मेरठ की कोरोनावायरस हेल्प डेस्क पर बंदरों का कब्जा
मेरठ। बीती रात से होने वाली बारिश के चलते मेरठ जिलाधिकारी कंपाउंड जलमग्न हो गया है। परिसर में बनी कोविड हेल्प डेस्क भी पानी में डूबे गई। कोविड डेस्क पर अब बंदरों का कब्जा दिखाई दे रहा है, सरकारी कैंपस में बारिश के पानी की निकासी सुचारू रूप से न होने के कारण यह तलाब बन गया है।
ऐसे में सरकारी महकमों का ये हाल है तो गली-मोहल्लों का क्या होगा, ये यक्ष प्रश्न है। कलेक्टर ऑफिस परिसर में भरा पानी बंदरों की मस्ती का केन्द्र बन गया है। बंदर पानी में कभी डुबकी लगाते हैं तो कभी पेड़ों पर झूल रहे हैं। इसे देखकर ऐसा लग रहा है मानो बंदर सावन की फुल मस्ती करते हुए मल्हार गा रहे हैं।
कोविड हेल्प डेस्क में बंदरों ने उत्पात मचाते हुए उसमें तोड़फोड़ भी कर दी है। प्रश्न उठता है जब डीएम आफिस का कैंपस बारिश से जलमग्न है, तो मेरठ की सड़कों का क्या हाल होगा? कलेक्ट्रेट परिसर में बड़ी तादाद में लोग अपनी समस्याओं और अन्य कामों के लिए आते-जाते हैं। बंदरों की इस तरह से भागना-दौड़ना नागरिकों के लिए मुसीबत का सबब बन सकता है।
आपको बता दें कि कुछ दिन पहले बंदरों ने मेरठ मेडिकल कॉलेज कैंपस से कोरोना जांच सैंपल लैब टेक्नीशियन से छीनकर चबा लिए थे, जिसकी जांच के लिए मेरठ के जिलाधिकारी भी मेरठ मेडिकल कॉलेज पहुंचे थे, लेकिन अब उनके कार्यालय परिसर में बंदरों का उपद्रव किसी नई मुसीबत को जन्म दे सकता है।
दरअसल, सरकारी फाइलों को लेकर कर्मचारी एक विभाग से दूसरे विभाग में जाते है, वहीं आम नागरिक विभिन्न दस्तावेज लेकर अधिकारियों से मिलते हैं। ऐसे में अगर कोई जरूरी कागजात या फाइल छीनकर बंदर तहस-नहस कर दें या पानी में फेंक दे, तो उसकी जवाबदेही किसकी होगी? नए सिरे से जांच बैठेगी और परिणाम सिफर ही होगा।