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Last Updated : गुरुवार, 5 अगस्त 2021 (13:27 IST)

कोविड के इलाज में अश्वगंधा कैसे करेगा मदद, भारत और ब्रिटेन करेंगे स्‍टडी

कोविड के इलाज में अश्वगंधा कैसे करेगा मदद, भारत और ब्रिटेन करेंगे स्‍टडी - Ashwagandha will help in the treatment of covid
नई दिल्ली, भारतीय आयुर्वेद में अश्वगंधा को तनाव कम करने वाली औषधि के रूप में जाना जाता है जो रोग-प्रतिरोधक क्षमता प्रणाली को मजबूत भी बनाता है।

कोरोना महामारी के दौरान सभी का ध्यान भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद की ओर आकर्षित हुआ है ताकि इस दिशा में नए शोध-अध्ययनों द्वारा कोरोना-चिकित्सा के विरुद्ध औषधीय विकल्प तलाशे जा सकें। हाल ही में आयुष मंत्रालय ने कोरोना से उबरने में परंपरागत जड़ी-बूटी अश्वगंधा के लाभों का अध्ययन करने के लिए ब्रिटेन के लंदन स्कूल ऑफ हाइजिन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन (एलएसएचटीएम) के साथ एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।

इस सहमति पत्र में आयुष मंत्रालय के अधीन स्वायत्त संस्था अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) तथा एलएसएचटीएम ने ब्रिटेन के तीन शहरों लेसिस्टर, बर्मिंघम और लंदन (साउथ हॉल और वेंबले) में दो हजार लोगों पर अश्वगंधा का चिकित्सीय परीक्षण करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।

इस शोध अध्ययन में एलएसएचटीएम के डॉ संजय किनरा अध्ययन के अध्यक्ष होंगे तो वहीं, एआईआईए की निदेशक डॉ तनुजा मनोज नेसारी और इस परियोजना में अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं के समन्वयक डॉ राजगोपालन के साथ सह-अन्वेषक की भूमिका में होंगे।

डॉ तनुजा मनोज नेसारी ने कहा है कि तीन महीने तक एक हजार प्रतिभागियों के एक समूह को अश्वगंधा की गोलियां दी जाएंगी, जबकि इतने ही लोगों के दूसरे समूह को इसी के समान दिखने वाली अन्य गोलियां दी जाएंगी। किसे कौन सी गोली दी गई है, इस बारे में मरीजों यहां तक कि चिकित्सकों को भी नहीं बताया जाएगा।

इस शोध अध्ययन में प्रतिभागियों को दिन में दो बार 500 मिलीग्राम की गोलियां लेनी होंगी और इसके साथ ही एक मासिक रिपोर्ट तैयार की जाएगी जिसमें दैनिक जीवन की गतिविधियों, मानसिक एवं स्वास्थ्य लक्षणों के साथ-साथ सभी पूरक और प्रतिकूल घटनाओं का भी एक रिकॉर्ड रखा जाएगा।

डॉ नेसारी ने कहा कि एमओयू पर हस्ताक्षर करने के लिए राजनयिक और नियामक दोनों चैनलों के माध्यम से लगभग 16 महीनों में 100 से अधिक बैठके हुई हैं। उन्होंने कहा कि अध्ययन को मेडिसिन एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी (एमएचआरए) द्वारा अनुमोदित किया गया था और डब्ल्यूएचओ-जीएमपी द्वारा प्रमाणित किया गया था। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त जीसीपी (गुड क्लिनिकल प्रैक्टिस) दिशानिर्देशों के अनुसार इसका संचालन और निगरानी की जा रही थी।

यदि यह परीक्षण सफल रहता है तो भारत की परंपरागत औषधी प्रणाली को अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक वैधता मिल सकती है। हालांकि अभी तक अनेक रोगों के प्रति अश्वगंधा की भूमिका को लेकर कई शोध और अध्ययन हो चुके है लेकिन ऐसा पहली बार होगा कि कोरोना संक्रमण के प्रति अश्वगंधा के प्रभाव की जांचने के लिए किसी विदेशी संस्थान के साथ इस प्रकार का कोई समन्वय हुआ है। (इंडिया साइंस वायर)
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