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Last Modified: शुक्रवार, 28 जुलाई 2023 (14:29 IST)

रतन टाटा को ‘उद्योग रत्न’ पुरस्कार देगी महाराष्‍ट्र सरकार

रतन टाटा को ‘उद्योग रत्न’ पुरस्कार देगी महाराष्‍ट्र सरकार - maharashtra government to give udyog ratan puraskar to ratan tata
Ratan Tata News : महाराष्ट्र सरकार ने उद्योगपति एवं टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा को पहला ‘उद्योग रत्न’ पुरस्कार देने का फैसला किया है। 85 वर्षीय रतन टाटा साल 2000 में पद्मभूषण और 2008 में पद्मविभूषण पुरस्कार से सम्मानित किए जा चुके हैं।
 
राज्य के उद्योग मंत्री उदय सामंत ने राज्य विधान परिषद को बताया कि युवा उद्यमी, महिला उद्यमी और मराठी उद्यमी को भी पुरस्कार दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि विशिष्ट लोगों को दिए जाने वाले महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार की तरह, राज्य सरकार ने रतन टाटा को उद्योग रत्न पुरस्कार देने का फैसला किया है।
 
उन्होंने बताया कि एक समिति ने इस संबंध में फैसला किया। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस तथा अजीत पवार और उद्योग मंत्री के तौर पर वह इस समिति के सदस्य थे।
 
रतन टाटा का बचपन और शिक्षा : 28 दिसंबर 1937 को जन्मे रतन टाटा, नवल टाटा के सुपुत्र हैं। रतन टाटा के पिता नवल टाटा को जेएन पेटिट पारसी अनाथालय से नवाजबाई टाटा ने गोद लिया थ। रतन टाटा के पिता नवल और मां सोनू 1940 के मध्य में अलग हो गए। इस समय रतन टाटा की उम्र दस वर्ष थी और उनके छोटे भाई, जिम्मी, सात वर्ष के थे। दोनों बच्चों की परवरिश उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने की। 
 
रतन टाटा के एक हॉफ ब्रदर (एक पेरेंट कॉमन ) नोएल टाटा, नवल टाटा की दूसरी शादी (जो सिमोन टाटा के साथ हुई थी) से जन्मे थे। रतन टाटा की शिक्षा मुंबई के  कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल में हुई। उनके पास कॉर्नेल यूूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर में स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में बीएस डिग्री है। यह उन्होंने 1962 में प्राप्त की। एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम रतन टाटा ने 1975 में हार्वड बिजनेस स्कूल से पूरा किया। 
 
रतन टाटा का करियर : रतन टाटा ने अपने करियर की शुरुआत टाटा ग्रुप के साथ 1961 में की। अपने करियर की शुरुआत में, रतन टाटा टाटा स्टील के शॉप फ्लोर पर लाइमस्टोन को हटाने और धमाके भट्टी को हैंडल करने का काम करते थे। टाटा ने नाल्को में हाई टेक्नोलॉजी प्रोडक्ट बनाने की शुरुआत करने के लिए पैसा लगाने का सुझाव जेआरडी टाटा को दिया। अब तक इस कंपनी में सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक्स ही बनाए जाते थे और कंपनी काफी घाटे में चल रही थी। जेआरडी टाटा इस सलाह से बहुत खुश नहीं थे, परंतु उन्हें इस पर अमल किया और आगे चलकर कंपनी काफी फायदे में चलने लगी। 
 
1991 में जेआरडी टाटा ने टाटा संस का चैयरमैन पद छोड़ दिया और रतन टाटा को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। जब टाटा ने अपने नए ऑफिस को संभाला, कंपनी में उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा। कई कंपनियों के प्रमुख, जिन्होंने कई दशक टाटा ग्रुप से जुड़कर खर्च किए थे, काफी ताकतवर और प्रभावी हो गए थे। 
 
रतन टाटा ने इन प्रमुखों को एक उम्र निर्धारित कर  (रिटायरमेंट एज) पद से हटाने की मुहिम शुरू की। इसके अलावा कई कंपनियों को ग्रुप के साथ जोडा, जिन्हें टाटा ग्रुप के ब्रांड का इस्तेमाल कर लाभ को टाटा ग्रुप के साथ शेयर करना था। टाटा ने नवीनता को प्रमुखता दी और युवा टैलेंट को अपने साथ जोडा और उन्हें जिम्मेदारियां दीं।
Edited by : Nrapendra Gupta
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