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Last Updated :नई दिल्ली , बुधवार, 21 मई 2025 (20:12 IST)

भारत के 2 दुश्मन हुए एक, अब China ऐसे कर रहा है Pakistan की मदद, अफगानिस्तान को भी साथ मिलाया

बीजिंग और इस्लामाबाद ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के प्रस्तावित एडवांस संस्करण को रफ्तार देने के अलावा सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ द्विपक्षीय सहयोग का विस्तार करने पर सहमति जताई है।

China
china and pakistan agree with afghanistan to expand cpec : ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन ने पाकिस्तान की मदद की थी। चीन ने पाकिस्तान को अपनी सैटेलाइट और एयर डिफेंस सिस्टम से पाकिस्तान को सहारा दिया, वहीं चीन अब पाकिस्तान के यहां अपने प्रोजेक्ट तेज कर भारत के खिलाफ बड़ा साजिश को अंजाम दे रहा है। हालांकि चीन की मदद के बाद भी पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी। अब उसने अफगानिस्तान को भी साथ ले लिया है। जानिए क्या है पूरा मामला- 
भारत के लिए क्यों चिंता का विषय 
पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार, जो पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री भी हैं, वे चीन के दौरे पर हैं। उनके दौरे में बीजिंग और इस्लामाबाद ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के प्रस्तावित एडवांस संस्करण को रफ्तार देने के अलावा सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ द्विपक्षीय सहयोग का विस्तार करने पर सहमति जताई है। 
 
शी जिनपिंग का ड्रीम प्रोजेक्ट
3000 किलोमीटर लंबी सीपीईसी कनेक्टिविटी परियोजना, चीन राष्ट्रपति शी जिनपिंग के ड्रीम प्रोजेक्ट बीआरआई का ही हिस्सा है। सीपीईसी, चीन के शिनजियांग प्रांत को दक्षिणी पाकिस्तान के बंदरगाह शहर ग्वादर को जोड़ती है। इसमें जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले भारत के क्षेत्र को शामिल किया गया है।  
 
सीपीईसी प्रोजेक्ट के पहले चरण ने भारत की चिंताओं को बढ़ा दिया था, क्योंकि यह भारत के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर से होकर गुजरता है। चीन और पाकिस्तान के बीच इसके अलावा उद्योग, कृषि, ऊर्जा और खनन, मानव संसाधन विकास, आतंकवाद विरोधी और सुरक्षा के क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति जताई गई है।
 
भारत के लिए रणनीतिक चुनौती
भारत CPEC 1.0 का विरोध किया था, क्योंकि यह भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करता है। चीन ने सीपीईसी के साथ बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं में 65 बिलियन डॉलर का निवेश करने का वादा किया है। हालांकि पिछले 2-3 सालों से सीपीईसी प्रोजेक्ट करीब करीब थम चुका है, क्योंकि पाकिस्तान अपने हिस्से का निवेश नहीं कर पा रहा है और चीन ने जितना निवेश किया है, उसके बदले में उसे कुछ भी हासिल नहीं हो पा रहा है। लेकिन सीपीईसी के दूसरे चरण में चीन, न सिर्फ पाकिस्तान और उसके अवैध कब्जे वाले क्षेत्रों में बल्कि पूरे क्षेत्र में अपने पैर पसारने की कोशिश करेगा, जिससे भारत के लिए रणनीतिक चुनौती खड़ी होगी।
अफगानिस्तान को भी लिया साथ 
बुधवार को बीजिंग में चीन के विदेश मंत्री वांग यी, पाकिस्तान के विदेश मंत्री ईशाक दार और अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मौलाना आमिर खान मुत्तकी के बीच एक बैठक में यह फैसला हुआ कि चीन प्रायोजित ढांचागत कनेक्टिविटी की परियोजना बोर्डर रोड इनिसिएटिव (बीआरआई) में अफगानिस्तान भी शामिल होगा। इस परियोजना के तहत चीन के औद्योगिक शहरों को जोड़ने वाला सड़क मार्ग पाक अधिकृत कश्मीर से होते हुए ग्वादर पोर्ट (बलूचिस्तान, पाकिस्तान) तक जाता है। अब इस पोर्ट से अफगानिस्तान को जोड़ने की चीन की मंशा परवान चढ़ेगी। चीन ने एक झटके में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच चल रहे तनाव को काफी हद तक कम कर दिया है।
बयानबाजी में दिखावा
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा है कि चीन पाकिस्तान और भारत द्वारा बातचीत के माध्यम से अपने मतभेदों को ठीक से निपटाने, व्यापक और स्थायी युद्धविराम हासिल करने और मौलिक समाधान तलाशने का स्वागत करता है और उसका समर्थन करता है।
 
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य वांग ने पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री मोहम्मद इशाक डार के साथ बातचीत करते हुए यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि यह दोनों पक्षों के मौलिक और दीर्घकालिक हितों के अनुरूप है, जो क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए अनुकूल है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आम अपेक्षा के अनुरूप भी है। Edited by: Sudhir Sharma