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Written By BBC Hindi
Last Updated : सोमवार, 14 अगस्त 2023 (09:25 IST)

बिहार के यू-ट्यूबर मनीष कश्यप के पास कहां से आए इतने समर्थक?

बिहार के यू-ट्यूबर मनीष कश्यप के पास कहां से आए इतने समर्थक? - Where did Bihar's YouTuber Manish Kashyap get so many supporters?
(चंदन कुमार जजवाड़े, बीबीसी संवाददाता, पटना)
 
Manish Kashyap: बिहार के यू-ट्यूबर (YouTuber) मनीष कश्यप (Manish Kashyap) तमिलनाडु की जेल से अपने गृह राज्य बिहार की जेल में पहुंच गए हैं, लेकिन उनकी मुश्किलें कम नहीं हुई हैं। मनीष कश्यप का यू-ट्यूब चैनल आर्थिक संकट में है और बैंक अकाउंट भी सील है। मनीष कश्यप पर बिहार और तमिलनाडु में कई तरह के गंभीर मामले दर्ज हैं। तमिलनाडु पुलिस ने मनीष पर राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून यानी एनएसए के तहत भी मामला दर्ज किया है।
 
त्रिपुरारी कुमार तिवारी उर्फ़ मनीष कश्यप बिहार में यू-ट्यूब और फ़ेसबुक पर काफ़ी चर्चित हैं। क़रीब 32 साल के मनीष कश्यप ने पुणे से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। उन्होंने कुछ साल नौकरी भी की थी।
 
मनीष ने साल 2016-17 से स्थानीय समस्या के वीडियो सोशल मीडिया पर डालना शुरू किया था और इससे उसकी लोकप्रियता बढ़ती गई।
 
इसी साल 18 मार्च को मनीष कश्यप को गिरफ़्तार किया गया था। वो पहले तमिलनाडु और अब बिहार में पटना की बेऊर जेल में बंद हैं।
 
पटना में कोर्ट ने जब यह फ़ैसला सुनाया तो मनीष कश्यप के समर्थकों ने इसे जीत के एक जश्न की तरह मनाया और कोर्ट परिसर में नारेबाज़ी भी की।
 
मनीष कश्यप के वकील ने चेतावनी दी है कि समर्थकों ने अगर कोर्ट परिसर में नारेबाज़ी की तो मनीष को बिहार से बाहर भी भेजा जा सकता है।
 
मनीष के एक समर्थक संदीप कुमार बारी का दावा है कि एक मामले की सुनवाई के दौरान बिहार के बेतिया के कोर्ट में 7 अगस्त को उनके हज़ारों समर्थक आए थे।
 
संदीप कुमार के मुताबिक़ 'हमलोगों को अंदाज़ा नहीं था कि पटना के कोर्ट परिसर में भी इतने लोग पहुंच जाएंगे। जब फ़ैसला सुनाया गया कि मनीष अब पटना की जेल में रहेंगे और तमिलनाडु नहीं जाएंगे, तो सभी लोगों ने उत्साह में नारेबाज़री कर दी।'
 
कहां से आए इतने समर्थक?
 
दरअसल मनीष कश्यप के समर्थकों में बड़ी संख्या में यू-ट्यूबर भी शामिल हैं। इसके अलावा बेतिया में उनके क़रीबी और साथ रहे लोग भी मनीष के साथ खड़े नज़र आते हैं।
 
झारखंड के हज़ारीबाग के रहने वाले अमन कुमार ख़ुद को 'हिन्दुत्व प्रचारक' बताते हैं और वो भी मनीष कश्यप के समर्थक हैं। अमन के अलावा उनके कई साथियों ने मनीष कश्यप के समर्थन में आवाज़ उठाई है।
 
अमन के मुताबिक़ पिछले साल अगस्त में झारखंड के दुमका में अंकिता सिंह की हत्या को कवर करने के लिए मनीष कश्यप दुमका आए थे और तभी से उनकी मनीष से अच्छी जान पहचान हुई है।
 
अंकिता सिंह की हत्या का आरोप शाहरुख़ नाम के शख़्स पर लगा था। पुलिस ने हत्या के पीछे एकतरफा प्रेम प्रसंग की वजह बताई थी। यह मामला दो अलग-अलग समुदायों से जुड़ा हुआ था।
 
मनीष कश्यप ने साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में पश्चिमी चंपारण के चनपटिया सीट से चुनाव भी लड़ा, हालांकि इसमें उनकी हार हुई थी। लेकिन इस दौरान भी मनीष के समर्थकों में इज़ाफ़ा हुआ।
 
मनीष के एक समर्थक अमित कुमार राय ने बीबीसी को बताया, 'साल 2019 से मनीष ने पूरे बिहार और बाहर के मुद्दों को भी उठाना शुरू किया, इससे वो काफ़ी लोकप्रिय हो गए। चुनाव में भले ही वो हार गए लेकिन निर्दलीय होकर भी तीसरे नंबर पर थे।'
 
मनीष कश्यप अक्सर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के ख़िलाफ़ भी आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करते दिखते रहे हैं। ऐसे में एक ख़ास राजनीतिक विचारधारा के लोग भी मनीष के समर्थकों में शामिल हैं।
 
अमित राय का आरोप है कि अभी बिहार में जिसकी सरकार है उनको मनीष से जलन होने लगी, क्योंकि वो बहुत तेज़ी से आगे बढ़ रहे थे।
 
'मनीष कश्यप के ऊपर कोई बड़ा हाथ ज़रूर'
 
वरिष्ठ पत्रकार नचिकेता नारायण मानते हैं कि मनीष कश्यप के सोशल मीडिया पर डाले गए वीडियो में स्पष्ट तौर पर उग्र हिन्दूत्ववादी रूझान दिखता है और उनके सोशल मीडिया कंटेंट में भड़काने वाली यानी सस्ती लोकप्रियता हासिल करने वाली बात ज़्यादा दिखती है।
 
नचिकेता नारायण कहते हैं, 'मनीष ने एलान किया था कि वो शाररुख़ ख़ान की फ़िल्म 'पठान' को फ़्लॉप करा देंगे, वो गांधी के बारे में आपत्तिजनक बातें करते हैं और कहते हैं कि हिन्दू जाग गया है। मनीष कश्यप को अपनी बिरादरी के लड़कों का भी समर्थन हासिल है और बेरोज़गारी हर वर्ग में है इसलिए लोग उनके साथ चले जाते हैं।'
 
तमिलनाडु से जुड़ी जिन ख़बरों को बीजेपी ने विधानसभा तक में उठाया और जो ग़लत साबित हुआ, उसपर मनीष कश्यप वीडियो बना रहे थे।
 
मनीष कश्यप ने जिस तरह की ख़बरें अपने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर डाली थीं, वो इतनी गंभीर थीं कि सुप्रीम कोर्ट तक ने उन्हें राहत नहीं दी है।
 
नचिकेता नारायण के मुताबिक़ ऐसा लगता है कि मनीष कश्यप के ऊपर कोई बड़ा हाथ ज़रूर होगा, हालांकि यह स्पष्ट तौर पर कहीं दिखा नहीं है।
 
क्या है मामला?
 
इसी साल फ़रवरी महीने के अंतिम सप्ताह में सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा था कि तमिलनाडु के तिरुपुर और कोयंबटूर में बिहार के मज़दूरों के साथ हिंसा हो रही है, जिसमें कम से कम दो लोगों की हत्या का दावा भी किया गया था।
 
हालांकि तमिलनाडु और बिहार पुलिस ने इन सभी ख़बरों को झूठ और भ्रामक बताया था। मनीष कश्यप पर भी ऐसी झूठी और भ्रामक ख़बरों को फैलाने का आरोप लगा। उसने अपने वीडियो में तमिलनाडु के डीजीपी तक के बयान को फ़र्जी बताया था।
 
मनीष के ख़िलाफ़ तमिलनाडु पुलिस ने छह और बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई ने चार मामले दर्ज किए थे। उसके बाद वो काफ़ी दिनों तक फ़रार रहे। उनपर एक गंभीर आरोप यह है कि उन्होंने पटना में दो लोगों से घायल होने का झूठा वीडियो बनवाया।
 
उसके बाद बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई ने उनके बैंक खातों को सील कर दिया। पुलिस के मुताबिक़ उनके बैंक खातों में 42 लाख से ज़्यादा रकम जमा थी। ये खाते अब तक सील हैं।
 
बिहार पुलिस ने मनीष कश्यप के ख़िलाफ़ गिरफ़्तारी का वारंट जारी किया था और फिर एक मामले में कोर्ट ने उनके घर की कुर्की के आदेश दिए। इसके बाद ही मनीष ने 18 मार्च 2023 को आत्मसमर्पण किया था।
 
गिरफ़्तारी के बाद मनीष कश्यप से बिहार पुलिस ने पूछताछ की थी। बाद में तमिलनाडु में दर्ज मामलों की पूछताछ के लिए उन्हें तमिलनाडु ले जाया गया। उनके समर्थकों ने बिहार सरकार पर मनीष कश्यप को फंसाने के आरोप भी लगाए और इसके ख़िलाफ़ बिहार बंद की अपील भी की।
 
उन्होंने बिहार पुलिस और बिहार सरकार, ख़ासकर उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव तक को चुनौती दी थी। मनीष के समर्थक अमन कुमार के मुताबिक़ यह सच है कि मनीष कश्यप जिस भाषा का इस्तेमाल करते थे, मीडिया के लिहाज़ से वो ठीक नहीं है।
 
अमन कुमार का आरोप है कि 'बिहार में कई राजनीतिज्ञों को लगने लगा कि मनीष कश्यप बहुत तेज़ी से आगे बढ़ रहा है इसलिए मनीष को आर्थिक और मानसिक रूप से तोड़ने के लिए एफ़आईआर कराया गया।'
 
पुराने मामले
 
मनीष कश्यप पर साल 2016-17 में एक वीडियो में महात्मा गांधी के लिए अपशब्दों के इस्तेमाल का आरोप है।
 
उन्होंने साल 2018 में बेतिया में एक चर्च में रखी किंग एडवर्ड की मूर्ति तोड़ दी और उसे पुलिस ने गिरफ़्तार भी किया था।
 
मनीष कश्यप ने जिस स्कूल में पढ़ाई की थी, उसके हेडमास्टर को पीटने का भी आरोप उस पर लगा है।
 
उन्होंने साल 2019 में पुलवामा हमले के बाद पटना में कश्मीरी शॉल, स्वेटर वगैरह के मेले में कश्मीरी लोगों के साथ मारपीट की थी। उस मामले में भी मनीष कश्यप को जेल भेजा गया था।
 
साल 2021 में उन्होंने बैंक मैनेजर के साथ मारपीट की थी। इस मामले में गिरफ़्तारी से बचने के लिए हाई कोर्ट अपील भी की थी, लेकिन अदालत ने उनकी अग्रिम ज़मानत की याचिका ख़ारिज़ कर दी थी।
 
ईओयू के मुताबिक़ उसके बाद मनीष कश्यप को आत्मसमर्पण करना था, लेकिन वो घूम-घूमकर वीडियो बना रहे थे। इसी मामले में उनके घर की कुर्की के आदेश जारी किए गए थे।
 
घरवालों की नज़र में
 
मनीश कश्यप का घर बेतिया के महनवा डुमरी गांव में है। मनीष के पिता भारतीय सेना में कार्यरत हैं। घर पर उनकी मां और छोटे भाई का परिवार रहता है।
 
मनीष के छोटे भाई करण का दावा है कि मनीष कश्यप नौकरी छोड़ने के बाद समाजसेवा में लग गए और ज़्यादातर समय पटना में रहते थे।
 
करण कश्यप का कहना है, 'मेरी शादी हो गई है, लेकिन भैया ने शादी नहीं की। उसने परिवार के लिए कुछ नहीं किया है। वो कहते हैं कि हमारी ज़िंदगी जैसी है उसमें मैं शादी करूंगा तो मेरे बीवी बच्चे भी परेशान रहेंगे।'
 
तमिलनाडु में लगे आरोपों में मनीष कश्यप को ज़मानत मिल चुकी है, लेकिन वहां एनएसए के तहत दर्ज मामले में उनको अभी राहत नहीं मिली है।
 
इसके ख़िलाफ़ मनीष कश्यप ने सुप्रीम कोर्ट में भी अपील की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें इसके लिए पहले मद्रास हाई कोर्ट में अपील करने को कहा था।
 
मनीष के छोटे भाई करण कश्यप के मुताबिक़ 'हमने केस क्लब करने और एनएसए के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, लेकिन ये अलग-अलग तरह का मामला था जो एक नहीं हो सकता था।'
 
करण के मुताबिक़ मनीष पर अभी बेतिया, पटना और तमिलनाडु में कई केस हैं। एनएसए के तहत जो मामला दर्ज हुआ है उसकी सुनवाई 5 सितंबर को मद्रास हाई कोर्ट के मदुरै बेंच में होनी है।(Photo Courtesy: BBC)
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