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Last Updated : बुधवार, 1 अक्टूबर 2025 (15:07 IST)

Dussehra 2025: दशहरा पर शस्त्र पूजा का क्या है शुभ मुहूर्त, कैसे करते हैं पूजन?

Dussehra 2025
Dussehra 2025: अश्विन माह की दशमी के दिन दशहरा का पर्व मनाया जाता है जिसे विजयादशमी भी कहते हैं। इस दिन कई घरों में शस्त्र पूजा की जाती है। शस्त्र पूजा से पहले अपराजिता देवी की पूजा करते हैं। शस्त्र पूजा अभिजीत या विजय मुहूर्त में करते हैं। आओ जानते हैं कि क्या है शस्त्र पूजन का समय। 
 
| 02 अक्टूबर 2025 गुरुवार विजयादशमी दशहरा मुहूर्त ||
दशमी- 01-10-2025 को शाम 07:01 को प्रारंभ।
दशमी- 02-10-2025 को शाम 07:10 को समाप्त।
श्रवण नक्षत्र प्रारम्भ- 02-10-2025 को सुबह 09:13 तक।
श्रवण नक्षत्र समाप्त- 03-10-2025 को सुबह 09:34 तक।
शुभ चौघड़िया: प्रात: 06:15 से 07:43 तक।
अभिजीत मुहूर्त: दिन में 11:46 से 12:34 तक।
विजय मुहूर्त- अपराह्न 02:15 से 03:03 तक।
शस्त्र पूजा मुहूर्त: दिन में 11:46 से 12:34 तक। इसके बाद 02:15 से 03:03 के बीच।
वाहन खरीदी मुहूर्त: सुबह 10:41 से दोपहर 01:39 के बीच। 
गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:06 से 06:30 तक।
रावण दहन मुहूर्त: प्रदोष काल में।
नोट: दशहरा अबूझ मुहूर्त है इसमें पूरे दिन और रात ही रहता है शुभ मुहूर्त। इस दिन किसी भी कार्य को करने के लिए मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं रहती है।
शस्त्र पूजा का महत्व: Significance of Shastra Puja:-
शस्त्र पूजन की परंपरा आदिकाल से चली आ रही है। प्राचीन समय में राजा-महाराजा विशाल शस्त्र पूजन करते रहे हैं। आज भी इ‍स दिन क्षत्रिय शस्त्र पूजा करते हैं। सेना में भी इस दिन शस्त्र पूजन किया जाता है। इतिहास में क्षत्रिय राजा इसी अवसर पर सीमोल्लंघन किया करते थे। दशहरा पर्व के चलते हथियारों के पूजन का विशेष महत्व है। इस दिन हथियारधारी अपने-अपने हथियारों का पूजन करते हैं। इसके माध्यम से हथियारों की साफ सफाई और देखरेख भी हो जाती है। 
 
शस्त्र पूजा विजयदशमी के दिन की जाती है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह पूजा शस्त्रों में शक्ति का वास मानने और उनकी पूजा करने की परंपरा है। इसके माध्यम से देवी-देवताओं और शस्त्र में विराजमान शक्ति से प्रार्थना की जाती है कि समाज में कोई आतंक न हो और शस्त्रों का प्रयोग न्याय के लिए किया जा सके। इस पूजा से शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने का वरदान मिलता है। 
 
अपराजिता-पूजा: आश्विन शुक्ल दशमी को पहले अपराजिता का पूजन किया जाता है। अक्षतादि के अष्ट दल पर मृतिका की मूर्ति स्थापना करके 'ॐ अपराजितायै नम:' (दक्षिण भाग में अपराजिता का), 'ॐ क्रियाशक्तयै नम:' (वाम भाग में जया का), ॐ उमायै नम: (विजया का) आह्वान करते हैं। 
 
शस्त्र पूजा की विधि: Method of Shastra Puja:-
स्नान और शुद्धिकरण: सुबह जल्दी स्नान करके साफ वस्त्र पहनें और अस्त्र-शस्त्रों को बच्चों की पहुंच से दूर रखें।
चौकी सजाना: एक चौकी पर साफ वस्त्र बिछाकर सभी शस्त्रों को व्यवस्थित तरीके से रखें। 
पवित्र करना: शस्त्रों पर गंगाजल या स्वच्छ जल का छिड़काव करके उन्हें पवित्र करें। 
आभूषण और टीका: शस्त्रों पर मौली (रक्षासूत्र) बांधें और चंदन का टीका लगाएं। 
पुष्प-माला: शस्त्रों पर फूल और माला अर्पित करें। 
धूप-दीप: चंदन, अक्षत, धूप और दीप से विधि-विधान से पूजा करें।
मंत्र पाठ: शस्त्र पूजा के समय देवी मां काली या भगवान श्रीराम के मंत्रों का जाप किया जा सकता है।
नैवेद्य: पूजा के अंत में शस्त्रों को ऋतु फल और नैवेद्य अर्पित करें। 
आरती: अंत में अपराजिता देवी की आरती करके प्रसाद वितरण करें।
 
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