दुनिया में एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) उपकरणों का इस्तेमाल तेज़ी से बढ़ रहा है, लेकिन इसके प्रभावी संचालन के लिए साझा वैश्विक नियम अभी तक तय नहीं हुए हैं। गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में होने वाला उच्चस्तरीय कार्यक्रम, वैश्विक एआई शासन को हक़ीकत के और क़रीब लाने की कोशिश है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पर दुनिया में निवेश, उम्मीद और चिन्ता- तीनों बढ़ रहे हैं। चूँकि इससे जुड़ी चुनौतियाँ और अवसर वैश्विक हैं, इसलिए समाधान बिखरे व अलग-थलग नहीं, बल्कि व्यापक एवं समन्वित होने चाहिए। फिर भी, 2024 की यूएन रिपोर्ट के अनुसार 118 देश किसी प्रमुख अन्तरराष्ट्रीय एआई पहल का हिस्सा नहीं हैं, और केवल सात विकसित देश ही, इन सभी पहलों में शामिल रहे हैं।
एआई शासन पर गुरुवार 25 सितम्बर को आयोजित होने वाली महासभा की उच्चस्तरीय बैठक में पहली बार सभी 193 सदस्य देशों को अन्तरराष्ट्रीय एआई शासन के विकास की रूपरेखा पर बोलने का अवसर मिलेगा। यह प्रतिनिधित्व की कमी दूर करने का प्रयास है, जिसमें दुनियाभर के राजनयिकों के साथ-साथ वैज्ञानिक, तकनीकी समुदाय, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।
सुरक्षित तकनीकी विकास के लिए नई निगरानी की आधारशिला
यह बैठक, समावेशी वैश्विक शासन की शुरुआत, एआई से जुड़ी चुनौतियों का समाधान और लाभ की सार्वभौमिक पहुँच पर केन्द्रित है। इसके लिए दो ऐतिहासिक निकाय बनाए गए हैं: एआई शासन पर वैश्विक संवाद और एआई पर अन्तरराष्ट्रीय स्वतंत्र वैज्ञानिक पैनल।
दोनों निकाय, 2024 की संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट मानवता के लिए एआई शासन में विशेषज्ञों व क़ानून निर्माताओं के समूह (एआई पर उच्च-स्तरीय परामर्श निकाय) की सिफ़ारिशों से निकले हैं। इन्हें अगस्त 2025 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक प्रस्ताव के माध्यम से स्थापित किया गया, जिसे सभी सदस्य देशों ने सर्वसम्मति से अनुमोदित किया। यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इसे एआई के लाभ उठाते हुए उसके जोखिमों से निपटने की वैश्विक कोशिशों में एक अहम क़दम बताया।
गुरुवार के संवाद का लक्ष्य, सर्वोत्तम प्रथाएँ साझा करना, एआई शासन की अन्तरराष्ट्रीय संगतता बढ़ाना और महत्वपूर्ण एआई घटनाओं का आदान-प्रदान करना है। यह मंच सरकारों, उद्योग, नागरिक समाज और वैज्ञानिकों को साझा सिद्धान्तों के आधार पर सीख साझा करने तथा समान दृष्टिकोण गढ़ने का साझा स्थान देगा।
अन्तरराष्ट्रीय पैनल, संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के सहयोग से, एआई के जोखिमों, अवसरों व प्रभावों पर निष्पक्ष, साक्ष्य-आधारित मार्गदर्शन देगा और सुनिश्चित करेगा कि नीतिनिर्माण स्वतंत्र वैज्ञानिक आकलनों पर आधारित हो। यह पैनल, हर साल एक रिपोर्ट तैयार करेगा, जिसे संवाद की वार्षिक बैठक में पेश किया जाएगा।
संयुक्त राष्ट्र के डिजिटल और उभरती प्रौद्योगिकियों के विशेष दूत अमनदीप सिंह गिल ने यूएन न्यूज़ से कहा, ये दोनों तंत्र नई भूमिकाएँ नहीं, बल्कि तकनीकी शासन की नई संरचना की आधारशिला हैं। यह हमारी भावी पीढ़ियों से किया गया वादा है ताकि तकनीकी प्रगति के केन्द्र में मानवता बनी रहे।
अमनदीप सिंह गिल ने इस उच्चस्तरीय कार्यक्रम एक ऐतिहासिक क़दम बताते हुए कहा, एआई का असर वैश्विक है, मगर उसका शासन नहीं। वैश्विक संवाद के जरिए पहली बार संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्य देशों को एआई शासन की अन्तरराष्ट्रीय रूपरेखा तय करने में भागेदारी का अवसर मिलेगा।
उन्होंने कहा, वैज्ञानिक पैनल दुनियाभर के अग्रणी वैज्ञानिकों को साथ लाएगा, ताकि एआई के जोखिम, अवसर और प्रभाव पर अनिश्चितता का दायरा घटे। पैनल यह सुनिश्चित करने में मदद करेगा कि एआई नीतियाँ निष्पक्ष और साक्ष्य-आधारित हों।