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Written By WD Feature Desk
Last Updated : गुरुवार, 18 सितम्बर 2025 (16:36 IST)

Shraddha Paksha 2025: श्राद्ध पक्ष में त्रयोदशी तिथि के श्राद्ध का महत्व, विधि, जानिए कुतुप काल मुहूर्त और सावधानियां

How to perform Trayodashi Shraddha
Pitru Paksha Trayodashi: पितृ पक्ष में त्रयोदशी तिथि का महत्व: श्राद्ध पक्ष में त्रयोदशी तिथि का विशेष महत्व होता है। यह तिथि उन लोगों के श्राद्ध के लिए होती है जिनकी मृत्यु किसी दुर्घटना, अकाल मृत्यु, आत्महत्या या किसी अन्य असामान्य कारण से हुई हो।ALSO READ: Shradh 2025: विश्व का एकमात्र तीर्थ जहां केवल मातृ श्राद्ध का है विधान, ‘मातृगया’ के नाम से है प्रसिद्ध

इस तिथि को 'अकाल मृत्यु' की तिथि भी माना जाता है। यह समय श्राद्ध करने के लिए सबसे शुभ और फलदायी माना जाता है। इस दौरान किए गए श्राद्ध का फल सीधे पितरों को मिलता है। इस बार त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध 19 सितंबर, शुक्रवार को किया जा रहा है।

यहां जानें श्राद्ध पक्ष में त्रयोदशी तिथि की विधि, जानिए कुतुप काल मुहूर्त और सावधानियां.... 
 
त्रयोदशी श्राद्ध की विधि: 
स्थान और तैयारी: श्राद्ध के लिए पवित्र स्थान का चयन करें, जैसे घर का आंगन, नदी, घाट किनारा या कोई मंदिर। श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए।
 
ब्राह्मण भोजन: त्रयोदशी श्राद्ध में ब्राह्मणों को भोजन कराना अति महत्वपूर्ण है। एक से अधिक ब्राह्मणों को निमंत्रित करें।
 
पिंड दान: जौ, चावल और काले तिल से पिंड तैयार करें और पितरों को अर्पित करें।
 
तर्पण: जल, दूध, और काले तिल मिलाकर पितरों को तर्पण करें। श्राद्ध के लिए 'कुतुप काल' को सबसे उत्तम समय माना जाता है। यह दिन के मध्य भाग का समय होता है। त्रयोदशी श्राद्ध के लिए भी कुतुप काल का ध्यान रखना चाहिए।
 
पंचबलि: गाय, कुत्ता, कौवा, देव और चींटी के लिए भोजन निकालें। इसे 'पंचबलि' कहते हैं।
 
दक्षिणा और दान: ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद उन्हें दक्षिणा और अन्य दान, जैसे वस्त्र, अनाज, और अन्य उपयोगी वस्तुएं दें।ALSO READ: Pitra Paksh 2025:श्राद्ध के लिए क्यों मानी जाती है कुशा अनिवार्य, जानिए पौराणिक महत्त्व
 
त्रयोदशी तिथि कुतुप काल मुहूर्त 

त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ- 18 सितंबर 2025 को 11:24 पी एम बजे
त्रयोदशी तिथि समाप्त- 19 सितंबर 2025 को 11:36 पी एम बजे तक।
 
श्राद्ध अनुष्ठान समय 2025: 
त्रयोदशी श्राद्ध शुक्रवार, 19 सितंबर, 2025 को
 
कुतुप मुहूर्त - 12:08 पी एम से 12:56 पी एम
अवधि - 00 घण्टे 49 मिनट्स
 
रौहिण मुहूर्त - 12:56 पी एम से 01:45 पी एम
अवधि - 00 घण्टे 49 मिनट्स
 
अपराह्न काल - 01:45 पी एम से 04:11 पी एम
अवधि - 02 घण्टे 26 मिनट्स
 
त्रयोदशी श्राद्ध की सावधानियां: 
 
श्राद्ध करने वाला व्यक्ति: श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को श्राद्ध के दिन सात्विक रहना चाहिए।
 
अपवित्रता से बचें: श्राद्ध के दौरान किसी भी प्रकार की अपवित्रता से बचें।
 
श्राद्ध का भोजन: श्राद्ध का भोजन सात्विक होना चाहिए। लहसुन, प्याज और मांसाहार का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
 
अन्य श्राद्ध: त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध केवल उन लोगों के लिए है जिनकी मृत्यु अकाल हुई हो। सामान्य मृत्यु वाले पितरों का श्राद्ध उनकी मृत्यु तिथि के अनुसार ही करना चाहिए।
 
क्रोध से बचें: श्राद्ध के दौरान किसी भी प्रकार का क्रोध या नकारात्मक विचार मन में न लाएं।
 
त्रयोदशी का श्राद्ध पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करता है और श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
 
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