अगर सोने का समय फिक्स नहीं तो आपका दिल है खतरे में, स्टडी में हुआ खुलासा
Side effects of irregular sleep cycle: आजकल की तेज़ रफ्तार जिंदगी में लोगों का सोने-जागने का समय काफी अनियमित हो गया है। कई लोग देर रात तक जागते हैं या नाइट शिफ्ट में काम करते हैं। हालांकि, एक हालिया स्टडी ने इस पर रोशनी डाली है कि अनियमित स्लीप पैटर्न के कारण हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा 26% तक बढ़ सकता है।
मतलब अगर आप 8 घंटे की नींद लेते हैं लेकिन सोने का समय फिक्स नहीं है तो हालिया स्टडी के अनुसार, इससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है। जानिए क्यों नियमित स्लीप पैटर्न जरूरी है।
क्या कहती है स्टडी?
जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड कम्यूनिटी हेल्थ में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, अगर सोने और जागने का समय फिक्स नहीं है, तो यह हार्ट और ब्रेन हेल्थ पर नकारात्मक असर डाल सकता है। इस स्टडी में 40 से 79 साल की उम्र के 72,269 लोगों पर शोध किया गया, जिनकी स्लीप हैबिट्स का कई सालों तक अध्ययन किया गया।
अनियमित नींद से बढ़ते जोखिम:
हार्ट अटैक का खतरा:
सोने का समय तय न होने से हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ सकता है।
स्ट्रोक का खतरा:
स्टडी में पाया गया कि अनियमित स्लीप पैटर्न स्ट्रोक की संभावना भी 26% तक बढ़ा सकता है।
सोने का फिक्स समय क्यों जरूरी है?
नींद की क्वालिटी जितनी जरूरी है, उतना ही महत्वपूर्ण है सोने-जागने का एक निश्चित समय। हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि नियमित स्लीप पैटर्न से हार्ट और ब्रेन की हेल्थ बेहतर रहती है।
कैसे सुधारें अपनी स्लीप साइकिल?
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नियमित रूटीन अपनाएं: हर दिन एक ही समय पर सोने और जागने की आदत डालें।
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स्क्रीन टाइम कम करें: सोने से पहले मोबाइल और लैपटॉप का इस्तेमाल कम करें।
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रिलैक्सेशन तकनीक अपनाएं: योग, ध्यान और गहरी सांस लेने की एक्सरसाइज करें।
नींद की मात्रा के साथ-साथ उसकी नियमितता भी बेहद महत्वपूर्ण है। अनियमित स्लीप साइकिल हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसे गंभीर स्वास्थ्य जोखिम बढ़ा सकती है। इसलिए, अपनी स्लीप हैबिट्स सुधारें और एक हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं।
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