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Written By BBC Hindi
Last Updated : सोमवार, 30 दिसंबर 2019 (11:06 IST)

मेरठ एसपी को लेकर योगी और मोदी सरकार आमने-सामने क्यों?

मेरठ एसपी को लेकर योगी और मोदी सरकार आमने-सामने क्यों? - Why Akhilesh Singh dispute over Meerut SP?
अनंत प्रकाश (बीबीसी संवाददाता)
 
उत्तरप्रदेश के मेरठ ज़िले के एसपी (सिटी) अखिलेश सिंह के एक बयान को लेकर योगी सरकार और मोदी सरकार आमने-सामने आती दिख रही है। केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने अखिलेश सिंह के बयान पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि अगर ये बयान सही में दिया गया है तो उनके ख़िलाफ़ कड़े क़दम उठाए जाने चाहिए, वहीं उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य इस मसले पर अखिलेश सिंह के साथ खड़े हुए दिखाई पड़ते हैं।
 
सोशल मीडिया पर वायरल होते इस वीडियो के मुताबिक़ मेरठ के एसपी सिटी अखिलेश सिंह नागरिकता संशोधन क़ानून का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों को रोकते हुए एक गली में खड़े हुए दिखाई पड़ते हैं। वो गली में खड़े लोगों से कहते हुए नज़र आ रहे हैं, 'ये जो काली और पीली पट्टी बांधे हुए हैं, इनसे कह दो पाकिस्तान चले जाओ। खाओगे यहां का, गाओगे कहीं और का....?' वीडियो में उनकी मुद्रा काफ़ी आक्रामक है।
 
मुख़्तार अब्बाव नक़वी हुए नाराज़
 
उनके साथ मौजूद पुलिसकर्मी भी काफ़ी आक्रामक मुद्रा में वहां खड़े लोगों से कहते हुए नज़र आ रहे हैं, 'एक सेकंड में सब कुछ काला हो जाएगा, पट्टी ही नहीं, ज़िंदगी भी काली हो जाएगी।' इसके बाद अखिलेश सिंह काफ़ी आक्रामक मुद्रा में वहां खड़े लोगों को उंगली दिखाते हुए कहते हैं, 'मैंने इस गली को याद कर लिया है और जब मैं कुछ याद कर लेता हूं तो नानी तक पहुंचता हूं।' सिंह का ये बयान सामने आने के बाद वो और उनके अधिकारी बचाव की मुद्रा में हैं।
 
सिंह ने कहा है, 'हमें देखकर कुछ लड़कों ने पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगाए और भागने लगे। मैंने उन्हें कहा कि अगर पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगाते हो और भारत से इतनी नफ़रत करते हो कि पत्थर मारोगे तो पाकिस्तान चले जाओ। हम उनकी पहचान कर रहे हैं।'
 
सिंह के इस बयान के बाद उनके उच्च अधिकारी मेरठ आईजी प्रशांत कुमार ने सिंह का बचाव करते हुए कहा है, 'पथराव हो रहा था, भारत के विरोध और पड़ोसी देश के समर्थन में नारेबाज़ी हो रही थी। हालात बहुत तनावपूर्ण थे। अगर सामान्य होते तो शब्द शायद बेहतर होते। मगर उस दिन परिस्थितियां संवेदनशील थीं। हमारे अधिकारियों ने काफ़ी संयम दिखाया। पुलिस की ओर से फ़ायरिंग नहीं हुई।'कोई बचाव में, कोई विरोध में
 
इसके बाद उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी पुलिस अधिकारी के बचाव में बयान दिया। उन्होंने कहा, 'मेरठ के एसपी ने जो बयान दिया है, उस पर विवाद का कोई औचित्य नहीं है। जहां तक मैं समझता हूं, उन्होंने ये बात सभी मुसलमानों के लिए नहीं कही है। जो लोग पत्थर फेंकते हुए उपद्रव कर रहे थे, पाकिस्तान ज़िंदाबाद का नारा लगा रहे थे, उन्होंने उनके लिए ये बात कही है।'
 
इस मसले पर जहां एक ओर उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री से लेकर सरकारी अमला अपने अधिकारी के बचाव में खड़ा दिखाई पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने इस मुद्दे पर मेरठ के एसपी को आड़े हाथों लिया है। मुख़्तार अब्बास नक़वी ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा, 'अगर वीडियो में उन्होंने जो बात कही है, वो पूरी तरह सच है तो ये बेहद निंदनीय है। और अगर ये सच है तो उनके ख़िलाफ़ तत्काल कड़े कदम उठाए जाने चाहिए।'
 
आख़िर क्यों आमने-सामने हैं योगी और मोदी सरकार?
 
इस मुद्दे पर केंद्र और उत्तरप्रदेश सरकार का रुख देखने के बाद ये सवाल खड़ा होता है कि जब दोनों ही स्तरों पर बीजेपी की सरकार है तो दोनों सरकारों में ऐसा विरोधाभास क्यों सामने आ रहा है? बीबीसी ने इस मुद्दे को समझने के लिए एक लंबे समय से राष्ट्रीय राजनीति पर नज़र रखने वालीं वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी से बात की।
 
नीरजा बताती हैं, 'मुख़्तार अब्बास नक़वी और केशव प्रसाद मौर्य के बयानों को सुनने के बाद ये सवाल जायज़ है कि दोनों में इतना विरोधाभास क्यों हैं।'
 
नीरजा चौधरी के मुताबिक़, 'इससे दो अनुमान लगाए जा सकते हैं कि या तो बीजेपी के अंदर इस बात को लेकर बिलकुल स्पष्टता नहीं है कि नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी के ख़िलाफ़ जारी विरोध प्रदर्शनों से कैसे जूझना है। इससे पहले नरेंद्र मोदी एनआरसी के मुद्दे पर कहते हैं कि उनकी सरकार में ऐसी कोई बात नहीं हुई है। लेकिन उनके ही गृहमंत्री संसद में बयान देते हैं कि एनआरसी होगा। वे इंटरव्यू में भी ये बात दोहराते हैं। राष्ट्रपति ने भी अपने अभिभाषण में ये बात कही गई है।'
 
नीरजा कहती हैं, 'इसके अलावा दूसरा अनुमान ये लगाया जा सकता है कि क्या बीजेपी जान-बूझकर दोनों तरह की बातें कर रही है ताकि एक तरह की भ्रमपूर्ण स्थिति पैदा हो सके? क्योंकि एक हफ़्ते तक चले विरोध प्रदर्शनों के बाद भारत ही नहीं, दुनियाभर में मुसलमानों, यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्रों ने सरकार के इस क़ानून का विरोध किया है। ऐसे में इस कानून के आने के बाद से दुनियाभर में सरकार की छवि को नुकसान पहुंचा है। ऐसे में इस बात की संभावना है कि बीजेपी अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए अलग और भारत में रहने वाले लोगों के लिए अलग बयान दे रही है।'
 
क्या राजनीति है विरोधाभास की जड़?
 
नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर जबसे विरोध प्रदर्शन शुरू हुए हैं, उसके बाद सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक इसे हिन्दू-मुस्लिम विवाद की शक्ल दिए जाने के संकेत दिए जाते रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ आक्रामक रुख से लेकर रामपुर में 28 लोगों के ख़िलाफ़ 14 लाख़ रुपए से ज़्यादा जुर्माना लगाने के मामले सामने आ चुके हैं।
 
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इन बयानों के पीछे कोई सोची-समझी रणनीति है? उत्तरप्रदेश में लंबे समय से ऐसे मामलों को कवर कर चुके वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान मानते हैं कि इसका संबंध पश्चिम बंगाल के चुनावों से हो सकता है।
 
वो कहते हैं, 'शुरुआत से इस मुद्दे का केंद्र राजनीतिक ही रहा है। ये एक प्रयास है जिससे हिन्दू वोटबैंक को सुसंगठित करने की कोशिश की जा रही है। मेरठ एसपी सिटी अखिलेश सिंह इस वीडियो में किसी एक व्यक्ति के लिए ये बात नहीं बोल रहे हैं। वो उस मोहल्ले में खड़े आम लोगों को उंगली दिखाते हुए बेहद आक्रामक अंदाज़ में खुल्लम-खुल्ला धमकी दे रहे हैं। वो सीधे-सीधे मुस्लिम समाज की बात कर रहे हैं और ऐसा तब तक नहीं हो सकता, जब तक कि उन्हें शासन की ओर से ऐसे संकेत न मिले हों।'
 
पुलिस के सहारे पश्चिम बंगाल साधना चाहती है बीजेपी?
 
उत्तरप्रदेश सरकार ने अपने गठन के बाद से ही पुलिस व्यवस्था के तौर-तरीकों को लेकर सवाल उठने पर अपने पुलिस अधिकारियों का बचाव किया है, क्योंकि यूपी सरकार के 'हॉफ़ एनकाउंटर' पर कई बार अलग-अलग स्तरों पर सवाल उठाए गए हैं। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, पश्चिम बंगाल में बीजेपी की प्रदेश शाखा के महासचिव सयंतन बासु ने कहा कि अगर बीजेपी सत्ता में आती है तो पश्चिम बंगाल में उत्तरप्रदेश मॉडल लागू किया जाएगा, पुलिस को खुली छूट दी जाएगी और अगर अपराधी आत्मसर्मपण नहीं करते हैं तो एनकाउंटर में मारे जाएंगे।
 
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यूपी पुलिस के एक अधिकारी की ओर से इस तरह के बयान का बचाव करके बीजेपी पश्चिम बंगाल के मतदाताओं को किसी तरह का संकेत देना चाहती है?
 
शरत प्रधान के मुताबिक़, 'इस बात की पूरी आशंका है, क्योंकि बीजेपी के नेता बिना कुछ सोचे-समझे कोई बयान नहीं देते हैं। बीजेपी के लिए पश्चिम बंगाल का चुनाव बेहद अहम है और यह मुमकिन है कि वे ऐसा करके पश्चिम बंगाल में ये संदेश पहुंचाना चाहते हों कि- 'देखिए, हमने यूपी में ये किया है और यही काम पश्चिम बंगाल में भी कर सकते हैं।'
 
हालांकि, मेरठ एसपी सिटी के ख़िलाफ़ विपक्षी दलों का विरोध जारी है। ऐसे में ये तो समय ही बताएगा कि आख़िर यूपी सरकार केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी की ओर से संकेत मिलने के बाद भी अपने अधिकारी का बचाव रखना जारी रखेगी या उनके ख़िलाफ़ कोई कदम उठाएगी?
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