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Last Modified: बुधवार, 30 अप्रैल 2025 (15:19 IST)

मेरा नाम जोकर में ऋषि कपूर ने निभाया था अपने पिता के बचपन का किरदार, मिला था बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट का नेशनल अवॉर्ड

Rishi Kapoor death anniversary
बॉलीवुड में अपने सदाबहार अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने वाले ऋषि कपूर को उनकी पहली फिल्म 'मेरा नाम जोकर' के लिए बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट का नेशनल अवॉर्ड मिला था। चार सितंबर 1952 को मुंबई में जन्में ऋषि कपूर को अभिनय की कला विरासत में मिली। उनके पिता राज कपूर फिल्म इंडस्ट्री के जाने माने अभिनेता और निर्माता-निर्देशक थे। 
 
घर में फिल्मी माहौल रहने के कारण ऋषि कपूर का रूझान फिल्मों की ओर हो गया और वह भी अभिनेता बनने के ख्वाब देखने लगे। ऋषि कपूर ने अपने सिने करियर की शुरूआत अपने पिता की निर्मित फिल्म 'मेरा नाम जोकर' से की। वर्ष 1970 में प्रदर्शित इस फिल्म में ऋषि कपूर ने 14 वर्षीय लड़के की भूमिका निभाई जो अपनी शिक्षिका से प्रेम करने लगता है। अपनी इस भूमिका को ऋषि कपूर ने इस तरह निभाया कि दर्शक भावविभोर हो गए।
 
फिल्म 'मेरा नाम जोकर' के लिए ऋषि को बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट का नेशनल अवॉर्ड मिला था। इससे जुड़ा एक किस्सा उन्होंने अपनी ऑटोबायोग्राफी 'खुल्लम खुल्ला' में बताते हुए कहा था, 'जब मैं मुंबई लौटा तो मेरे पिता ने उस अवॉर्ड के साथ मुझे अपने दादा जी पृथ्वीराज कपूर के पास भेजा। मेरे दादा जी ने वो मेडल अपने हाथ में लिया और उनकी आंखें भर आईं। उन्होंने मेरे माथे को चूमा और कहा, 'राज ने मेरा कर्जा उतार दिया।' 
 
rishi kapoor
फिल्म 'मेरा नाम जोकर' से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा है। जब राज कपूर ने ऋषि कपूर को फिल्म 'मेरा नाम जोकर' में अपने बचपन का रोल दिया तो वे स्कूल में पढ़ा करते थे। फिल्म में काम करने के दौरान ऋषि स्कूल नहीं जा पाते थे और ये बात उनके टीचर्स को बिल्कुल पसंद नहीं थी। आखिर एक दिन ऐसा आया जब स्कूलवालों ने ऋषि कपूर को स्कूल से निकाल दिया। जब ये बात राज कपूर को पता चली तो उन्होंने काफी मशक्कत के बाद स्कूल में फिर से ऋषि कपूर का एडमिशन करवाया।
 
फिल्म मेरा नाम जाकर भारतीय सिनेमा इतिहास में मील का पत्थर मानी जाती है लेकिन उन दिनों फिल्म बॉक्स ऑफिस पर नकार दी गई थी। इस फिल्म को पूरा करने में काफी समय लगा था। बताया जाता है कि राज कपूर को अपनी पत्नी के गहने भी बेचने पड़े थे। राज कपूर पर काफी कर्ज हो गया था। राज कपूर ने कर्ज से बाहर निकलने के लिए कम बजट की फिल्म बॉबी बनाने का निर्णय लिया। 
 
टीनएज प्रेम कथा पर आधारित वर्ष 1973 में प्रदर्शित फिल्म 'बॉबी' के लिए राज कपूर ने अपने बेटे ऋषि कपूर और 16 साल की डिंपल कपाड़िया को चुना था। बतौर अभिनेत्री डिंपल कपाड़िया की भी यह पहली ही फिल्म थी। बेहतरीन गीत-संगीत और अभिनय से सजी इस फिल्म की जबरदस्त कामयाबी ने न सिर्फ डिंपल कपाड़िया बल्कि ऋषि कपूर को भी शोहरत की बुंलदियों पर पहुंचा दिया। राज कपूर पर चढ़ा कर्ज भी उतर गया।
 
फिल्म बॉबी के लिए ऋषि कपूर को फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का अवॉर्ड मिला था, लेकिन इसके पीछे की सच्चाई ऋषि कपूर ने खुद ऑटोबायोग्राफी खुल्लम खुल्ला में बताते हुए कहा था कि उन्होंने ये अवॉर्ड पैसे देकर खरीदा था। इस बात का उन्हें ताउम्र मलाल रहा था। फिल्म बॉबी की सफलता के बाद ऋषि कपूर की जहरीला इंसान, जिंदादिल और राजा जैसी फिल्में प्रदर्शित हुई लेकिन कमजोर पटकथा और निर्देशन के कारण ये फिल्में टिकट खिड़की पर असफल साबित हुई।
 
वर्ष 1975 में प्रदर्शित फिल्म खेल खेल में की कामयाबी के बाद ऋषि कपूर बतौर अभिनेता अपनी खोई हुई पहचान बनाने में कामयाब हो गए। कॉलेज की जिंदगी पर बनी इस फिल्म में ऋषि कपूर की नायिका की भूमिका अभिनेत्री नीतू सिंह ने निभाई। फिल्म खेल खेल में की कामयाबी के बाद ऋषि कपूर और नीतू सिंह की जोड़ी दर्शकों के बीच काफी मशहूर हो गयी। बाद इस जोड़ी ने रफूचक्कर, जहरीला इंसान, जिंदादिल, कभी-कभी, अमर अकबर एंथनी, अनजाने, दुनिया मेरी जेब में, झूठा कहीं का, धन दौलत, दूसरा आदमी आदि फिल्मों में युवा प्रेम की भावनाओं को निराले अंदाज में पेश किया।
 
वर्ष 1977 में प्रदर्शित फिल्म अमर अकबर एंथोनी ऋषि कपूर के सिने करियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में एक है। अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना जैसे मंझे हुए कलाकारों की मौजूदगी में भी ऋषि कपूर ने अपने दमदार अभिनय से दर्शकों को दीवाना बना दिया। मनमोहन देसाई के निर्देशन में बनी इस फिल्म में ऋषि कपूर अकबर इलाहाबादी की भूमिका में दिखाई दिए। इस फिल्म में उन पर फिल्माया यह गीत 'पर्दा है पर्दा' आज भी सर्वश्रेष्ठ कव्वाली के तौर पर शुमार किया जाता है। 
 
वर्ष 1977 में ही ऋषि कपूर के सिने करियर की एक और सुपरहिट फिल्म हम किसी से कम नहीं रिलीज हुई। नासिर हुसैन के निर्देशन में बनी इस फिल्म में ऋषि कपूर डांसर सिंगर की भूमिका में दिखाई दिए। इस फिल्म में उन पर फिल्माया यह गीत 'बचना ए हसीनों लो मै आ गया' आज भी श्रोताओं को झूमने को मजबूर कर देता है। वर्ष 1979 में के. विश्वनाथ की श्री श्री मुवा की हिंदी में रिमेक फिल्म सरगम ऋषि कपूर के सिने करियर की एक और महत्वपूर्ण फिल्म साबित हुई। फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिये अपने करियर में पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से उन्हें नामांकित किया गया। 
 
वर्ष 1980 में रिलीज फिल्म कर्ज ऋषि कपूर की सुपरहिट फिल्म में शुमार की जाती है। सुभाष घई के निर्देशन में पुनर्जन्म पर आधारित इस फिल्म में उन पर फिल्माया यह गीत 'ओम शांति ओम' दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ था। इस गीत से जुड़ा दिलचस्प तथ्य यह है कि इसे कोलकाता के नेताजी सुभाषचंद्र स्टेडियम में फिल्माया गया था और गाने के दौरान ऋषि कपूर एक घूमते हुए डिस्क पर नृत्य करते हैं।
 
वर्ष 1982 में प्रदर्शित फिल्म प्रेम रोग में ऋषि कपूर के अभिनय के नए रूप देखने को मिले। यूं तो यह फिल्म नारी प्रधान थी इसके बावजूद उन्होंने अपने भावपूर्ण अभिनय से दर्शकों का दिल जीतकर फिल्म को सुपरहिट बना दिया। फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिए वह सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार के लिए नामांकित भी किए गए। वर्ष 1985 में प्रदर्शित फिल्म तवायफ ऋषि कपूर के करियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में एक है। फिल्म में जबरदस्त अभिनय के लिए ऋषि कपूर को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया।
 
वर्ष 1989 में प्रदर्शित फिल्म चांदनी ऋषि कपूर अभिनीत महत्वपूर्ण फिल्मों में शुमार की जाती है। यश चोपड़ा के निर्देशन में बनी इस फिल्म में ऋषि कपूर ने फिल्म के शुरूआत में जहां चुलबुला और रूमानी अभिनय किया वहीं फिल्म के मध्यांतर में एक अपाहिज की भूमिका में संजीदा अभिनय से दर्शको को मंत्रमुग्ध कर दिया। फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिए वह सवश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से नामांकित भी किए गए।
वर्ष 1996 में ऋषि कपूर ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रखकर प्रेम ग्रंथ का निर्माण किया। यह फिल्म हालांकि टिकट खिड़की पर असफल साबित हुई लेकिन इसमें ऋषि कपूर के अभिनय को जबरदस्त सराहना मिली। वर्ष 1999 में ऋषि कपूर ने फिल्म आ अब लौट चले का निर्माण और निर्देशन किया। दुर्भाग्य से यह फिल्म भी टिकट खिड़की पर असफल साबित हुई।
 
वर्ष 2000 में प्रदर्शित फिल्म कारोबार की असफलता के बाद और अभिनय में एकरूपता से बचने तथा स्वयं को चरित्र अभिनेता के रूप मे भी स्थापित करने के लिए ऋषि कपूर ने स्वयं को विभिन्न भूमिकाओं में पेश किया। वर्ष 2009 में प्रदर्शित फिल्म लव आज कल में अपने दमदार अभिनय के लिए ऋषि कपूर को सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के फिल्मफेयर पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
 
ऋषि कपूर ने अपने चार दशक के लंबे सिने करियर में लगभग 150 फिल्मों में अभिनय किया। वर्ष 2018 में उन्हें कैंसर हुआ था। ऋषि का अमेरिका में 11 महीनों तक इलाज चला जिसके बाद वे भारत लौट आए थे और यहीं उन्होंने 30 अप्रैल 2020 को अपनी अंतिम सांस ली थी। अपने काम को लेकर उन्हें इतना जुनून था कि अमेरिका में इलाज के दौरान भी वे फिल्ममेकर्स से स्क्रिप्ट मंगाते और पढ़ते थे। 
 
ऋषि कपूर की अंतिम फिल्म 'शर्माजी नमकीन' वर्ष 2022 में ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज हुई थी। इस फिल्म की शूटिंग के दौरान ही ऋषि बीमार पड़े थे। फिर कोविड का दौर आ गया था। ऋषि फिल्म पूरी करते, उससे पहले ही उनका निधन हो गया था। ऋषि कपूर ने शर्माजी का किरदार 65 प्रतिशत तक शूट कर लिया था। बाकी बचा हुआ किरदार परेश रावल ने शूट किया था।
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