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Last Modified: मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025 (13:16 IST)

SIR के दूसरे चरण के एलान पर भड़का विपक्ष, चुनावी राज्य पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु के साथ मध्यप्रदेश में भी विरोध

Opposition protests second phase of SIR by Election Commission
बिहार के बाद अब चुनाव आयोग ने देश में दूसरे चरण 12 राज्यों में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया की शुरुआत करने के साथ एक बार सियासी पारा चढ़ गया है। चुनाव आयोग ने मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु सहित 12 राज्यों में SIR की प्रक्रिया शुरु करने का एलान किया है। चुनाव आयोग द्वारा 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में SIR  की घोषणा के साथ ही सियासी बखेड़ा खड़ा हो गया है।  

मध्यप्रदेश में विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने SIR की प्रक्रिया पर सवालिया निशाना उठाया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने चुनाव आयोग के प्रदेश में SIR  की प्रक्रिया शुरु करने का विरोध करते हुए भाजपा और चुनाव आयोग पर लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप लगाया। उन्होने SIR को भाजपा और चुनाव आयोग का एक डरवाना प्रयास है। उन्होंने कहा कि भाजपा SIR के जरिए लोकतंत्र को कमजोर करना चहती है। वहीं प्रदेश में आज से SIR की प्रक्रिया शुरु होने पर पीसीसी चीफ ने कहा कि काग्रेस की SIR पर पैनी नजर है और पूरी प्रक्रिया के दौरान कांग्रेस का प्रत्येक कार्यकर्ता पूरी सजगता के साथ बूथ पर वोट के अधिकार की लड़ाई लड़ेगा।

चुनावी राज्यों में SIR का विरोध-वहीं दूसरी ओर कांग्रेस सहित क्षेत्रीय दल खुलकर SIR के विरोध में आ गए है। ऐसे राज्य जहां आने वाले समय (2026) में विधानसभा चुनाव होने है वहां की गैर भाजपा सरकारों ने खुलकर SIR का विरोध किया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तमिलनाडु में सत्तारूढ़ पार्टी डीमके के मुखिया और राज्य के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने खुलकर SIR का विरोध किया है और इस पर गंभीर सवाल उठाएहै। डीएमके और टीएमसी ने SIR की प्रक्रिया को लोकतंत्र के खिलाफ साजिश बताते हुए भाजपा और चुनाव आयोग पर लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप लगाया है। टीएमसी ने 2 नवंबर को राज्य में एंटी SIR मार्च का एलान किया है वहीं डीएमके ने 2 नवंबर को सर्वदलीय बैठक बुलाई है।

SIR का विरोध क्यों?- चुनाव आयोग ने बिहार में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जिस तरह SIR की प्रक्रिया अपनाई उसको लेकर राहुल गांधी सहित पूरे विपक्ष ने खूब मुद्दा बनाया। राहुल गांधी  ने बिहार में SIR को लेकर यात्रा भी की तो दूसरी तरफ SIR का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को आधार को पहचान प्रमाण के रूप में मानने का निर्देश दिया गया। विपक्ष का आरोप है कि SIR के माध्यम से  भाजपा समर्थक मतदाताओं को लाभ पहुंचाने के लिए अल्पसंख्यक, एससी/एसटी और महिलाओं को निशाना बनाया जा रहा है। बिहार में SIR अभियान के दौरान मतदाता सूची से अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जातियों और महिलाओं के नाम काटे जाने को लेकर विपक्ष ने खूब हंगामा भी किया।

SIR पर क्या कहा चुनाव आयोग ने?- वहीं चुनाव आयोग ने SIR की प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बताया है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि SIR की प्रक्रिया के दौरान मतदाता सूची के अपडेशन, नए वोटरों के नाम जोड़ने और त्रुटियों को सुधारने का काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग वोटर लिस्ट के अपडेट करने का काम ERO और BLO के माध्यम से किया जाता है, जहां औसतन प्रत्येक 1,000 मतदाताओं के लिए एक मतदान केंद्र निर्धारित होता है। ERO, जो आमतौर पर उप-मंडलाधिकारी  होते हैं, मतदाता सूची तैयार करने की ज़िम्मेदारी निभाते हैं, किसी भी आपत्ति या अपील को राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी (State CEO) तक ले जाया जा सकता है।
 
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