साफ समझा जा सकता है। इस विस्तार के माध्यम से भाजपा ने 7 जातियों को साधने का प्रयास किया। इनमें केवट, कुर्मी, राजपूत, भूमिहार, कुशवाहा, तेली और वैश्य समुदाय प्रमुख हैं। साहेबगंज सीट से विधायक राजू सिंह चौहान को इसलिए मंत्री बनाया गया है वे राजपूत हैं और समाज में उनका प्रभाव भी है। वे 4 बार के विधायक हैं और पूर्व में जेडीयू, लोजपा और वीआईपी पार्टी में भी रह चुके हैं।
केवट जाति को साधने के लिए विजय कुमार मंडल को मंत्री बनाया गया है। वे 5 बार के विधायक हैं और राजद, एलजेपी आदि पार्टियों में रह चुके हैं। अमनौर सीट से विधायक कृष्ण कुमार मंटू पटेल कुर्मी जाति से आते हैं और 2020 में पहली बार भाजपा के टिकट पर विधायक बने हैं। 2010 में जदयू के टिकट पर विधायक बने थे। तेली समाज में अच्छी पकड़ रखने वाले रीगा सीट से विधायक मोतीलाल प्रसाद को भी भाजपा ने नीतीश मंत्रिमंडल में शामिल कराया है।
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अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से अपना राजनीतिक सफर शुरू वाले जीवेश मिश्रा जाले सीट से विधायक हैं। उनको मंत्री बनाकर भाजपा ने भूमिहार समुदाय को साधने की कोशिश की है। मिश्रा 2020 में भी बिहार सरकार में मंत्री रह चुके हैं। जेडीयू छोड़कर भाजपा में शामिल हुए सुनील सिंह का कुशवाहा समाज में अच्छा प्रभाव है। वे वर्तमान में बिहार शरीफ सीट से विधायक हैं। वैश्य समुदाय को साधने लिए भाजपा ने संजय सरावगी को मंत्री बनवाया है। सरावगी 2005 से लगातार विधायक हैं।
मोदी ने नीतीश को क्यों कहा लाड़ला : नए विस्तार के बाद नीतीश मंत्रिमंडल में पिछड़े और अति पिछड़े मंत्रियों की संख्या बढ़कर 17 हो गई है। 7 मंत्री दलित हैं, जबकि 11 सवर्ण समाज से आते हैं। एक मंत्री मुस्लिम भी है। 24 फरवरी को भागलपुर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नीतीश कुमार को 'लाड़ला मुख्यमंत्री' कहकर संबोधित किया था। राजनीतिक हलकों में इसके अलग-अलग अर्थ निकाले जा रहे हैं। पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव ने तो यहां तक कह दिया कि पीएम मोदी कहीं नीतीश कुमार की कुर्सी हड़पने में तो नहीं लगे हैं।
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नीतीश की कुर्सी को फिलहार खतरा नहीं, लेकिन... : हालांकि अगले चुनाव तक तो नीतीश कुमार की कुर्सी को कोई खतरा नहीं है, लेकिन चुनाव के बाद इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि उन्हें फिर मुख्यमंत्री नसीब होगा। यदि भाजपा और जदयू की फिर से सत्ता में वापसी होती है तो अगला मुख्यमंत्री भाजपा का हो सकता है। यह ठीक वैसे ही होगा जैसा महाराष्ट्र में हुआ था। विधानसभा चुनाव के बाद एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री नहीं रह पाए थे। उन्हें डिप्टी सीएम बनकर संतोष करना पड़ा था। हालांकि राजनीति का ऊंट किस करवट बैठेगा, यह बिहार विधानसभा चुनाव के बाद ही पता लगेगा। फिलहाल तो नीतीश के पास दुखी होने का कोई कारण नजर नहीं आता।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala